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केंद्र अमेरिकी हितों के अनुरूप काम कर रहा; पिनरई विजयन ने फलस्तीन के समर्थन में कही बड़ी बात

विजयन ने आरोप लगाया कि पूर्व में जो भारत फलस्तीनी मुद्दे का समर्थन करता था, वहीं, जब पी वी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने तो देश का इस्राइल के प्रति रुख मित्रतापूर्ण हो गया। वहीं, अब इस्राइल के प्रति भारत की दोस्ती अपने चरम पर पहुंच गई है।

इस्राइल-हमास के बीच एक महीने से जंग जारी है। केरल के सीएम पिनरई विजयन ने फलस्तीन का समर्थन किया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत सरकार संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) के हितों के अनुसार काम कर रही है। यही कारण है कि केंद्र इस्राइल का समर्थन कर रही है और फलस्तीनी लोगों की दुर्दशा को नजरअंदाज कर रहा है।

विजयन ने आरोप लगाया कि पूर्व में जो भारत फलस्तीनी मुद्दे का समर्थन करता था, वहीं, जब पी वी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने तो देश का इस्राइल के प्रति रुख मित्रतापूर्ण हो गया। वहीं, अब इस्राइल के प्रति भारत की दोस्ती अपने चरम पर पहुंच गई है। उन्होंने आगे कहा कि इसके पीछे का इरादा अमेरिका को खुश करना है। हमारी सरकार अमेरिका के हितों के अनुसार काम कर रही है।

बता दें कि ये पहली बार नहीं है जब उन्होंने फलस्तीन के समर्थन में बयान दिया हो। हाल ही में उन्होंने फलस्तीन के समर्थन में रैली के लिए कांग्रेस-सहयोगी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) की भी प्रशंसा की थी।

इस दौरान उन्होंने कांग्रेस के आरोपों पर भी जवाब दिया। विजयन ने कहा कि लीग के एक वरिष्ठ नेता ने हाल ही में कहा था कि अगर उन्हें आमंत्रित किया जाता है तो वे वाम दल के कार्यक्रम में शामिल होंगे। चूंकि उन्होंने वह बयान सार्वजनिक डोमेन में था, इसलिए हमने आईयूएमएल को पूरी तरह से जानते हुए आमंत्रित किया कि वे इसमें शामिल नहीं हो पाएंगे क्योंकि वे यूडीएफ का हिस्सा हैं। बता दें कि कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि सीपीआई (एम) ने राजनीतिक लाभ के लिए फलस्तीन मुद्दे पर अपनी रैली में आईयूएमएल को आमंत्रित किया था।

बता दें कि केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) द्वारा फलस्तीन के समर्थन में रैली आयोजित करने के लिए कांग्रेस नेता आर्यदान शौकत से स्पष्टीकरण मांगने के मुद्दे पर विजयन ने पार्टी की आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह संकेत देता है कि सबसे पुरानी पार्टी किस स्तर तक गिर गई है। उन्होंने कहा कि क्या हम ऐसी किसी बात के लिए स्पष्टीकरण मांगने के बारे में सोच भी सकते हैं? क्या फलस्तीन का समर्थन करना किसी आतंकवादी संगठन का समर्थन करने के समान है? फलस्तीन के लोगों का समर्थन करना एक स्वाभाविक बात होनी चाहिए।

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