‘केजरीवाल ने सिस्टम को मारा तमाचा’, ED ने SC में की खिंचाई, सिंघवी बोले- अगर ऐसा हो तो मैं केंद्र के मंत्री…

:सुप्रीम कोर्ट ने कहा, नहीं हमने सिर्फ यह कहा था कि वो अपनी भूमिका के बारे में नहीं बोलेंगे. इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि झाडू को अगर वोट दोगे तो मुझे जेल नहीं जाना पड़ेगा. इस पर केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि इस तरह से कहेंगे.
नई दिल्ली.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देनी वाली याचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता ने सिस्टम को तमाचा मारा है, वो अपने आप को वीआईपी समझते हैं, लेकिन हम बाकी लोगों की तरह ही देखते हैं. देखिए जेल से बाहर जाकर पहले ही दिन उन्होंने क्या कहा है, जबकि कोर्ट ने साफ कहा था कि वह इस केस के बारे में नहीं बोलेंगे.
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, नहीं हमने सिर्फ यह कहा था कि वो अपनी भूमिका के बारे में नहीं बोलेंगे. इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि झाडू को अगर वोट दोगे तो मुझे जेल नहीं जाना पड़ेगा. इस पर केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि इस तरह से कहेंगे, लेकिन अगर इसमें जाएंगे तो फिर मैं केन्द्र सरकार के एक बड़े मंत्री के बारे में हलफनामा दाखिल कर दूंगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह उनका असम्प्शन हो सकता है, हमें नहीं पता जो हमें सही लगा वो बोला है. हमारा आदेश साफ था कि हम किसी के लिए अपवाद नहीं बना रहे.
केजरीवाल की याचिका पर कोर्ट रूम में क्या हुआ? सुप्रीम कोर्ट लाइव
सुप्रीम कोर्ट: अगर इस मामले में अनुच्छेद 19 का उलंघन हुआ है तो अदालत दखल दे सकता है. इस मामले में इन्होंने पहले याचिका दाखिल की थी लेकिन हमने उस समय सुनवाई नहीं की थी.
ईडी: इस मामले में इससे पहले कभी भी रिमांड को चुनौती अरविंद ने नही दी थीं. हां, हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ उन्होंने मेंशन जरूर किया था.
सॉलिसिटर जनरल: जब अरविंद गिरफ्तार नहीं हुई थे तो उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. कोर्ट ने हमसे दस्तावेज मंगाये थे और उसको देखने के बाद अदालत ने राहत नहीं दी थी. हम इस मामले में मिनी ट्रायल का विरोध करते है.
सॉलिसिटर जनरल: पीएमएल की धारा 19 के तहत अथॉरिटी को यह तय करना चाहिए कि क्या ऐसी कोई मैटेरियल मौजूद है, जिसके लिए किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी की आवश्यकता है. उसे एविडेंस का मूल्यांकन करने की न्यायिक शक्तियों का प्रयोग नहीं करना चाहिए. गिरफ्तारी जांच का एक हिस्सा है.
एसजी मेहता ने कहा कि अगर किसी की शिकायत पर किसी शख्स को गिरफ़्तार किया जाता है, तो उनकी सीआरपीसी के आधार पर ही गिरफ्तारी होती है. इसके लिए वे सीधे संवैधानिक कोर्ट नहीं जाते हैं. अदालत को इस तरह उन दरवाजों को नही खोलना चाहिए. इसके भयानक परिणाम होंगे.
 
				 
					

 
 



