अग्निवीर योजना लाकर देश को अग्निपथ के रास्ते पर धकेल दिया : पप्पू यादव
अग्निवीर योजना को लेकर पूर्णिया सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने कहा कि मोदी सरकार एक नई योजना लेकर आई है। ऐसा लगता है कि उन्होंने मूवी से ढूंढ़कर यह नाम रखा है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने इस देश को अग्निपथ के रास्ते पर धकेल दिया है
नई दिल्ली
अग्निवीर योजना को लेकर पूर्णिया सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने कहा कि मोदी सरकार एक नई योजना लेकर आई है। ऐसा लगता है कि उन्होंने मूवी से ढूंढ़कर यह नाम रखा है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने इस देश को अग्निपथ के रास्ते पर धकेल दिया है।
उन्होंने कहा कि अग्निवीरों से उनकी दुर्दशा, उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति और उनकी मानसिक स्थिति के बारे में पूछा जाना चाहिए। उनके जीवन के तीन साल बाद, उनका बाकी जीवन भय और अभाव में बीतेगा। अग्निवीर की हालत उत्तर प्रदेश के नियोजित, संविदा और शिक्षामित्रों से भी बदतर है। शिक्षामित्रों और संविदा वालों को आजीवन 6-8 रुपये प्रतिमाह मिलेंगे लेकिन अग्निवीरों को न तो पैसा मिलेगा और न ही शहीद का दर्जा।
पप्पू यादव ने कहा कि एक वर्ष के प्रशिक्षण और तीन वर्ष की सेवा के बाद अग्निवीरों को बेरोजगारी की यातना झेलनी पड़ेगी, जिसके कारण न तो उनकी शादी हो पाएगी और न ही घर और समाज में उन्हें सम्मान मिलेगा।
उन्होंने कहा, “जब अग्निवीरों की पत्नी, बच्चों और परिवार के सदस्यों के लिए सुरक्षा और देखभाल का कोई प्रावधान नहीं है तो वे सीमा पर गोली क्यों खाएंगे, इसलिए मैं कहता हूं कि उनकी शहादत के बाद ऐसा प्रावधान किया जाना चाहिए ताकि उनका परिवार फिर से आराम से अपना जीवन जी सके।”
उन्होंने कहा कि ऐसे प्रावधानों के अभाव में सेना डरी रहेगी, जिससे देश को कोई फायदा नहीं होगा। वे सिर्फ अपना काम करेंगे और समय को टालते रहेंगे। जब किसी का भविष्य सुरक्षित नहीं है तो कोई अपनी जान क्यों दे? वैसे भी इस देश में सैनिकों का भविष्य सुरक्षित नहीं है। अग्निवीर जैसी योजनाएं देश और युवाओं के लिए नुकसानदेह है।
अग्निपथ योजना की शुरुआत भारतीय सेना में युवाओं की भर्ती के लिए की गई थी। इस योजना के तहत युवाओं को अग्निवीर के पद पर भर्ती किया जाएगा। इस योजना के तहत न केवल भारतीय सेना में बल्कि वायु सेना और भारतीय नौसेना में भी भर्ती की जाएगी। हालांकि, इनकी भर्ती चार साल के लिए होगी और 4 साल के बाद 75 फीसदी युवाओं को घर भेज दिया जाएगा और सिर्फ 25 फीसदी युवाओं को ही स्थायी भर्ती दी जाएगी। साल 2022 में यह योजना लागू की गई थी।