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किसानों पर FIR करना पराली जलाने का समाधान नहीं; MSP पर सुप्रीम कोर्ट ने कही बड़ी बात

 सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को सुझाव दिया कि उल्लंघन करने वालों की एमएसपी एक साल के लिए रोकें. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि खेत में लगी आग के लिए एफआईआर दर्ज करना कोई समाधान नहीं है. सब कुछ वित्तीय मामला है. कुछ प्रोत्साहन या जुर्माना जैसे कि जो लोग खेत में आग लगाते हैं, उन्हें अगले साल एमएसपी नहीं मिलेगा, यह समधान हो सकता है.

नई दिल्ली:

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण और पंजाब समेत पड़ोसी राज्यों में पराली जलाए जाने की घटना से नाराज सुप्रीम कोर्ट कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करना पराली जलाने का समाधान नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को सुझाव दिया कि उल्लंघन करने वालों की एमएसपी एक साल के लिए रोकें. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि खेत में लगी आग के लिए एफआईआर दर्ज करना कोई समाधान नहीं है. सब कुछ वित्तीय मामला है. कुछ प्रोत्साहन या जुर्माना जैसे कि जो लोग खेत में आग लगाते हैं, उन्हें अगले साल एमएसपी नहीं मिलेगा, यह समधान हो सकता है.

जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने कहा कि सरकार को नाराज किसानों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के बजाय, ऐसे किसानों को उनकी फसलों के लिए एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य रोकने पर विचार करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप एफआईआर दर्ज करेंगे और फिर वापस ले लेंगे. हकीकत में एफआईआर दर्ज करना कोई समाधान नहीं है. इसे प्रोत्साहन आधारित या दंडात्मक उपाय भी होना चाहिए. जैसे पराली जलाने वाले कुछ लोगों को अगले साल एमएसपी नहीं दिया जाए. हालांकि, कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह धान पर एमएसपी को हटाने की वकालत नहीं कर रहा.

जस्टिस संजय किशन कौल ने आगे कहा कि पराली जलाने की एक बड़ी वजह पंजाब में धान की खास किस्म की खेती होना है. किसानों को दूसरी फसलों के लिए प्रोत्साहित करने की ज़रूरत है. फिर भी पराली जलाने पर रोक जरूरी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पराली जलाने पर रोक लगानी होगी. ये राज्य सरकार द्वारा करना होगा. जस्टिस कौल ने कहा कि हम केवल प्रदूषण की पहचान ही कर रहे हैं. आप यह करना चाहते हैं, आप कर सकते हैं. जनता को केवल प्रार्थना करनी है. कभी-कभी हवा आती है और मदद करती है, कभी-कभी बारिश होती है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दो तरह के इशू हैं. एक लंबा जिसमें फसल के विकल्प को देखा जाए, दूसरा तुरंत पराली जलाने पर रोक लगे. राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप केवल रिकॉड भर रहे हैं और कुछ नहीं. हमारी चिंता है कि आप लॉन्ग टर्म मेजर के लिए क्या कर रहे हैं. फसल के विकल्प के तौर पर दूसरी फसल. इसका मतलब नहीं कि आप पांच साल ले लें.

सुप्रीम कोर्ट ने ऑड-ईवन पर भी सवाल उठाया और कहा कि सम-विषम योजना से न्यायालय का कोई लेना-देना नहीं है और इसने कभी नहीं कहा कि पड़ोसी राज्यों से दिल्ली में प्रवेश करने वाली टैक्सियों पर भी इसे लागू किया जाना चाहिए. बता दें कि दिल्ली सरकार ने कुछ दिन पहले घोषणा की थी कि यह दिवाली के अगले दिन, 13 नवंबर से 20 नवंबर तक सम-विषम योजना लागू करेगी, जब वायु प्रदूषण के चरम पर रहने की संभावना है. हालांकि, शुक्रवार को ही इस योजना को फिलहाल के लिए टाल दिया गया. दिल्ली में वायु प्रदूषण और पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ऑड-ईवन स्कीम से फायदा नहीं होगा. वहीं, दिल्ली सरकार ने कहा कि हमने दो रिसर्च सुप्रीम कोर्ट से साझा किए हैं, जिसमें बताया गया है कि इस स्कीम के जरिए फायदा होगा. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपको जो करना है आप करें. कल को आप कहेंगे कि सुप्रीम कोर्ट ने करने नहीं दिया. हम बस ये कहना चाहते हैं कि इस स्कीम का यह असर हो रहा है. आप अपना फैसला लीजिए. इसमें हम कुछ नहीं कह रहे हैं. हम सिर्फ उपायों को ग्राउंड लेवल पर लागू करना चाहते हैं.

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