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CJI चंद्रचूड़ ने पहले देखा CCTV फुटेज, फिर बोले- जानबूझकर नहीं माना मेरा आदेश

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कुमार और श्रीवास्तव के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही बंद कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने इस बात का संज्ञान लिया कि न्यायिक सदस्य ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है और कुमार के आदेशों का केवल पालन करने वाले श्रीवास्तव ने बिना शर्त माफी मांग ली है. पीठ ने कहा कि हमारा मानना है कि इस अदालत के आदेशों की अवहेलना करने की कोशिश की गई है.

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने फिनोलेक्स केबल्स मामले में एनसीएलएटी पीठ के खिलाफ नाराजगी जाहिर की. सुप्रीम कोर्ट सोमवार को कहा कि न्यायिक सदस्य राकेश कुमार और तकनीकी सदस्य आलोक श्रीवास्तव की सदस्यता वाली राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील अधिकरण (एनसीएलएटी) की पीठ ने फिनोलेक्स केबल्स मामले में अपना फैसला सुनाकर उसके 13 अक्टूबर के आदेश की जानबूझकर अवहेलना की. सीजेआई चंद्रचूड़ ने इस मामले का सीसीटीवी फुटेज देखा और इसके बाद कहा कि बेंच ने जानबूझकर हमारा आदेश नहीं माना.

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कुमार और श्रीवास्तव के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही बंद कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने इस बात का संज्ञान लिया कि न्यायिक सदस्य ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है और कुमार के आदेशों का केवल पालन करने वाले श्रीवास्तव ने बिना शर्त माफी मांग ली है. पीठ ने कहा कि हमारा मानना है कि इस अदालत के आदेशों की अवहेलना करने की कोशिश की गई है.

दरअसल, सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने एनसीएलएटी की कार्यवाही के सीसीटीवी फुटेज की जांच करने के बाद कहा कि वकीलों ने एनसीएलएटी सदस्यों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बारे में मौखिक रूप से अवगत कराया और वे आदेश के प्रिंट-आउट ले जा रहे थे.

पीठ ने इस कॉरपोरेट विवाद के एक पक्षकार दीपक छाबड़िया पर एक करोड़ रुपये और मामले में उनकी भूमिका के एक जांचकर्ता पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया और कहा कि राशि का भुगतान चार सप्ताह में किया जाना चाहिए। यह राशि प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा की जाएगी. उसने निर्देश दिया कि इस मामले का निपटारा अधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अगुवाई वाली एक अन्य एनसीएलएटी पीठ नए सिरे से करेगी.

इससे पहले, न्यायालय ने एनसीएलएटी के न्यायिक सदस्य कुमार और तकनीकी सदस्य श्रीवास्तव को नोटिस जारी कर उनसे पूछा था कि फिनोलेक्स केबल्स विवाद मामले में शीर्ष अदालत के आदेश की अवहेलना को लेकर उनके खिलाफ अवमानना ​​की कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए. एनसीएलएटी पीठ ने शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए यथास्थिति बनाए रखने के आदेश की अनदेखी करते हुए 13 अक्टूबर को फैसला सुनाया था.

शीर्ष अदालत ने फिनोलेक्स केबल्स की वार्षिक आम बैठक (एजीएम) से संबंधित, एनसीएलएटी पीठ के 13 अक्टूबर के फैसले को इसके गुण-दोष पर विचार किए बिना निरस्त कर दिया. न्यायालय ने प्रकाश छाबड़िया के नेतृत्व वाली ‘ऑर्बिट इलेक्ट्रिकल्स’ द्वारा दायर एक याचिका का निपटारा करते समय यह फैसला सुनाया. ‘ऑर्बिट इलेक्ट्रिकल्स’ फिनोलेक्स केबल्स की एक प्रमोटर इकाई है. (इनपुट भाषा से)

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