उत्तरप्रदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट का एमपी-एमएलए पर मुकदमों को लेकर बड़ा निर्देश, जानिए क्या होगा असर

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला एवं सत्र न्यायाधीशों को सभी एमपी, एमएलए विशेष अदालतों को मुकदमों के त्वरित निस्तारण की तकनीकी सुविधाएं मुहैया कराने का भी आदेश दिया है. उच्च न्यायालय ने कहा है कि यदि हाईकोर्ट के अनुमोदन की जरूरत हो तो सूचित किया जाए, जिसका हल प्रशासनिक तौर पर किया जा सके.

प्रयागराज.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में प्रदेश की सभी एमपी, एमएलए विशेष अदालतों को फांसी, उम्रकैद व पांच वर्ष से अधिक दंड वाले आपराधिक मामलों को प्राथमिकता के आधार पर जल्द तय करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि यदि हाईकोर्ट या सत्र अदालत से सुनवाई पर रोक है तो माहवारी रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया जाए. हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल को ऐसे मामले जिनमें ट्रायल पर रोक है, सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है, ताकि सुनवाई कर अवरोध हटाया जा सके. साथ ही  मजिस्ट्रेट की विशेष अदालत के आदेश के खिलाफ यदि सत्र अदालत में अपील या पुनरीक्षण अर्जी लंबित है तो जल्द सुनवाई कर तय करने का भी निर्देश दिया है.

हाईकोर्ट ने जिला एवं सत्र न्यायाधीशों को सभी एमपी, एमएलए विशेष अदालतों को मुकदमों के त्वरित निस्तारण की तकनीकी सुविधाएं मुहैया कराने का भी आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि हाईकोर्ट के अनुमोदन की जरूरत हो तो सूचित किया जाए, जिसका हल प्रशासनिक तौर पर किया जा सके. कोर्ट ने महाधिवक्ता व शासकीय अधिवक्ता से इसमें सहयोग मांगा है और याचिका को सुनवाई हेतु 4जनवरी 24को पेश करने का आदेश दिया है. यह आदेश एक्टिंग चीफ जस्टिस एमके गुप्ता और जस्टिस समित गोपाल की डिवीजन बेंच ने दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अश्वनी उपाध्याय केस में सुप्रीम कोर्ट के 9 नवंबर 2023 को दिए गए आदेश के अनुक्रम में स्वत: कायम जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है. कोर्ट इस याचिका के माध्यम से सांसदों विधायकों के खिलाफ विचाराधीन आपराधिक मामलों की सुनवाई के लिए गठित विशेष अदालतों की मॉनिटरिंग करेगी. कोर्ट को बताया गया कि इसी मामले में पहले ही एक जनहित याचिका विचाराधीन है, जिसमें समय-समय पर निर्देश जारी किए गए हैं. दोनों याचिकाओं की अब एक साथ सुनवाई होगी.

प्रदेश में सत्र अदालत व मजिस्ट्रेट स्तर की अलग अलग विशेष अदालतें सांसदों विधायकों के मुकदमों की सुनवाई कर रही हैं. वे हर माह प्रगति रिपोर्ट हाईकोर्ट को भेजती है, जिसमें उन केसों का जिक्र भी होती है जिनके कारण ट्रायल रूका हुआ हैं. हाईकोर्ट ने मौत, उम्रकैद व पांच साल से अधिक की सजा के आपराधिक मामलों को सुनवाई में वरीयता देने का निर्देश दिया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि अपरिहार्य परिस्थितियों के अलावा सुनवाई अनावश्यक रूप में स्थगित न की जाए. कोर्ट ने जानकारी वेबसाइट पर अपडेट करते रहने का भी आदेश दिया है.

 

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