Bombay High Court: बंबई उच्च न्यायालय ने कहा कि इस पर भरोसा करना मुश्किल है कि दो राज्यों महाराष्ट्र और राजस्थान की पुलिस मशीनरी एक महिला का पता लगाने में असमर्थ है। अदालत महिला के पति की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
मुंबई
बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को एक महिला का पता लगाने में सतही जांच के लिए महाराष्ट्र पुलिस को फटकार लगाई। महिला तीन महीने पहले अपने बच्चे को छोड़कर राजस्थान जाने के बाद लापता हो गई थी।
न्यायमूर्ति भारती डांगरे और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की खंडपठ ने कोल्हापुर के पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया कि वह राजस्थान के जालोद में अपने समकक्षों के साथ समन्वय करें और यह सुनिश्चित करें कि महिला का पता लगाया जाए और 20 जून को अदालत में पेश किया जाए।
पीठ ने कहा कि इस पर भरोसा करना मुश्किल है कि दो राज्यों महाराष्ट्र और राजस्थान की पुलिस मशीनरी एक महिला का पता लगाने में असमर्थ है। पीठ कोल्हापुर की महिला के पति की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। पति ने दावा किया कि उसकी पत्नी को उसके पिता ने अपने पास रखा है, क्योंकि वह उनके अंतरजातीय विवाह को स्वीकार नहीं करते थे।
याचिका के मुताबिक, दंपति फरवरी 2022 में शादी के बंधन में बंधे और नवंबर 2023 में उनका एक बच्चा हुआ। इस साल फरवरी में महिला को परिवार के एक सदस्य ने बताया कि उसके पिता की तबीयत ठीक नहीं है। महिला अपने नवजात बेटे को पति के पास छोड़कर अपने पिता से मिलने राजस्थान चली गई। लेकिन जब वह वापस नहीं आई और जब उससे संपर्क न हो सका, तो व्यक्ति ने पुलिस में शिकायत दर्ज की और फिर अदालत में याचिका दायर की।
पिछले महीने उच्च न्यायालय ने कोल्हापुर पुलिस को निर्देश दिया था कि वह पीड़िता का पता लगाने के लिए राजस्थान जाए। मंगलवार को पुलिस के वकील ने अदालत को बताया कि पुलिस राजस्थान में महिला के घर गई थी। लेकिन वह वहां नहीं मिली। पुलिस ने महिला के दादा-दादी और पड़ोसियों के बयान दर्ज किए, जो घर में थे। हालांकि, पीठ ने कहा कि सिर्फ दादा-दादी के बयान दर्ज करना काफी नहीं है।
अदालत ने पूछा, क्या पुलिस को बताया जाना चाहिए कि पूछताछ कैसे करनी है? दादाजी ने कहा कि वह वहां नहीं है, इसलिए आप वापस आ गए? पीठ ने कहा कि पुलिस को उस बच्चे के बारे में विचार करना चाहिए, जो तीन महीने से अफनी मां के बिना है। यह भरोसा करना मुश्किल है कि दो राज्यों की पुलिस लड़की को ढूंढने में नाकाम रही है। यह अविश्वसनीय है। आपका (पुलिस) सीधा तरीका है। आप जाओ और दादा-दादी से पूछो। क्या यही तरीका है? पुलिस कब से सभ्य हो गई है?
पीठ ने कहा, अदालत के आदेश के बाद महिला और उसके माता-पिता के फोन बंद हैं। आप नहीं जानते कि इसका पता कैसे लगाया जाए? हमें लगा कि महाराष्ट्र की पुलिस सबसे अच्छी है। बिना मां के तीन महीने के बच्चे पर दया करो।
डोनेट करें -
जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर क्राइम कैप न्यूज़ को डोनेट करें.
