धर्म

सकट चौथ पर क्यों करते हैं चंद्रमा की पूजा? जानें अर्घ्य देने की विधि, मंत्र और महत्व

 इस साल सकट चौथ का व्रत 29 जनवरी दिन सोमवार को है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं कि सकट चौथ पर चंद्रमा की पूजा क्यों करते हैं? सकट चौथ पर चंद्रमा को अर्घ्य देने की विधि क्या है? चंद्रमा को अर्घ्य देने का मंत्र क्या है?

इस साल सकट चौथ का व्रत 29 जनवरी दिन सोमवार को है. उस दिन माताएं अपनी संतान की सुरक्षा और सुखी जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. इस दिन जो व्यक्ति व्रत रखकर गणेश जी की पूजा करता है, उसके संकट दूर हो जाते हैं. हालांकि सकट चौथ के व्रत में चंद्रमा की पूजा करना अनिवार्य है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं कि सकट चौथ पर चंद्रमा की पूजा क्यों करते हैं? सकट चौथ पर चंद्रमा को अर्घ्य देने की विधि क्या है? चंद्रमा को अर्घ्य देने का मंत्र क्या है?

सकट चौथ पर क्यों करते हैं चंद्रमा की पूजा?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी को चंद्रमा की पूजा होती है और विनायक चतुर्थी पर चंद्रमा का दर्शन वर्जित है. इसके पीछे गणेश जी की चंद्र देव को दिया गया श्राप है. गणेश जी को जब हाथी का मुख लगाया गया था तो चंद्र देव हंस रहे थे. उनको अपनी सुंदरता पर घमंड था.

तब गणेश जी ने उनको श्राप दे दिया कि वे अपनी चमक खो देंगे और भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को जो चांद देखेगा, उस पर कलंक लग जाएगा. इस श्राप के कारण चंद्र द्रेव कांतिहीन हो गए. फिर उनको अपनी गलती का एहसास हुआ तो उन्होंने गणेश जी से क्षमा मांगी और श्राप से मुक्ति का मार्ग पूछा.

गणेश जी ने कहा कि श्राप तो खत्म नहीं होगा. लेकिन चंद्र देव आपकी कांति शुक्ल पक्ष में 15 दिन बढ़ेगी और फिर कृष्ण पक्ष में 15 दिन घटेगी. पूर्णिमा के दिन आप 16 कलाओं से पूर्ण होकर आसमान में आलोकित होंगे. कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर जो भी व्रत रखकर उनकी पूजा करेगा, उसे रात में चंद्रमा की भी पूजा करनी होगी. इसके बिना व्रत पूर्ण नहीं होगा.

एक और कथा है. उसमें भगवान शिव ने गणेश जी को देवताओं को संकट दूर करने का आदेश दिया था. उसके साथ यह वरदान दिया था कि जो भी व्यक्ति चतुर्थी के दिन गणेश जी की पूजा करेगा और चंद्रमा को अर्घ्य देगा, उसके संकट दूर हो जाएंगे.

सकट चौथ पर चंद्रमा को अर्घ्य देने की विधि

सकट चौथ की रात चंद्रमा 09ः10 पीएम पर निकलेगा. तब आप चांदी के गिलास या फिर लोटे में जल भर लें. फिर उसमें गाय का कच्चा दूध, अक्षत् और सफेद फूल डाल लें. उसके बाद चंद्र देव का स्मरण करके उनको अर्घ्य दें. अपने संकटों को दूर करने और संतान के सुखी जीवन के लिए प्रार्थना करें.

चंद्रमा को अर्घ्य देने का मंत्र
गगनार्णवमाणिक्य चन्द्र दाक्षायणीपते।
गृहाणार्घ्यं मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक॥

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