बीवाई विजयेंद्र को कर्नाटक इकाई का अध्यक्ष नियुक्त करने के बाद भाजपा को “वंशवाद की राजनीति” की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। पिता और पूर्व सीएम येदियुरप्पा के बाद वरिष्ठ भाजपा नेता सीटी रवि को भी सफाई देनी पड़ी।
बंगलूरू
भाजपा विरोधी राजनीतिक पार्टियों पर निशाना साधने के लिए वंशवाद और परिवारवाद की सियासत पर जमकर हमले करती है। हालांकि, कर्नाटक में पूर्व सीएम के बेटे को पार्टी अध्यक्ष बनाने के फैसले पर अब भाजपा की किरकिरी हो रही है। भले ही पूर्व सीएम येदियुरप्पा बेटे बीवाई विजयेंद्र के प्रदेश पार्टी अध्यक्ष बनने को लेकर बयान दे चुके हैं, लेकिन विरोधी दल इस फैसले को भाजपा में परिवारवाद की राजनीति बताकर हमले कर रहे हैं। ताजा घटनाक्रम में भाजपा के वरिष्ठ नेता सीटी रवि को सफाई देनी पड़ी है।
रवि खुद भी दावेदार रहे, महिला नेता के नाम पर भी लगीं अटकलें
विजयेंद्र की नियुक्ति मामले में बीजेपी के वरिष्ठ नेता रवि का कहना है कि उन्हें भी सवालों का डर सता रहा है। शनिवार को सवालों को टालने की कोशिश करते हुए रवि ने रहस्यमय तरीके से टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि वह भी कुछ “सवालों” से परेशान हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार,भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव रह चुके रवि और केंद्रीय राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे के नाम भी कर्नाटक में भाजपा अध्यक्ष पद के लिए चर्चा में थे। हालांकि, भाजपा ने शुक्रवार को येदियुरप्पा के छोटे बेटे विजयेंद्र को अध्यक्ष नियुक्त किया। वह पहले पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष थे.
जिम्मेदारी मांगी नहीं जाती, पार्टी अध्यक्ष बनना ताकत नहीं
रवि ने कहा, “मैंने विजयेंद्र को बधाई दे दी है।” उन्होंने कहा, पार्टी अध्यक्ष बनना कोई ताकत नहीं, जिम्मेदारी है। ऐसी जिम्मेदारी मांगकर नहीं ली जाती है। रवि ने साफ किया,”मैं किसी भी पद का आकांक्षी नहीं हूं और पिछले दो और पिछले कुछ दशकों में मैंने कोई पद नहीं मांगा। पार्टी ने मुझे जो जिम्मेदारी दी है, उसे पूरा किया है।”
भाजपा में नाराजगी की खबरों पर बयान
कथित असंतोष और पार्टी के बड़े नेताओं की नाराजगी की खबरों पर रवि ने कहा, ‘जब मैंने पद नहीं मांगा है तो परेशान या असंतुष्ट होने का सवाल ही नहीं उठता।’ खबरों के अनुसार, कर्नाटक भाजपा के कुछ हलकों में सुगबुगाहट है कि पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता विजयेंद्र की राज्य इकाई प्रमुख के रूप में नियुक्ति से नाराज हैं, लेकिन किसी ने भी अपनी नाराजगी सार्वजनिक नहीं की है। कथित तौर पर असंतुष्ट नेताओं में बसनगौड़ा पाटिल यत्नाल और वी सोमन्ना जैसे वरिष्ठ विधायकों के नाम भी गिनाए जा रहे हैं। बता दें कि इनका येदियुरप्पा के साथ विवाद रहा है। नियुक्ति के संबंध में इनकी कोई टिप्पणी नहीं आई है। हालांकि, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दोनों नेताओं ने भी विजयेंद्र को फोन पर बधाई दी है।
सब मिलकर काम करेंगे, लोक सभा चुनाव में बहुत समय नहीं
2024 लोक सभा चुनाव से चंद महीने पहले विजयेंद्र की नियुक्ति और कर्नाटक की सियासत को लेकर सीटी रवि ने कहा, ”पार्टी ने विजयेंद्र को संगठन को मजबूत करने और आगामी लोकसभा चुनाव और भविष्य में अन्य चुनावों में अच्छे नतीजे सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी है।” उन्होंने कहा, ”मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं और हम सभी इस दिशा में मिलकर काम करेंगे।”
मन में सवाल के बावजूद टिप्पणी नहीं करने का फैसला
विजयेंद्र की नियुक्ति को वंशवाद की राजनीति के रूप में देखे जाने के सवाल पर रवि ने कहा, “अगर मैं इस बारे में कुछ भी बोलूंगा, तो इसका गलत अर्थ लगाए जाने की संभावना है। आप ( मीडिया) मेरा पिछला वीडियो दिखाएं, आप इसे अलग-अलग चीजों से जोड़ सकते हैं। मैं इस स्थिति में इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहता। यह मुझे सवालों के रूप में परेशान कर रहा है, उसी तरह, यह आपको परेशान कर रहा है। यह सवाल मेरे मन में भी है।”
अब वंशवाद पर कांग्रेस की आलोचना कैसे करेंगे?
उन्होंने कहा, “कुछ सवाल हैं जो मुझे भी परेशान कर रहे हैं, क्योंकि हम (बीजेपी में) एक खास ढांचे में विकसित हुए हैं…मैंने कभी भी पार्टी हित के खिलाफ नहीं सोचा है और ऐसा कभी नहीं करूंगा… अगर मैं कुछ कहूंगा तो यह गर्म खबर बन जाएगी। मैंने कभी भी भावनाओं को ठेस पहुंचाने की कोशिश नहीं की।” यह पूछे जाने पर कि क्या इस नियुक्ति के बाद अब भाजपा के पास वंशवाद की राजनीति के लिए कांग्रेस की आलोचना करने का नैतिक अधिकार है, सीटी रवि ने कहा, “मेरे जैसे कार्यकर्ताओं के मन में जो सवाल हैं, उन पर सार्वजनिक रूप से चर्चा करना उचित नहीं होगा।”
विजयेंद्र के सिर कांटों भरा ताज
गौरतलब है कि 2024 के लोकसभा चुनावों से ठीक पहले शिवमोग्गा जिले के शिकारीपुरा से पहली बार विधायक बने 47 वर्षीय विजयेंद्र की नियुक्ति काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि नए अध्यक्ष पर विधानसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद पार्टी को मजबूत करने, संगठन और कार्यकर्ताओं में नई जान फूंकने और लोक सभा चुनाव में पिछली बार की तुलना में और अधिक सीटें जीतने की जिम्मेदारी भी होगी। खुद पिता बीएस येदियुरप्पा इस भूमिका को कांटों भरा ताज मानते हैं।
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