10 साल से हमारी सरकार… राज्यसभा में पीएम नरेंद्र मोदी बोले, ‘अभी 20 साल और बाकी हैं’

राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन के दौरान विपक्षी सांसदों ने जमकर हंगामा किया. इतना ही नहीं विपक्ष के अधिकांश सांसद चर्चा को बीच में ही छोड़कर सदन से बाहर चले गए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान हुए भारी हंगामे के बाद आज राज्य सभा में विपक्षी सांसदों ने जमकर हंगामा काटा. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के लिए अपनी बात रखने आए नरेंद्र मोदी ने जैसे ही बोलना शुरू किया, विपक्षी सांसदों ने शोर मचाना शुरू कर दिया.
विपक्ष के काफी शोर-शराबे के बीच पीएम मोदी ने अपना भाषण जारी रखा. उन्होंने कहा कि साठ साल बाद देश की जनता ने तीसरी बार किसी सरकार की सत्ता में वापसी कराई है जो असामान्य है. उन्होंने कहा कि हम पर एक-तिहाई सरकार होने का विपक्ष का आरोप सही है, क्योंकि अभी तो हमारी सरकार के 20 साल और होंगे और अब तक तो एक-तिहाई ही हुआ है.
नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश की जनता ने दुष्प्रचार को, भ्रम की राजनीति को परास्त कर दिया और भरोसे की राजनीति पर विजय की मुहर लगाई है. उन्होंने कहा- “मेरे जैसे लोग हैं जिन्हें बाबासाहेब आंबेडकर के संविधान के कारण यहां तक आने का मौका मिला है. संविधान हमारे लिए केवल अनुच्छेदों का संकलन नहीं है, हम उसके एक-एक शब्द और भावनाओं का आदर करते हैं. जब हम संविधान निर्माण के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं तो देश के कोने-कोने में इसका उत्सव मनाने का हमने फैसला किया है.”
प्रधानमंत्री जब किसानों से जुड़ी योजनाओं के बारे में बता रहे थे, विपक्षी सांसद अपनी सीट छोड़कर शोर माचते हुए सभापति की कुर्सी के नजदीक आ गए. राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ शोर मचाने वाले सांसदों को लगातार शांत रहने की बात कहते रहे. विपक्षी सांसद सदन छोड़कर बाहर की ओर जाने लगे. इस पर पीएम मोदी ने कहा कि झूठ फैलाने वालों में सत्य सुनने की आदत भी नहीं होती. सांसदों द्वारा सदन छोड़े जाने पर नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये सांसद देश के उच्च सदन को अपमानित कर रहे हैं. यह कहकर प्रधानमंत्री अपनी सीट पर बैठ गए.
भारतीय संविधान को पीठ दिखाई है
विपक्षी सांसदों के इस व्यवहार पर राज्यसभा के सभापति और उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा- “अत्यंत दर्दनाक, पीड़ादायक, अमर्यादित आचरण देखकर मैं दुखी हूं. शासन 6 दशक के बाद निरंतर तीसरे कार्यकाल में है. मैंने अनुरोध किया, चर्चा की और प्रतिपक्ष के नेता को बिना रोक-टोक बोलने का अवसर दिया. आज वो सदन छोड़कर नहीं गए, मर्यादा छोड़कर गए हैं. आज उन्होंने मुझे पीठ नहीं दिखाई है. भारतीय संविधान को पीठ दिखाई है. आज उन्होंने मेरा या आपका अनादर नहीं किया है, उस शपथ का अनादर किया है जो संविधान के तहत ली है. भारत के संविधान की इससे बड़ी अपमानित बात नहीं हो सकती. ऐसा कैसे हो सकता है उच्च सदन में हमें देश का मार्गदर्शन करना है. मैं उनके आचरण की भर्त्सना करता हूं. देश के 140 करोड़ लोग इससे आहत होंगे. सदन का मतलब है सत्ता पक्ष की बात सुनो, जब आपने अपनी पूरी बात कह दी.”