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‘कर्मों का फल, कोर्ट को किया गुमराह…’ बिलकिस बानो के 11 दोषियों को 2 हफ्ते में करना होगा सरेंडर, जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्या कुछ कहा

Bilkis Bano Gangrape Case: सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बिना सोचे समझे दोषियों की सजा माफ करने के लिए गुजरात सरकार को फटकार लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही दोषियों की सजा माफी पर दूसरी बेंच के 13 मई, 2022 के आदेश पर कहा कि यह ‘अदालत को गुमराह’ करके हासिल किया गया.

नई दिल्ली.

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात में 2002 के दंगों के दौरान बिलकिस बानो (Bilkis Bano Gang rape case) के साथ गैंगरेप और उनके परिवार के 7 लोगों की हत्या के मामले में दोषियों को सजा से मिली छूट के फैसले को रद्द कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले के सभी 11 दोषियों को 2 हफ्ते के अंदर वापस जेल में आत्मसमर्पण करने को कहा.

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरत्न और जस्टिस उज्ज्वल भूइयां की दो सदस्यीय बेंच ने सजा में छूट को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं को सुनवाई योग्य करार देते हुए कहा कि गुजरात सरकार सजा में छ्रट का आदेश देने के लिए उचित सरकार नहीं है. कोर्ट ने इसके साथ ही कहा, ‘क़ानून का शासन कायम रहना चाहिए.’

‘कर्मों का फल भोगना भी नियति’
इस दौरान जस्टिस नागरत्न ने ब्रिटिश जज के बौद्ध और ईसाई से जुड़े एक फैसले का हवाला दिया कि करुणा आवश्यक है लेकिन कर्मों का फल भोगना भी नियति है. उन्होंने कहा, ‘हम जनहित याचिकाओं के सुनवाई योग्य होने के मामले को खुला रखते हैं.’

बता दें कि इस घटना के वक्त 21 साल की बिनकिस बानो पांच महीने की प्रेग्नेंट थीं. गोधरा ट्रेन में आग लगाए जाने की घटना के बाद भड़के दंगों के दौरान उनके साथ गैंगरेप किया गया था. दंगों में मारे गए उनके परिवार के सात सदस्यों में उनकी तीन साल की बेटी भी शामिल थी.

गुजरात सरकार ने सभी 11 दोषियों को 15 अगस्त 2022 को सजा में छूट दे दी थी और उन्हें रिहा कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बिना सोचे समझे दोषियों की सजा माफ करने के लिए गुजरात सरकार को फटकार लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही दोषियों की सजा माफी पर दूसरी बेंच के 13 मई, 2022 के आदेश पर कहा कि यह ‘अदालत को गुमराह’ करके हासिल किया गया. इस फैसले में गुजरात सरकार को उचित सरकार बताया गया था. इसके साथ ही कहा गया था कि 1992 की नीति पर विचार करे.

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