सभी राज्य

बिहार : जो कांग्रेस ‘बचाने’ आए थे, वे अपनी सीट नहीं बचा सके, लालू के दांव से चित हुए पप्पू यादव-कन्हैया कुमार

वामदलों की पृष्ठभूमि से कांग्रेस में आए और एक महत्वपूर्ण पद पर काम कर रहे एक नेता ने अमर उजाला को कहा कि शुक्रवार 29 मार्च को हुए बिहार महागठबंधन के सीट बंटवारे में लालू प्रसाद यादव ने उस बेगूसराय सीट को सीपीआई को सौंप दिया है, जहां से कन्हैया कुमार लोकसभा चुनाव में उतरना चाहते थे…

जेएनयू में लोकप्रिय छात्र नेता बनकर उभरे कन्हैया कुमार ने 28 सितंबर 2021 को कांग्रेस की सदस्यता ली थी। कांग्रेस ने कन्हैया कुमार को कितनी गंभीरता से लिया था, इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनकी कोई बड़ी राजनीतिक पहचान न होने के बाद भी स्वयं राहुल गांधी उन्हें पार्टी में शामिल कराने के लिए पहुंचे थे। राहुल गांधी से मुलाकात के बाद जब कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने उन्हें पार्टी मुख्यालय में पार्टी का पटका पहनाया था, कन्हैया कुमार ने कहा था, वे कांग्रेस को ‘बचाने’ आए हैं।

जब पत्रकारों में उनके ‘कांग्रेस को बचाने’ के बयान पर खुसर-फुसर शुरू हो गई, तब कन्हैया कुमार को महसूस हुआ कि वे शायद कुछ ‘ज्यादा’ बोल गए हैं। तब उन्होंने अपनी बात को संभालते हुए कहा कि वे ‘सबके प्रयास और सबके साथ’ से भाजपा को सत्ता से हटाने और कांग्रेस को बचाने की बात कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा-कांग्रेस के बीच 200 से ज्यादा सीटों पर सीधा मुकाबला था। वे इन्हीं सीटों पर कांग्रेस को मजबूत करने का काम करेंगे।

चूंकि, जिस दिन कन्हैया कुमार कांग्रेस में शामिल हुए थे, ठीक उसी दिन सुबह ही नवजोत सिंह सिद्धू ने नाराजगी जाहिर करते हुए पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने का एलान तक कर दिया था। इसलिए जब शाम तक कन्हैया कुमार, जिग्नेश मेवाणी और हार्दिक पटेल ने कांग्रेस में आने की घोषणा की, इसे पार्टी के लिए कुछ राहत के तौर पर देखा गया था। (हालांकि जिग्नेश मेवाणी तकनीकी कारणों से कांग्रेस में शामिल नहीं हो पाए, लेकिन उन्होंने अपना समर्थन दिया और यही संदेश दिया कि वे अगला चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ेंगे)। पार्टी का मानना था कि यदि नवजोत सिंह सिद्धू जैसे लोग कांग्रेस से दूर जा रहे हैं, तो जिन युवाओं को लोकतंत्र की चिंता है, वे कांग्रेस की तरफ आ भी रहे हैं। कहा गया कि इन्हीं युवाओं के सहारे राहुल गांधी अपनी नई कांग्रेस खड़ी करेंगे और भाजपा को चुनौती देंगे।

पप्पू यादव ने भी कही ये बात

इसी प्रकार जब पप्पू यादव ने अपनी जन अधिकार पार्टी का कांग्रेस में विलय किया, उन्होंने कांग्रेस को मजबूत करने की बात कही थी। हालांकि, अब उनकी दावेदारी वाली पूर्णिया लोकसभा सीट सहित सुपौल और मधेपुरा भी राजद के खाते में जा चुकी है। यानी पप्पू यादव के लिए कोई वैकल्पिक सीट भी नहीं छोड़ी गई है, जहां से वे अपनी किस्मत आजमा सकें।

कांग्रेस में चर्चा है कि यह सब अकारण नहीं हो रहा है। कन्हैया कुमार और पप्पू यादव की दावेदारी वाली सभी सीटों का राष्ट्रीय जनता दल के पास चले जाना, एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। पर्दे के पीछे इस खेल के असली खिलाड़ी के तौर पर लालू प्रसाद यादव को देखा जा रहा है।

बेगूसराय सीपीआई के खाते में क्यों?

वामदलों की पृष्ठभूमि से कांग्रेस में आए और एक महत्वपूर्ण पद पर काम कर रहे एक नेता ने  कहा कि शुक्रवार 29 मार्च को हुए बिहार महागठबंधन के सीट बंटवारे में लालू प्रसाद यादव ने उस बेगूसराय सीट को सीपीआई को सौंप दिया है, जहां से कन्हैया कुमार लोकसभा चुनाव में उतरना चाहते थे। इससे कन्हैया कुमार की राजनीतिक पारी को बड़ा नुकसान होगा। इसके साथ-साथ कांग्रेस को भी बिहार में लंबे समय में नुकसान होगा। यानी इस सीट बंटवारे से पार्टी को बिहार में मजबूत करने की संभावनाएं कमजोर हुई हैं। कांग्रेस की नाव डूबने से बचाने आए कन्हैया कुमार अपनी बेगूसराय सीट को भी सीपीआई के खाते में जाने से नहीं रोक पाए। कांग्रेस नेता के अनुसार, कन्हैया कुमार की सीट के लिए कांग्रेस नेतृत्व ने कोई लड़ाई नहीं लड़ी, इसके लिए उसे दोष दें या कन्हैया कुमार की कमजोरी को, लेकिन पार्टी को इसका बड़ा नुकसान होने वाला है।

