NEET UG और शंभू बॉर्डर मामले में Supreme Court बना सरकार के लिए ‘संकटमोचन’, INDI BLOC के हाथ खाली

मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल की शुरुआत अच्छी नहीं रही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तीसरे कार्यकाल में विपक्ष लगातार हमलावर है। इसके अलावा कई ऐसे मुद्दे हैं, जिसको लेकर INDI BLOC के नेता सड़क से संसद तक लगातार सरकार पर दबाव बनाने में जुटे हुए हैं
नेशनल डेस्क
मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल की शुरुआत अच्छी नहीं रही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तीसरे कार्यकाल में विपक्ष लगातार हमलावर है। इसके अलावा कई ऐसे मुद्दे हैं, जिसको लेकर INDI BLOC के नेता सड़क से संसद तक लगातार सरकार पर दबाव बनाने में जुटे हुए हैं। इनमें अग्निवीर, NEET पेपर लीक, महंगाई, बेरोजगारी और किसानों के ज्वलंत मुद्दे बेहद अहम हैं। लेकिन, बजट सत्र की शुरूआत में ही केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने दो बड़े मुद्दों पर बड़ी राहत दी है। पहला मामला NEET पेपर लीक से जुड़ा हुआ। दूसरा मामला शंभू बॉर्डर पर बैठे किसानों से जुड़ा है।
दरअसल, 4 जून 2024 को नेशनल टेस्ट एजेंसी (NTA) ने NEET UG का रिजल्ट जारी किया था। इसमें बड़े पैमाने पर धांधली की खबरें सामने आईं थी। कई छात्रों के मार्क्स एक समान आए थे। इसके बाद कई छात्रों ने पेपर लीक का मुद्दा उठाया। विपक्ष ने भी NEET UG के पेपर लीक को लेकर सरकार को घेरना शुरू कर दिया। सरकार ने मामले की संवेदनशीलता को समझते हुए शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सीबीआई जांच की घोषणा कर दी। सीबीआई ने बिहार, झारखंड, गुजरात और मुंबई से अब तक करीब 30 लोगों की गिरफ्तारी की है। इसमें कई एमबीबीएस डॉक्टर शामिल है। सीबीआई के मुताबिक, पेपर झारखंड के एक सेंटर से लीक हुआ था। इस बीच NEET UG पेपर लीक का मामला सुप्रीम कोर्ट की अवकाश बेंच के पास पहुंचा। अवकाश बेंच ने छात्रों की याचिका पर सुनवाई करते हुए काउंसलिंग पर अस्थाई तौर पर रोक लगा दी।
विपक्ष ने संसद में घेरा
उधर, INDI BLOC के दलों ने सरकार को संसद में घेरना शुरू कर दिया। सरकार द्वारा जून में बुलाए गए विशेष सत्र में INDI BLOC की पार्टियों ने नए सांसदों के शपथग्रहण और राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद NEET UG पेपर लीक पर सरकार को कटघरे में खड़ा किया और लगातार हो लीक हो रहीं परीक्षाओं पर चर्चा की मांग की। विपक्ष ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा से पहले NEET UG पेपर लीक मामले पर सरकार से चर्चा की मांग शुरू कर दी। लेकिन सरकार ने विपक्ष की इस मांग को मानने से इनकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट की छुट्टियों के बाद सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की रेगुलर बेंच ने NEET UG पेपर लीक मामले पर रोजना सुनवाई शुरू की और छात्रों के हित के लिए सरकार और एनटीए से जवाब मांगा। हालांकि, एनटीए ने पेपर लीक होने की संभावना से इनकार कर दिया लेकिन माना की परीक्षा के परिणामों में चूक हुई है और छात्रो को दिए ग्रेस मार्क्स कम कर दिए। इतना ही नहीं जिन छात्रों के नंबर एक समान थे। उनके लिए फिर से परीक्षा का आयोजन किया गया। सीजेआई की बेंच ने मामले पर लगातार सुनवाई करते हुए 23 जुलाई यानी मंगलवार को अपना फैसला सुनाया। सीजेआई की बेंच ने छात्रों की रीएग्जाम की मांग को खारिज करते हुए कहा कि NEET UG का एग्जाम दोबारा नहीं होगा। बेंच ने कहा कि पेपर लीक होने के सबूत नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद सरकार ने बड़ी राहत की सांस ली।
शंभू बॉर्डर पर किसानों को लेकर भी मिली राहत
सरकार को दूसरे मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। दरअसल, पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को शंभू बॉर्डर पर लगे बेरिकैट को हटाने का आदेश दिया। हालांकि, हरियाणा सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। शीर्ष अदालत ने इस मामले पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। कोर्ट ने मामला सुलझाने के लिए कमेटी बनाने का प्रस्ताव दिया है और इस संबंध में पंजाब-हरियाणा सरकार से सुझाव मांगा है।
दरअसल, किसान पिछले करीब छह महीनों से किसान पंजाब और हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर बैठे हुए हैं। किसान एमएसपी की गारंटी के साथ-साथ कई और मांगों को लेकर लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच हरियाणा सरकार ने किसानों को दिल्ली जाने से रोकने के लिए शंभू बॉर्डर पर नाकेबंदी कर रखी है। किसानों ने इसके खिलाफ पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी कि शंभू बॉर्डर पर लगे बैरिकेट हटाए जाएं। किसानों की मांग को मानते हुए हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि शंभू बॉर्डर पर लगे बैरिकेट हटाए जाएं और हाईवे को खाली किया जाए। हाईकोर्ट का फैसला आते ही हरियाणा सरकार ने तुरंत सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया।