दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट ने यूट्यूबर को रिहा करने का दिया आदेश, गुंडा एक्ट में गिरफ्तार किए गए थे ‘सवुक्कू’ शंकर

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को यूट्यूबर ‘सवुक्कू’ शंकर की रिहा करने का आदेश दिया है, जिसे तमिलनाडु पुलिस की तरफ से मई महीने में गुंडा एक्ट में गिरफ्तार किया गया था। बता दें कि ‘सवुक्कू’ शंकर को महिला पुलिस कर्मियों पर आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद गिरफ्तार किया गया था।

देश की शीर्ष अदालत ने यूट्यूबर ‘सवुक्कू’ शंकर को अंतरिम राहत दी है, जो फिलहाल गुंडा एक्ट के तहत कोयंबटूर सेंट्रल जेल में बंद है। इस मामले में न्यायाधीश सुधांशु धुलिया और एहानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि वह मामले का गुण-दोष के आधार पर फैसला नहीं करेंगे, क्योंकि मद्रास हाईकोर्ट इस मामले पर विचार कर रहा है।

‘HC की तरफ से मामला तय होने तक किया जाए रिहा’
इस सुनवाई के दौरान पीठ ने पक्षों की ओर से पेश वकीलों की दलीलें दर्ज कीं कि वे मामले की सुनवाई में तेजी लाने के लिए सोमवार या मंगलवार को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश या उचित पीठ के समक्ष मामला उठाएंगे। पीठ ने कहा कि हमारा निश्चित रूप से मानना है कि मामले में जो देरी हुई है, उसमें याचिकाकर्ता का कोई हाथ नहीं है। वहीं विशेष तथ्यों को देखते हुए, याचिकाकर्ता को तब तक रिहा किया जाना चाहिए जब तक कि हिरासत के खिलाफ मामला उच्च न्यायालय की तरफ से तय नहीं हो जाता, पीठ ने इस दौरान स्पष्ट किया कि उसका आदेश केवल निवारक हिरासत के मामलों से संबंधित है। पीठ ने इस दौरान साफ कि अगर याचिकाकर्ता किसी अन्य मामले में जेल में है, तो यह आदेश उस पर प्रभावी नहीं होगा।

सरकारी वकील ने दस्तावेजों को जाली बनाने का लगाया आरोप
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट मद्रास हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका के खिलाफ सुनवाई कर रही है, जिसमें यूट्यूबर ‘सवुक्कू’ शंकर की मां की तरफ से गुंडा अधिनियम के तहत उनकी हिरासत को चुनौती देते हुए दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को स्थगित कर दिया गया था। शुरुआत में, शीर्ष अदालत ने तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा से शंकर के खिलाफ नजरबन्दी की आवश्यकता के बारे में बताने को कहा, जिसमें लूथरा ने प्रस्तुत किया कि यूट्यूबर पर जाली दस्तावेज बनाने और दुर्भावनापूर्ण कार्य करने का आरोप लगा है।

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने सरकार से पूछे कई सवाल
इस मामले में पीठ ने तब पूछा कि, उसे हिरासत में कैसे रखा जा सकता है? क्या वह इस देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है? यह कोई साधारण नागरिक विवाद नहीं है, बल्कि नजरबन्द का मामला है। किसी की स्वतंत्रता दांव पर लगी है। वह दो महीने से अधिक समय से नजरबन्द है। शंकर की मां की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने कहा कि यूट्यूबर को केवल इस आशंका के आधार पर हिरासत में लिया गया था कि वह आपराधिक मामलों में जमानत पर बाहर आ जाएगा।

12 मई को ‘सवुक्कू’ शंकर पर लगा था गुंडा एक्ट
ग्रेटर चेन्नई के पुलिस आयुक्त संदीप राय राठौर के आदेश के आधार पर, साइबर अपराध (चेन्नई) पुलिस निरीक्षक की तरफ से 12 मई को गुंडा अधिनियम के तहत शंकर को हिरासत में लेने का आदेश दिया गया। चेन्नई पुलिस के प्रेस नोट के अनुसार, चेन्नई पुलिस की केंद्रीय अपराध शाखा/साइबर अपराध में शंकर के खिलाफ सात मामले लंबित हैं, जिनमें से तीन की जांच चल रही है, दो में आरोप पत्र दायर किए गए हैं और बाकी पर सुनवाई जारी है। ‘सवुक्कू’ शंकर को कोयंबटूर पुलिस ने 4 मई को दक्षिणी थेनी में एक यूट्यूब चैनल को दिए गए इंटरव्यू में महिला पुलिस कर्मियों/पुलिस अधिकारियों के बारे में कथित अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए गिरफ्तार किया था। बता दें कि गुंडा अधिनियम के तहत हिरासत में लिए गए व्यक्ति को एक साल की कैद हो सकती है।

 

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