दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट:सेवानिवृत्ति के पांच माह बाद विस्तृत आदेश देने पर कोर्ट नाराज, कहा- पद छोड़ने के बाद फाइल रखना घोर अनुचित

जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्ल भुइयां की पीठ ने कहा कि आदेश का ऑपरेटिव हिस्सा 17 अप्रैल, 2017 को सुनाया गया था। सेवानिवृत्त होने से पहले जज के पास पांच हफ्ते का समय था विस्तृत निर्णय जारी करने के लिए।
नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने एक आपराधिक मामले में एक पंक्ति का आदेश सुनाने और सेवानिवृत्त होने के पांच महीने बाद विस्तृत निर्णय जारी करने के लिए मद्रास हाईकोर्ट के एक पूर्व जज की आलोचना की है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि पद छोड़ने के बाद पांच महीने तक मामले की फाइल को अपने पास रखना घोर अनुचित कार्य है। शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया। जस्टिस टी मतिवनन ने 26 मई, 2017 को कार्यालय छोड़ दिया और मामले में विस्तृत निर्णय उसी वर्ष 23 अक्तूबर को उपलब्ध कराया गया।
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्ल भुइयां की पीठ ने कहा कि आदेश का ऑपरेटिव हिस्सा 17 अप्रैल, 2017 को सुनाया गया था। सेवानिवृत्त होने से पहले जज के पास पांच हफ्ते का समय था विस्तृत निर्णय जारी करने के लिए।