‘द वैक्सीन वॉर’ में हुए FLOP नाना पाटेकर बोले, ‘मलयालम सिनेमा में काम करना चाहता हूं, लेकिन कोई डायरेक्टर..’

नाना पाटेकर (Nana Patekar) ने 8 दिसंबर को तिरुवनंतपुरम में केरल अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (International Film Festival of Kerala) यानी IFFK के 28वें संस्करण के उद्घाटन में भाग लिया. साथ ही उन्होंने अफसोस जताया कि अपने शानदार पांच दशक के करियर के दौरान, उन्हें कभी भी मलयालम सिनेमा में काम करने का अवसर नहीं मिला.
विश्वनाथ पाटेकर जिन्हें नाना पाटेकर के नाम से जाना जाता है. वे एक भारतीय अभिनेता, स्क्रिप्ट राइटर, फिल्म निर्माता और पूर्व भारतीय प्रादेशिक सेना अधिकारी हैं, जो मुख्य रूप से हिंदी और मराठी सिनेमा में काम करते हैं. उन्हें भारतीय सिनेमा के सबसे बेहतरीन और प्रभावशाली अभिनेताओं में से एक माना जाता है, पाटेकर को उनके अभिनय के लिए तीन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, चार फिल्मफेयर पुरस्कार और दो मराठी फिल्मफेयर पुरस्कार प्राप्त हुए हैं. सिनेमा और कला में उनके योगदान के लिए उन्हें 2013 में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. अभिनेता हिंदी फिल्मों में अपने डायलॉग्स से फेमस हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि वे साउथ सिनेमा में भी काम कर चुके हैं.
नाना पाटेकर (Nana Patekar) ने 8 दिसंबर को तिरुवनंतपुरम में केरल अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (International Film Festival of Kerala) यानी IFFK के 28वें संस्करण के उद्घाटन में भाग लिया. उन्होंने मलयालम फिल्म उद्योग (Malayalam film industry) के बारे में बात की और बताया कि पिछले 50 वर्षों में केरल के किसी भी निर्देशक ने उनसे फिल्म के लिए संपर्क नहीं किया है.
केरल के अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में नाना पाटेकर
नाना पाटेकर, जिन्हें आखिरी बार ‘द वैक्सीन वॉर’ (The Vaccine War) में देखा गया था, केरल के 28वें अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के उद्घाटन पर थे. वहीं, उन्होंने कहा, ‘मैं यहां आकर सम्मानित महसूस कर रहा हूं. IFFK में मुझे आमंत्रित करने के लिए मैं आयोजकों का आभार व्यक्त करता हूं. मैं 32 साल पहले एक फिल्म की शूटिंग के लिए पहली बार केरल आया था. तब से सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य में कुछ भी नहीं बदला है. यहां लोग दिल से ज्यादा सोचते हैं. इसलिए, भाषाएं अलग-अलग होने पर भी संवाद करना आसान है. इसे ऐसा ही होना चाहिए.’
मलयालम फिल्म में काम करना चाहते हैं नाना पाटेकर
अपनी रुचि व्यक्त करते हुए नाना पाटेकर ने मलयालम फिल्म उद्योग के भीतर सहयोग करने की अपनी लंबे समय से चली आ रही इच्छा को बयां किया. साथ ही ये अफसोस जताया कि अपने शानदार पांच दशक के करियर के दौरान, उन्हें कभी भी मलयालम सिनेमा में काम करने का अवसर नहीं मिला. उन्होंने कहा, ‘पिछले 50 सालों में यहां (केरल) से एक भी निर्देशक ने कभी मुझसे संपर्क नहीं किया… इसका मतलब है कि मुझे एक अभिनेता के रूप में सुधार करना होगा। मैं अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करूंगा और आपको निराश नहीं करूंगा.’ उद्घाटन समारोह के दौरान केन्याई फिल्म निर्माता वानूरी काहिउ को आईएफएफके के स्पिरिट ऑफ सिनेमा अवार्ड से सम्मानित किया गया. पूरे सप्ताह चलने वाले कार्यक्रम में 81 देशों की 175 फिल्मों का विविध चयन प्रस्तुत किया जाएगा.