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‘विधायिका कोर्ट के फैसले को खारिज नहीं कर सकती, बल्कि खामी को दूर…’,: सीजेआई चंद्रचूड़

सीजेआई चंद्रचूड़ ने एक कार्यक्रम में कहा कि न्यायाधीश इस बात पर ध्यान नहीं देते हैं कि जब वे मुकदमों का फैसला करेंगे तो समाज क्या कहेगा। उन्होंने कहा कि सरकार की निर्वाचित शाखा तथा न्यायपालिका में यही फर्क है।
नई दिल्ली
भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि विधायिका अदालत के फैसले में खामी को दूर करने के लिए नया कानून लागू कर सकती है, लेकिन उसे सीधे खारिज नहीं कर सकती है।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने एक कार्यक्रम में कहा कि न्यायाधीश इस बात पर ध्यान नहीं देते हैं कि जब वे मुकदमों का फैसला करेंगे तो समाज क्या कहेगा। उन्होंने कहा कि सरकार की निर्वाचित शाखा तथा न्यायपालिका में यही फर्क है।
विधायिका क्या कर सकती है क्या नहीं…
उन्होंने कहा, ‘इसकी एक सीमा है कि अदालत का फैसला आने पर विधायिका क्या कर सकती है और क्या नहीं कर सकती है। अगर किसी विशेष मुद्दे पर फैसला दिया जाता है और इसमें कानून में खामी का जिक्र किया जाता है तो विधायिका उस खामी को दूर करने के लिए नया कानून लागू कर सकती है।’




