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जजों की नियुक्ति के विवाद में न पड़ें कानून मंत्री कॉलेजियम जिन जजों की नियुक्ति करता है उन्हें राष्ट्रपति ही मंजूर करते हैं:सुब्रमण्यम स्वामी

जजों की नियुक्ति के विवाद में न पड़ें कानून मंत्री, स्वामी बोले- वो मोदी सरीखे अंदाज में चलाना चाहते हैं न्यायपालिका

उनका कहना है कि कानून मंत्री का वक्तव्य बेहूदा है। कानून मंत्री कहते हैं कि कॉलेजियम उन जजों को नहीं चुनता है जिन्हें वो नहीं जानता है।

नई दिल्ली

बीजेपी के पूर्व सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कानून मंत्री किरेन रिजेजु को नसीहत देकर कहा है कि वो जजों की नियुक्ति के विवाद में न पड़ें। सुप्रीम कोर्ट का कॉलेजियम जिन जजों की नियुक्ति करता है उन्हें राष्ट्रपति ही मंजूर करते हैं। कुछ मामलों में वो कॉलेजियम की सिफारिशों को वापस भी लौटा सकता हैं। उनका कहना है कि कानून मंत्री का वक्तव्य बेहूदा है। कानून मंत्री कहते हैं कि कॉलेजियम उन जजों को नहीं चुनता है जिन्हें वो नहीं जानता है। स्वामी का कहना था कि कानून मंत्री उसी अंदाज में जजों की नियुक्ति करना चाहते हैं जैसे पीएम नरेंद्र मोदी अपनी कैबिनेट चुनते हैं।

ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट के साथ हाईकोर्ट्स के जजों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट का कॉलेजियम फैसले करता है। लेकिन फिलहाल इसे लेकर विवाद चल रहा है। इसे सरकार से सुप्रीम कोर्ट के टकराव के तौर पर देखा जा रहा है। कई पूर्व जस्टिस सरकार के दखल के बेमतलब का बता चुके हैं। वहीं कानून मंत्री किरेन रिजेजु कई मर्तबा कह चुके हैं कि न्यायपालिका में नियुक्ति सरकार के पास होनी चाहिए।

 

विवाद में हवा तब पड़ती दिखी जब शुक्रवार को उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बयान दिया। एक प्रोग्राम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा किराष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) अधिनियम को रद करने पर संसद में कोई चर्चा नहीं हुई। यह एक बहुत गंभीर मसला है। धनखड़ ने कहा कि संसद का कानून लोगों की इच्छा को दर्शाता है। लेकिन उसेसुप्रीम कोर्ट ने रद कर दिया। दुनिया को इसके बारे में जानकारी नहीं है।

उपराष्ट्रपति ने संविधान के प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि जब कानून से संबंधित कोई बड़ा सवाल शामिल हो तो अदालतें भी इस मुद्दे पर गौर कर सकती हैं। लेकिन संविधान की प्रस्तावना में संसद लोगों की इच्छा को दर्शाती है। खास बात है कि धनखड़ ने जब ये बात कही तब सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ भी उस प्रोग्राम में शरीक थे। उनके बयान को सीधे तौर पर न्यायपालिका को एक नसीहत के तौर पर देखा जा रहा है।

उधर शुक्रवार को ही सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने सरकार पर तल्ख टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि मौजूदा कॉलेजियम प्रणाली को कुछ ऐसे लोगों के बयानों के आधार पर बेपटरी नहीं किया जाना चाहिए। ऐसे लोग जो दूसरों के कामकाज में ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं।

 

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