‘न्यायाधीशों को बिना जोखिम के फैसले लेने की आवश्यकता’, CJI चंद्रचूड़ ने ट्रायल जजों को क्यों दी बड़ी नसीहत
चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ ने रविवार को न्यायाधीशों से आग्रह किया कि वे ‘कॉमन सेंस’ यानी सामान्य समझ का इस्तेमाल करें। सीजेआई ने कहा कि आजकल ट्रायल जजों द्वारा दी गई राहत को संदेह की दृष्टि से देखा जाता है।
नई दिल्ली
चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ ने रविवार को न्यायाधीशों से आग्रह किया कि वे ‘कॉमन सेंस’ यानी सामान्य समझ का इस्तेमाल करें। सीजेआई ने कहा कि आजकल ट्रायल जजों द्वारा दी गई राहत को संदेह की दृष्टि से देखा जाता है। इसका मतलब यह है कि गंभीर अपराधों के महत्वपूर्ण मामलों में ट्रायल जज जमानत देने से बचते हुए तेजी से फैसले कर रहे हैं। CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि जब किसी महत्वपूर्ण आपराधिक मामले में संदेह की स्थिति होती है, तो निचली अदालत के जज जमानत देने में कोई जोखिम नहीं उठाना चाहते। इसलिए, जमानत के मामलों में वे बहुत सतर्क रहते हैं।
जमानत में विफलता के कारण लोग SC का रुख करते है
उन्होंने यह भी बताया कि जमानत देने में विफलता के कारण लोगों को अक्सर हाई कोर्ट का रुख करना पड़ता है, और यदि हाई कोर्ट से भी जमानत नहीं मिलती तो उन्हें सुप्रीम कोर्ट का सहारा लेना पड़ता है। इस देरी के कारण उन लोगों की समस्याएँ और बढ़ जाती हैं जो असंगत तरीके से गिरफ्तार किए जाते हैं। CJI ने ‘तुलनात्मक समानता और भेदभाव-रोधी बर्कले केंद्र के 11वें वार्षिक सम्मेलन’ के दौरान अपने भाषण में यह टिप्पणी की। सम्मेलन में एक सवाल पूछा गया था जिसमें कहा गया था कि समाज में पहले कार्रवाई होती है और फिर माफी मांगी जाती है। यह विशेष रूप से उन लोक प्राधिकारियों के लिए सच है जो राजनीतिक प्रेरणा के तहत कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों, पत्रकारों और विपक्षी दलों के नेताओं को हिरासत में ले रहे हैं।
न्यायाधीश हर मामले की बारीकियों और सूक्ष्मताओं का रखे ध्यान
प्रश्न पूछने वाले ने बताया कि ये सभी कार्य इस विश्वास के साथ किए जाते हैं कि न्याय बहुत धीमी गति से मिलता है। CJI चंद्रचूड़ ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय लगातार यह स्पष्ट करने की कोशिश कर रहा है कि इसका एक कारण देश में संस्थाओं के प्रति अंतर्निहित अविश्वास भी है। उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों को हर मामले की बारीकियों और सूक्ष्मताओं को ध्यान में रखना चाहिए। CJI ने बताया कि ज्यादातर मामलों को सुप्रीम कोर्ट तक नहीं पहुंचना चाहिए। उन्होंने कहा कि जमानत को प्राथमिकता इसलिए दी जा रही है ताकि पूरे देश में यह संदेश जाए कि न्यायिक अधिकारियों को फैसले लेते समय यह विचार किए बिना अपना कर्तव्य निभाना चाहिए कि वे किसी प्रकार के जोखिम का सामना कर रहे हैं।