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न्यायमित्र की सिफारिश: तेज हो माननीयों के आपराधिक मुकदमों की सुनवाई, सुप्रीम कोर्ट जारी करे निर्देश

नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट में हंसारिया ने कहा, इन विशेष अदालतों के जजों के तबादले हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की सहमति से ही होने चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि किसी जज के तबादले के समय यह जरूर देखें कि उसके पास कोई मुकदमा ट्रायल में बहस पूरी होने के बाद अंतिम निर्णय के लिए लंबित न हो।

सांसदों-विधायकों पर लंबित आपराधिक मुकदमों की सुनवाई तेजी से करने के लिए खुद सुप्रीम कोर्ट निर्देश जारी करे, यह सिफारिश शीर्ष अदालत की तरफ से नियुक्त न्याय मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया ने अपनी रिपोर्ट में की है।उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि विशेष एमपी-एमएलए अदालतों में जजों की संख्या का मूल्यांकन भी संबंधित राज्यों की हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों से करवाएं। कोर्ट ने सांसदों व विधायकों पर दर्ज आपराधिक मुकदमों के जल्द निस्तारण में सहयोग के लिए उन्हें न्याय मित्र नियुक्त किया था।

 

 

सुप्रीम कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट में हंसारिया ने कहा, इन विशेष अदालतों के जजों के तबादले हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की सहमति से ही होने चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि किसी जज के तबादले के समय यह जरूर देखें कि उसके पास कोई मुकदमा ट्रायल में बहस पूरी होने के बाद अंतिम निर्णय के लिए लंबित न हो। तबादले करें, तो उसकी जगह दूसरे जज को भी तैनात करें, पद खाली न रखें। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले सभी हाईकोर्ट से अपने राज्य में सांसदों-विधायकों पर 5 साल से लंबित आपराधिक मुकदमों और इनके निस्तारण के लिए उठाए कदमों की की जानकारी मांगी थी।

हाईकोर्ट ने न्यायमित्र को बताए अपने-अपने राज्यों के हालात

आईटी सुविधाओं की कमी इसलिए सुनवाई में देरी  
11 अप्रैल को दिए हलफनामे में हाईकोर्ट ने बताया कि वह आईटी सुविधाओं की कमी से जूझ रही है। कनेक्टिविटी, लैपटॉप, बिजली बैक-अप, केंद्र की सुरक्षा आदि उसे नहीं मिले हैं। इससे एमपी-एमएलए पर दर्ज मुकदमों की सुनवाई में देरी हो रही है। न्याय मित्र ने विशेष एमपी-एमएलए अदालतों को एमपी-एमएलए के ही मुकदमे देखने देने का सुझाव दिया है।

मद्रास हाईकोर्ट : 50 मुकदमे 5 साल या ज्यादा पुराने
एमपी-एमएलए पर तमिलनाडु में कुल 249 मुकदमे हैं, जिनमें से 5 साल या उससे ज्यादा पुराने 50 मुकदमे हैं। वहीं पुडुचेरी में 23 मुकदमे, जिनमें से 12 में 5 साल या उससे ज्यादा वक्त से सुनवाई चल रही है। न्याय मित्र के अधिकतर सुझाव लागू करने के लिए प्रशासकीय निर्देश दिए।

बॉम्बे हाईकोर्ट : 28 फरवरी तक कुल 472 मुकदमे लंबित थे
हाईकोर्ट खुद इन मुकदमों के तेज निस्तारण के लिए निगरानी कर रही है। न्याय मित्र के सुझाव अनुसार सुनवाई में स्थगन नहीं दिए जा रहे हैं। बेहद जरूरी होने और परिस्थितियां नियंत्रण से बाहर होने पर ही स्थगन मिल रहे हैं।

पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट : कुल 158 मुकदमे
एमपी-एमएलए पर पंजाब में 100, हरियाणा में 49 और चंडीगढ़ में 9 आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं। हाईकोर्ट खुद सुनवाई की प्रगति पर नजर रख रही, जल्द सुनवाई के निर्देश दिए।

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट : 31 मार्च तक कुल 304 आपराधिक मुकदमे एमपी-एमएलए पर लंबित, 22 मुकदमे 5 वर्ष या उससे अधिक पुराने।

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट: हाईकोर्ट ने जल्द सुनवाई के लिए कदम उठाने का दावा किया, विजयवाड़ा की विशेष अदालत में मामले सुने जा रहे।

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