लालू ने तेजस्वी की राह का कांटा हटाया

ज्वाइन करते समय भी कन्हैया कुमार के कांग्रेस में आने और पार्टी के निर्णयों पर राहुल गांधी के निर्णय पर प्रश्न खड़े हुए थे। तब यही कहा गया था कि बिहार में लालू यादव हमेशा कांग्रेस के बड़े भाई की भूमिका में रहते हैं। लेकिन लालू के बाद जब राजद की कमान तेजस्वी यादव जैसे नेता के हाथ में आएगी, तब बिहार में कांग्रेस की कमान कन्हैया कुमार जैसे युवा लोकप्रिय और तेजतर्रार चेहरे के हाथ में होगी। कहा यही गया कि भविष्य में बिहार में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए पार्टी कन्हैया कुमार जैसे चेहरों पर दांव लगा रही है। लेकिन कन्हैया कुमार की बेगूसराय सीट सीपीआई के खाते में जाने से फिलहाल पार्टी को राज्य में झटका लगा है।

बेटे का रास्ता तैयार कर रहे लालू यादव- विशेषज्ञ

राजनीतिक विश्लेषक विवेक सिंह ने  कहा कि यूपी-बिहार में कांग्रेस फिलहाल इतनी कमजोर स्थिति में आ चुकी है कि उसे एक-दो सीट जीतने के लिए भी लालू प्रसाद यादव का साथ पाना अपरिहार्य है। कांग्रेस की इसी मजबूरी का लाभ उठाकर लालू प्रसाद यादव किसी ऐसे चेहरे को खड़ा नहीं होने देना चाहते, जो कल तेजस्वी यादव के लिए चुनौती बन सके। चूंकि, कांग्रेस भी उन्हीं मुद्दों की राजनीति करती है, जिस मुद्दे के सहारे आरजेडी की राजनीति चल रही है, यदि बिहार में कोई बड़ा यादव नेता उभरता है, तो बाद में तेजस्वी यादव को चुनौती मिल सकती है। संभवतः यही कारण है कि पप्पू यादव से मुलाकात करने के बाद भी लालू प्रसाद यादव ने उनकी कोई सीट कांग्रेस के पास नहीं छोड़ी।

विवेक सिंह ने कहा कि बातचीत में तेजतर्रार कन्हैया कुमार को उनकी पूर्व पार्टी सीपीआई के नेताओं ने ही स्वीकार नहीं किया था, क्योंकि उन्हें लग रहा था कि कन्हैया के ज्यादा प्रासंगिक होने से वे स्वयं अप्रासंगिक हो जाएंगे। अब उनके सामने कांग्रेस में भी वही स्थिति आ गई है। जबकि असलियत यह है कि बिहार में प्रभावी नेतृत्व की कमी से जूझ रही कांग्रेस के लिए ये दोनों नेता ज्यादा उपयोगी साबित हो सकते हैं। कांग्रेस को अपने भविष्य के लिए इन्हें बिहार में मजबूत करने की हर संभव कोशिश करनी चाहिए।

पिछले कुछ चुनावों का अनुभव यही बताता है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को देखने के लिए यूपी-बिहार में खूब भीड़ आती है, लेकिन जब वोट देने का मामला सामने आता है, तो जनता दूसरा विकल्प तलाशती है। इसकी सबसे बड़ी कमी प्रभावी स्थानीय नेतृत्व के रूप में दिखाई पड़ती है, जिसके असर में आकर लोग वोट करते हैं। यदि कांग्रेस को यूपी-बिहार में खड़े होना है, तो उसे मजबूत छत्रप विकसित करने होंगे।

अपने परिवार से आगे नहीं देख पाते लालू- भाजपा

भाजपा प्रवक्ता जयराम विप्लव ने  कहा कि लालू प्रसाद यादव अपनी पूरी राजनीतिक यात्रा में कभी परिवार से आगे नहीं देख पाए। जब सांसद-विधायक बनाने की बात आती है, तो सबसे पहले अपने बेटे-बेटी, साले और परिवार के अन्य लोग उन्हें दिखाई पड़ते हैं। जब मुख्यमंत्री बनाने की बात आई, तो उन्हें अपनी पत्नी के अलावा किसी दूसरे पर भरोसा नहीं रहा। उन्होंने कहा कि नीतीश पर भी वे अपने बेटे को जल्द से जल्द मुख्यमंत्री बनाने का दबाव दे रहे थे, जिसके कारण नीतीश उनकी असलियत से वाकिफ होकर एनडीए में आए।

जयराम विप्लव ने कहा कि लालू यादव बिहार में अपनी विचारधारा के बीच किसी दूसरे यादव नेता को उभरने नहीं देते। यही कारण है कि पप्पू यादव के प्रभाव वाली सीटों पर से कांग्रेस का कब्जा खत्म करा दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को यह समझ नहीं आ रहा है कि बिहार से लेकर महाराष्ट्र तक I.N.D.I गठबंधन के दल उसकी जमीन पर अपनी राजनीति खड़ी कर रहे हैं। भाजपा नेता का दावा है कि भारत को कांग्रेस मुक्त करने का काम भाजपा नहीं, बल्कि उसके सहयोगी दल ही कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के आत्मघाती निर्णयों (बिहार के सीट बंटवारे पर) से इससे कांग्रेस धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगी।

डोनेट करें - जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर क्राइम कैप न्यूज़ को डोनेट करें.
 
Show More

Related Articles

Back to top button