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जीतन राम मांझी, ललन सिंह और चिराग पासवान को लेकर मोदी सरकार का बड़ा फैसला, क्या बिहार को मिलने वाला है ‘कुछ बड़ा’?

नीति आयोग में विभिन्न राज्यों और अलग-अलग दलों के सदस्य बनाए गए हैं, लेकिन बिहार के लिहाज जो सबसे महत्वपूर्ण है वह है तीन केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान, ललन सिंह, जीतन राम मांझी का इस आयोग में शामिल किया जाना. अब सवाल उठ रहा है कि क्या केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बिहार के विकास योजनाओं की पूरी जिम्मेदारी अब बिहार के नेताओं के हवाले कर दिया है? क्या बिहार को विशेष राज्य का दर्जा या विशेष पैकेज मिलना आसान हो जाएगा?

पटना.

 क्या अब बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिल जाएगा? क्या बिहार को विशेष राज्य का दर्जा की जगह विशेष पैकेज मिलेगा? ये सवाल एक बार तब फिर उभरकर सामने आ रहे हैं क्योंकि केंद्र सरकार ने नीति आयोग का पुनर्गठन किया है जिसमें बिहार से तीन केंद्रीय मंत्रियों को सदस्य बनाया है. केंद्र का यह फैसला बिहार के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. खास तौर पर यह निर्णय तब इसलिए भी खास हो जाता है जब केंद्र की सरकार से लगातार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा से लेकर विशेष पैकेज की मांग की जा रही है. बिहार के तीन मंत्रियों को इस आयोग में शामिल किये जाने को लेकर नेता से लेकर अर्थशास्त्री तक आशान्वित हैं कि आने वाले समय में बिहार के विकास के लिए यह फैसला मील का पत्थर साबित होगी.

दरअसल, केंद्र सरकार ने नीति आयोग (नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया कमिशन) का गठन 1 जनवरी 2015 को किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीति आयोग के अध्यक्ष हैं. बीते वर्षों में नीति आयोग ने देश की योजनाओं और अर्थ नीति से जुड़े कई अहम निर्णय लिए हैं. एक बार फिर नीति आयोग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ी पहल करते हुए इस बार एनडीए के सहयोगियों को भी इसमें भरपूर जगह दी है. ऐसे तो इसमें विभिन्न राज्यों और दलों के सदस्य बनाए गए हैं, लेकिन बिहार के लिहाज जो सबसे महत्वपूर्ण है वह है तीन केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान, ललन सिंह, जीतन राम मांझी का इस आयोग में शामिल किया जाना.

बिहार के तीन केंद्रीय मंत्रियों को नीति आयोग के सदस्य बनाए जाने को बिहार के वरिष्ठ मंत्री अशोक चौधरी ने बिहार के लिए बेहद महत्वपूर्ण बताया है. अशोक चौधरी ने कहा कि बिहार की एनडीए सरकार के मुखिया नीतीश कुमार जी केंद्र की सरकार से लगातार बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग कर रहे हैं, ताकि बिहार तेज गति से विकास कर सके. अशोक चौधरी ने कहा कि नीतीश जी लगातार बिहार को विकसित कर रहे हैं, बावजूद इसके बिहार तेज गति से विकास नहीं कर पा रहा है, ऐसे में अगर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा या विशेष पैकेज मिलता है, तो बिहार बहुत जल्द विकसित राज्य बनने की ओर अग्रसर हो जाएगा.

अशोक चौधरी कहते हैं कि अब जब केंद्र और बिहार में एनडीए की सरकार है और नीति आयोग का पुनर्गठन करते हुए इसमें बिहार के तीन वरिष्ठ नेताओं और अनुभवी नेताओं को सदस्य बनाया गया है, तब बिहार की मांग को मजबूती से उठाया जाएगा. उम्मीद है बिहार को इसका फायदा भी मिलेगा. दरअसल, नीति आयोग ने पहले ये रिपोर्ट दिया था कि किसी भी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाता है और उसके लिए जो मापदंड तय किया जाता है, जिससे राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा दिया जा सके, उन मापदंडों के आधार पर बिहार खरा नहीं उतरता है. इस वजह से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता है.

नीति आयोग की इस रिपोर्ट के बाद बिहार के तमाम राजनीतिक दलों ने सवाल उठाते हुए मांग उठाई थी कि मापदंडों में बदलाव किया जाए, ताकि बिहार जैसे पिछड़े राज्य को विशेष राज्य का दर्जा दिया जा सके और बिहार का तेज गति से विकास हो सके. हालांकि, केंद्र सरकार अब तक इस मुद्दे को लेकर स्पष्ट राय रखती आई है कि वर्तमान नियमों के अनुसार, बिहार को विशेष राज्य का दर्जा संभव नहीं है. बिहार के जाने माने अर्थ शास्त्री नवल किशोर चौधरी नीति आयोग के पुनर्गठन होने और बिहार के तीन वरिष्ठ नेताओं को उसका सदस्य बनाए जाने को महत्वपूर्ण बताते हैं.

नवल किशोर चौधरी कहते हैं कि नीति आयोग के पुनर्गठन होने से ये उम्मीद तो बढ़ती है कि बिहार जैसे राज्यों के लिए जो मापदंड तय किए गए हैं उसमें बदलाव कर बिहार के विकास के लिए विशेष राज्य का दर्जा या विशेष पैकेज की मदद बिहार को दिया जा सके. ये माकूल समय है जब केंद्र और बिहार में एनडीए की सरकार है और केंद्र में जदयू की धमक भी है. अब तीन तीन सदस्य भी बिहार से बने है जो मजबूती से मांग उठा सकते हैं और इसका फ़ायदा भी मिलना मुझे तय लगता है.

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