‘न्यायपालिका-कार्यपालिका में टकराव लोकतंत्र में संतुलन के लिए जरूरी’, जस्टिस कौल

न्यायमूर्ति कौल ने एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश का हवाला देते हुए कहा, ‘थोड़ा बहुत मतभेद अच्छा है, लेकिन यदि न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच चीजें बहुत अच्छी नहीं हैं, तो हमारे लिए यह एक समस्या है.’
नयी दिल्ली,
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश संजय किशन कौल ने शनिवार को कहा कि न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच थोड़ा बहुत मतभेद अच्छा है क्योंकि इससे लोकतंत्र में नियंत्रण और संतुलन बना रहता है। सांसदों को ‘संसद रत्न पुरस्कार’ प्रदान करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जस्टिस कौल ने कहा कि लोकतंत्र में नियंत्रण और संतुलन का संविधान में उल्लेख किया गया है जिसके तहत एक प्रशासन, एक विधायिका और अदालत का प्रावधान किया गया है।
जस्टिस कौल ने एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश का हवाला देते हुए कहा, ‘थोड़ा बहुत मतभेद अच्छा है लेकिन यदि न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच चीजें बहुत अच्छी नहीं हैं, तो हमारे लिए यह एक समस्या है।’ तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सौंदरराजन, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष हंसराज अहीर, गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। चेन्नई के गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘प्राइम प्वाइंट फाउंडेशन’ द्वारा शनिवार को संसद रत्न पुरस्कार भाजपा के सुधीर गुप्ता और सुकांत मजूमदार, शिवसेना के श्रीकांत एकनाथ शिंदे, कांग्रेस के कुलदीप राय शर्मा और राकांपा के अमोल कोल्हे को प्रदान किए गए। सत्रहवीं लोकसभा के लिए संसद महारत्न पुरस्कार आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन, कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी, भाजपा के विद्युत बरन महतो और हीना गावित को प्रदान किए गए। संसद उत्कृष्ट महारत्न पुरस्कार राकांपा की सुप्रिया सुले, शिवसेना के श्रीरंग अप्पा बर्णे और बीजद के भर्तृहरि महताब को दिए गए। भाजपा नेता पीसी गद्दीगौदर, भाजपा के जयंत सिन्हा और वाईएसआर कांग्रेस के विजयसाई रेड्डी की अध्यक्षता वाली परिवहन और पर्यटन समिति को संसद महारत्न पुरस्कार दिये गये।