महाराष्ट्र

‘एक वर्ग के नागरिकों के लिए सफाई का काम बाकियों को गुलामी में…’, बॉम्बे हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी

बॉम्बे हाईकोर्ट ग्रेटर मुंबई नगर निगम द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें औद्योगिक न्यायाधिकरण द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती दी गई थी।

मुंबई

बॉम्बे हाईकोर्ट ने नगर निकाय से जुड़े 580 कर्मचारियों को लेकर एक बड़ी राहत दी है। अदालत ने शहर के नगर निकाय विभाग को आदेश दिया है कि वह अपने 580 कर्मचारियों को स्थायी तौर पर रखे और उन्हें सभी लाभ मुहैया कराए। साथ ही टिप्पणी की कि कल्याणकारी राज्य में एक वर्ग के नागरिकों के लिए सफाई का काम बाकियों को गुलामी में फंसाकर नहीं किया जा सकता है।

न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की एकल पीठ ने पिछले साल नवंबर में एक आदेश दिया था, जो गुरुवार को उपलब्ध कराया गया। इस फैसले में कहा गया है कि पर्यावरण को स्वच्छ करने के नागरिकों के मौलिक अधिकार को कर्मचारियों के मौलिक अधिकारों को हल्के में लेकर हासिल नहीं कर सकते हैं।

यह है मामला
बॉम्बे हाईकोर्ट ग्रेटर मुंबई नगर निगम (एमसीजीएम) द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें औद्योगिक न्यायाधिकरण द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें 580 अस्थायी कर्मचारियों के लिए पदों के सृजन का निर्देश दिया गया था। अधिकरण ने निगम को 580 कर्मचारियों को स्थायी घोषित करने और उन्हें सभी लाभ देने का निर्देश दिया था।

कर्मचारी संगठन ‘कचर वाहतुक कर्मचारी संघ’ ने नगर निगम से अपने 580 सदस्यों को स्थायी कर्मचारी बनाने की मांग की थी। वे सार्वजनिक सड़कों की सफाई और कचरे के संग्रह और परिवहन का काम करते हैं।

एमसीजीएम की याचिका रद्द
हाईकोर्ट ने एमसीजीएम की याचिका रद्द कर दी। साथ ही कहा कि अगर न्यायाधिकरण का आदेश रद्द किया जाता है तो यह ‘न्याय का उपहास’ करना होगा। पीठ ने कहा कि मुंबई को स्वच्छ रखने के लिए नगर निकाय के पास अधिकार है और शहर में ‘कर’ देने वाले लोगों को स्वच्छ वातावरण का मौलिक अधिकार है।

अदालत ने कहा कि यह मौलिक अधिकार और अनिवार्य कर्तव्य कर्मचारियों के मौलिक अधिकारों को बुनियादी मानव गरिमा के अधीन करके प्राप्त नहीं किया जा सकता है। कल्याणकारी राज्य में एक वर्ग के नागरिकों के लिए सफाई का काम बाकियों को गुलामी में फंसाकर नहीं किया जा सकता है।

1996 से नागरिक निकाय के साथ काम कर रहे कर्मचारी
हाईकोर्ट ने कहा कि 580 कर्मचारी, जो शहर में काम करते हैं उन्हें स्थायी करने की बजाय, नागरिक निकाय ने अपनी प्रमुख स्थिति का लाभ उठाया है। कर्मचारी संघ ने दावा किया था कि ये 580 कर्मचारी समाज के हाशिए के वर्ग के हैं और उन्हें न्यूनतम सुविधाओं तक कोई पहुंच नहीं है। इसमें कहा गया है कि उनमें से कुछ चिकित्सा और स्वास्थ्य बीमा जैसे किसी भी लाभ के बिना 1996 से नागरिक निकाय के साथ काम कर रहे हैं।

कोर्ट ने कहा कि ये 580 व्यक्ति 1996-1999 से आज तक लगातार नगर निगम में काम कर रहे हैं। स्थायी कर्मचारियों को सभी सुविधाएं और कार्यकाल की सुरक्षा प्रदान की जाती है, जबकि इन 580 कर्मचारियों के काम करने और रहने की स्थिति दयनीय है।

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