जबरन घसीटा जा रहा है…जावेद अख्तर ने आखिर हाई कोर्ट में जज से क्यों लगाई ये गुहार?
Javed Akhtar Defamation Case: जावेद अख्तर ने साल 2020 में कंगना रनौत के खिलाफ मानहानि का मुकदमा किया था. यह मामला मुंबई की मजिस्ट्रेट अदालत में चल रहा है. अब कंगना ने हाई कोर्ट में एक याचिका लगाई है, जिसपर जावेद ने अपनी आपत्ति दर्ज की.
मुंबई.
जावेद अख्तर द्वारा अभिनेत्री कंगना रनौत के खिलाफ किए गए मानहानि के मामले में मंगलवार को प्रसिद्ध गीतकार ने अपना बयान दर्ज कराया. बॉम्बे हाई कोर्ट के समक्ष कंगना रनौत ने एक याचिका लगाकर कहा था कि उनके खिलाफ इस मामले पर रोक लगाई जानी चाहिए. इसके जवाब में अख्तर ने कहा केवल उनके खिलाफ कार्रवाई में देरी करने के लिए अभिनेत्री ऐसी याचिका दायर कर रही है. यह पूरा मामला साल 2020 में एक टीवी चैनल पर प्रसारित कंगना रनौत के साक्षात्कार के दौरान जावेद अख्तर पर आपत्तिजनक टिप्पणी से जुड़ा है. निजी हमलों पर उन्होंने कंगना पर मानहानि का मुकदमा दर्ज किया था.
रनौत ने हाल ही में हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और अख्तर की शिकायत के आधार पर मुकदमे पर रोक लगाने की मांग की थी. उनकी याचिका में कहा गया था कि शिकायत और अख्तर की शिकायत दोनों एक ही घटना से उपजी हैं और इसलिए परस्पर विरोधी निर्णयों से बचने के लिए उन पर एक साथ मुकदमा चलाया जाना चाहिए. अख्तर के हलफनामे में याचिका का विरोध किया है. तर्क दिया गया है कि इस मामले में रनौत के पास हाई कोर्ट के रिट क्षेत्राधिकार को लागू करने का कोई आधार नहीं है. उन्होंने दावा किया कि रनौत की याचिका अंधेरी मजिस्ट्रेट के समक्ष कार्यवाही में देरी के लिए दायर की गई है.
हाई कोर्ट ने क्या लिया फैसला?
अख्तर ने आगे बताया कि हाई कोर्ट के समक्ष रनौत की याचिका में अनुरोध अस्पष्ट और अस्थिर था. हलफनामे में बताया गया, “रनौत किसी अदालत द्वारा पारित किसी न्यायिक आदेश को चुनौती नहीं दे रही हैं, बल्कि पूरी रिट याचिका निचली अदालतों में लंबित कार्यवाही के अनुचित आशावाद के साथ-साथ धारणाओं और अनुमानों पर आधारित है.” दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की खंडपीठ ने हाई कोर्ट की रजिस्ट्री को यह सत्यापित करने का निर्देश दिया कि क्या मामले की सुनवाई एकल पीठ या खंडपीठ द्वारा की जानी चाहिए.