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‘समय की कीमत…’ 13 घंटे लेट हुई ट्रेन तो अदालत ने समझा यात्री का दर्द, रेलवे पर ठोका इतना मोटा जुर्माना!

 साल 2018 के इस मामले में याचिकाकर्ता यात्री कार्तिक मोहन चेन्नई-अलेप्पी एक्सप्रेस ट्रेन में सफर कर रहे थे. ये ट्रेन 13 घंटे लेट थी. उन्‍होंने दक्षिण रेलवे द्वारा सेवा में महत्वपूर्ण कमी को लेकर आयोग से संपर्क किया था. कार्तिक मोहन चेन्नई में बॉश लिमिटेड में उप प्रबंधक के रूप में काम करते हैं.

नई दिल्‍ली.

अगर आप अक्‍सर ट्रेन में सफर करते हैं तो यह खबर आपके लिए हैं. दक्षिण भारत में एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां 13 घंटे ट्रेन लेट होने पर भारतीय रेलवे को एक युवक को 60 हजार रुपये का मुआवजा देना पड़ा. उपभोक्ता अदालत में यात्रियों के समय के महत्व को समझा. केरल के एर्नाकुलम जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने कार्तिक मोहन बनाम दक्षिण रेलवे के मामले में फैसला देते हुए कहा कि एक यात्री के समय के महत्व को नकारा नहीं जा सकता है.

साल 2018 के इस मामले में यात्री कार्तिक मोहन चेन्नई-अलेप्पी एक्सप्रेस ट्रेन में सफर कर रहे थे. उन्‍होंने दक्षिण रेलवे द्वारा सेवा में महत्वपूर्ण कमी को लेकर आयोग से संपर्क किया था. कार्तिक मोहन चेन्नई में बॉश लिमिटेड में उप प्रबंधक के रूप में काम करते हैं. उन्हें 6 मई, 2018 को एर्नाकुलम से चेन्नई की यात्रा करनी थी. इसी को ध्‍यान में रखते हुए उन्होंने ऑफिस में एक महत्वपूर्ण बैठक से पहले पहुंचने के लिए यात्रा की तारीख और समय चुनकर अपना टिकट बुक किया था.

रेलवे की लापरवाही 
न केवल ट्रेन निर्धारित समय पर नहीं पहुंची, बल्कि रेलवे अधिकारियों द्वारा इस मामले को काफी लापरवाही से लिया गया, जो अपेक्षित देरी या समय से पहले शेड्यूल के बारे में बताने में विफल रहे और यात्रियों पर बोझ कम करने के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की. रेलवे की तरफ से यह तर्क दिया गया कि उसकी ओर से कोई कमी, लापरवाही या सुस्ती नहीं बरती गई. यह कार्तिक मोहन के अलावा कई छात्र भी इस ट्रेन में NEET (प्रवेश) परीक्षा देने के लिए यात्रा कर रहे थे.

अदालत ने बरती सख्‍ती
उपभोगता अदालत ने रेलवे को पर्याप्त असुविधा, मानसिक पीड़ा, शारीरिक कठिनाई और वित्तीय परिणामों के लिए 50,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया. इसके द्वारा की गई “सेवा की कमी और अनुचित प्रथाओं” के कारण. कार्यवाही की लागत के लिए 10,000 रुपये देने होंगे.

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