भारत का वो साधु जिसे गिरफ्तार करने के लिए अमेरिका ने भेजी सेना, 17 दिन जेल में रख दिया जहर!
‘रजनीशपुरम’ में ओशो के शिष्यों की तादाद बढ़ने लगी. हर जगह मैरून या नारंगी ड्रेस पहने, गले में लकड़ी की लॉकेट डाले उनके शिष्य नजर आने लगे, लेकिन अमेरिकी प्रशासन…
ओशो के नाम से मशहूर आचार्य रजनीश (Acharya Rajneesh Osho) मई 1981 में अमेरिका चले गए. अपने साथ 2000 से ज्यादा शिष्यों को भी ले गए. हवाई जहाज की सारी फर्स्ट क्लास सीटें उनके शिष्यों और करीबी लोगों के लिए आरक्षित थीं. अमेरिका के ओरेगेन स्टेट (Oregon) में अपने आश्रम ‘रजनीशपुरम’ की नींव रखी. यह आश्रम 65 हजार एकड़ में फैला था. डिजाइनर रॉब पहने, लंबी दाढ़ी वाले ओशो को धड़ल्ले से अंग्रेजी में प्रवचन देते देख देख अमेरिकी दंग रह गए.
‘रजनीशपुरम’ में उनके शिष्यों की तादाद बढ़ने लगी. हर जगह मैरून या नारंगी ड्रेस पहने, गले में लकड़ी की लॉकेट डाले ओशो के शिष्य नजर आने लगे.
ओशो पर क्या आरोप लगा?
ओशो के शिष्यों ने ओरेगॉन के रजनीशपुरम आश्रम को एक शहर के तौर पर रजिस्टर्ड कराने का प्रयास भी किया, लेकिन स्थानीय लोगों ने इसका तीखा विरोध किया. इस बीच ओशो अमेरिकी पुलिस-प्रशासन की निगाह में आ गए. उन पर प्रवासी नियमों को तोड़ने का आरोप लगा. 1985 के उत्तरार्द्ध में अमेरिकी सरकार ने सैन्य स्तर पर रजनीशपुरम को तबाह करने की योजना बनाई.
ओशो को ओरेगन स्थित रजनीशपुरम आश्रम
गिरफ्तार करने को भेजी सेना
शशिकांत सदैव अपनी किताब ‘ओशो की जीवन यात्रा’ में लिखते हैं कि चूंकि पुलिस और कोर्ट अन्यायपूर्ण कार्य नहीं कर सकते थे, इसलिए थलसेना और वायुसेना को तैनात किया गया. रजनीशपुरम को चारों ओर से मिलिट्री द्वारा घेर लिया गया. उस वक्त ओशो प्रवचन दे रहे थे. फाइटर जेट और बमवर्शक विमान छत से सिर्फ 20 फिट ऊपर से उड़ान भरने लगे, ताकि उनकी तेज गड़गड़ाहट की आवाज से प्रवचन में बाधा पड़े और श्रोताओं में दहशत फैल जाए. माहौल ऐसा बन गया कि लगने लगा कि बम अब गिरा कि तब गिरा. सरकार को उम्मीद थी कि ओशो डर जाएंगे, और अपना प्रवचन बंद कर देंगे. उनके शिष्य शहर छोड़ भागने लगेंगे. दो-चार दिन में सब खाली हो जाएगा.
पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. कई सप्ताह तक आतंकित करने का षड्यंत्र चलता रहा. केवल इतना ही होता था कि विमान की तेज आवाज के समय ओशो रुक जाते, एकाध मिनट बाद, जहां चर्चा छोड़ी थी, वहीं से पुनः बोलना आरंभ कर देते. जैसे कुछ हुआ ही नहीं. बड़ा चमत्कार यह था कि उनके लगभग 5000 शिष्य- शिष्याएं भी वैसे ही निडर होकर डटे रहे.
ओशो को अमेरिकी प्रशासन ने गिरफ्तार कर लिया था.
अमेरिकी सरकार डालने लगी दबाव
शशिकांत लिखते हैं कि अमेरिकी संविधान के मुताबिक किसी शहर से इतना नीचा (महज 20 फिट नीचे) विमान उड़ाना गैर-कानूनी है. अखबारों में और टेलीविजनों पर यह खबर चलने लगी. इसके बावजूद प्रशासन की मंशा नहीं बदली. अमेरिका में जब उनके वकीलों को साफ हो गया कि सरकार किसी भी हालत में रजनीशपुरम को नेस्ता-नाबूद करेगी, चाहे पांच हजार लोगों की सामूहिक हत्या ही क्यों न करनी पड़े. सरकारी वकील ने संदेश भेजा कि इससे बचने का एक उपाय है, यदि ओशो समझौता कर लें और झूठ बोलने को तैयार हो जाए कि उन्होंने 35 में से कोई एक अपराध किया है तो उन्हें देश-निकाला दिया जाएगा, पर हजारों निर्दोष शिष्य-शिष्याओं की जानें बच सकेंगी.
17 दिन जेल में रहे ओशो
आखिरकार ओशो (Osho Arrest in America) को गिरफ्तार कर लिया गया. शशिकांत लिखते हैं कि अमेरिकी संविधान की धज्जियां उड़ाते हुए बिना किसी अरेस्ट वॉरंट के ओशो को गिरफ्तार कर जेल में बंद कर दिया गया. जेल में उन्हें ‘थेलियम’ नामक धीमा जहर दिया गया और रेडिएशन से गुजारा गया. ओशो, कुल 17 दिन अमेरिकी जेल में रहे. जेल से निकले तब भी उनका रुख नहीं बदला, बल्कि अमेरिकी सरकार की और तीखी आलोचना की.
आचार्य रजनीश ओशो 17 दिन अमेरिकी जेल में रहे.
ओशो (Osho) ने कहा कि इन बेवकूफों (अमेरिकी सरकार) को मुझे वीजा देने का कोई हक नहीं. ये सब उतने ही विदेशी हैं, जितना मैं. बस फर्क इतना है कि ये 300 वर्ष पूर्व आए मैं चार वर्ष पूर्व आया. और ये लुटेरे हैं. इन्होंने चौदह डॉलर में न्यूयॉर्क को खरीद लिया था, मैंने तो उस बेकार पड़ी जमीन को उचित कीमत देकर खरीदा.
21 देशों ने लगा दिया था बैन
अमेरिका में 4 साल बिताने के बाद साल 1985 ओशो भारत वापस लौट आए. उन्होंने अमेरिका के अलावा कई और देशों में जाने की कोशिश की, लेकिन सबने इनकार कर दिया. ‘ओशो की जीवन यात्रा’ के मुताबिक ऐसे 21 देश थे, जिन्होंने ओशो को अपने यहां का वीजा या शरण देने से इनकार कर दिया.