संयुक्त परिवार प्रणाली की कमी पर बुजुर्गों का नहीं रखा जा रहा ध्यान : बॉम्बे हाईकोर्ट

संयुक्त परिवार प्रणाली को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि इसके खत्म होने से समाज में बुजुर्गों की स्थिति काफी दयनीय हो गई है। इसके कारण समाज में रह रहे बुजुर्गों की देखभाल ढंग से नहीं हो रही है। कोर्ट ने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल और सुरक्षा पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
मुंबई
संयुक्त परिवार प्रणाली को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट ने टिप्पणी की है। एक मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि संयुक्त परिवार प्रणाली (Joint Family System) खत्म होने के कारण समाज में बुजुर्गों की देखभाल नहीं हो पा रही है। गौरतलब है कि बॉम्बे हाईकोर्ट एक व्यक्ति द्वारा मां के बनाया हुआ मकान कब्जाने मामले में सुनवाई कर रहा था। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने व्यक्ति को मां के घर को खाली करने के आदेश दिए हैं, जिस पर उसने और उसकी पत्नी ने गैरकानूनी तरीके से कब्जा कर रखा था।
बुजुर्गों की देखभाल और सुरक्षा पर ध्यान देना होगा- कोर्ट
दो जजों की खंडपीठ ने कहा कि वर्तमान समय में उम्र बढ़ना एक बड़ी सामाजिक चुनौती बन गई है। वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल और सुरक्षा पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि संयुक्त परिवार प्रणाली के पतन होने के कारण बड़ी संख्या में समाज में बड़े बुजुर्गों की देखभाल उनके परिवार द्वारा नहीं की जा रही है। जिसके कारण कई बुजुर्ग व्यक्ति जीवन के अंतिम वर्ष अकेले बिताने को मजबूर हो रहे हैं। शारीरिक और वित्तीय सहायता की कमी के कारण बुजुर्ग भावनात्मक उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं।
‘बेटे ने मां को मजबूर किया घर छोड़ने के लिए’
वरिष्ठ नागरिक रखरखाव न्यायाधिकरण के अध्यक्ष के सितंबर 2021 के आदेश के खिलाफ दिनेश चंदनशिवे द्वारा दायर याचिका पर कोर्ट ने यह आदेश पारित किया था, जिसमें उन्हें अपनी बुजुर्ग मां लक्ष्मी चंदनशिवे के आवास को खाली करने की निर्देश दिए गए थे। बुजुर्ग महिला लक्ष्मी चंदनशिवे के मुताबिक, 2015 में उसके पति की मौत हो गई थी। उसके बाद बेटे और उसकी पत्नी उनसे मिलने आए। समय के साथ दोनों के व्यवहार में परिवरर्तन आने लगा। उत्पीड़न के बाद बुजुर्ग महिला ने घर छोड़ दिया। जिसके बाद महिला बड़े बेटे के साथ महाराष्ट्र के ठाणे में रहने लगी हैं।