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मोदी ने सीएम के रूप मेंअहमदाबाद का नाम “कर्णावती”रखने केंद्र को उन्होंने सुझाया था.लेकिन अब वह खुद ही इसे नहीं कर रहे:सुब्रमण्यम स्वामी

अहमदाबाद के नामकरण का मुद्दा छेड़ बोले सुब्रमण्यम स्वामी- CM रहते मोदी ने जो केंद्र को सुझाया था, PM बनने बाद उस पर अमल से “बच रहे”

पिछले मार्च महीने में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की अहमदाबाद में हुई बैठक में भी इसको लेकर चर्चा हुई थी और राजधानी का नाम कर्णावती करने की मांग जोरशोर से उठाई गई थी।

अहमदाबाद

भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने अहमदाबाद शहर का नाम कर्णावती के रूप में नहीं बदले जाने पर आश्चर्य जताया है। उन्होंने कहा कि खुद पीएम मोदी ने इसे सुझाया था, लेकिन अब वह खुद ही इसे नहीं कर रहे हैं। उन्होंने ट्वीट किया “कल मैंने पूरा दिन अहमदाबाद में बिताया (जिसका नाम अभी तक कर्णावती नहीं रखा गया है)। मोदी पीएम के रूप में लागू करने से इनकार कर रहे हैं, जिसे 2013 में सीएम के रूप में “कर्णावती” नाम रखने के रूप में उन्होंने केंद्र को सुझाया था। चारों कार्यक्रमों में मेरा एक दामाद के रूप में गर्मजोशी से स्वागत किया गया, जो मैं हूं।”

पिछले कुछ वर्षों से शहरों और नगरों के नामों को उनके प्राचीन नामों में बदलने की मांग जोर पकड़ने लगी है। भाजपा शासन में यह काम तेजी से हो रहा है। कई शहरों के नाम बदले भी गए हैं। इनमें इलाहाबाद को प्रयागराज, फैजाबाद को अयोध्या आदि किए भी गए हैं। इसी क्रम में गुजरात की राजधानी अहमदाबाद का नाम बदलकर कर्णावती किए जाने की मांग फिर जोर पकड़ने लगी है।

भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी का कहना है कि पीएम मोदी जब गुजरात के सीएम थे, तो उन्होंने ही इस नाम को सुझाया था, अब वे प्रधानमंत्री हो गए हैं तो इसे नहीं कर रहे हैं। पिछले मार्च महीने में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की अहमदाबाद में हुई बैठक में भी इसको लेकर चर्चा हुई थी और राजधानी का नाम कर्णावती करने की मांग जोरशोर से उठाई गई थी।

संघ ने इससे पहले भी इस तरह की मांग की थी। तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद का नाम आधिकारिक तौर पर भाग्यनगर किए जाने के प्रस्ताव को लेकर भी कई बार आवाजें उठाई गईं। भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने पूछा है कि सरकार नाम बदलने की प्रक्रिया में देरी क्यों कर रही है। केंद्र और गुजरात दोनों जगह भाजपा की सरकारें हैं।

सुब्रमण्यम स्वामी भाजपा नेता हैं, लेकिन वह पार्टी में रहकर भी विपक्ष की तरह पार्टी पर सवाल उठाते रहे हैं। इसकी वजह से कई बार विवाद की स्थिति भी बनती गई, हालांकि पार्टी या केंद्र सरकार की ओर से उनके सवालों पर कोई सीधा रुख दिखाकर जवाब नहीं दिया जाता है।

 

 

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