मोदी सरकार द्वारा राजनीतिक प्रतिशोध के नये शिकार हेमंत सोरेन !

भाजपा की केन्द्र सरकार ने विरोधी दलों के नेताओं के प्रति दुर्भावना एवं राजनीतिक प्रतिशोध का खेल जारी रखते हुए हेमंत सोरेन को आखिरकार बुधवार की रात अपनी जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय के जरिये जमीन घोटाले के आरोप में गिरफ्तार करवा ही लिया
भारतीय जनता पार्टी की केन्द्र सरकार ने विरोधी दलों के नेताओं के प्रति दुर्भावना एवं राजनीतिक प्रतिशोध का खेल जारी रखते हुए झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को आखिरकार बुधवार की रात अपनी जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट) के जरिये जमीन घोटाले के आरोप में गिरफ्तार करवा ही लिया। ईडी ने 10 दिनों के लिये उन्हें अपनी हिरासत में रखने की मांग की है।
गिरफ्तारी की आशंका के चलते तेजी से घूमे राजनैतिक घटनाक्रम में श्री सोरेन ने उसके पहले राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को इस्तीफा सौंप दिया था तथा सत्तारुढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा विधायक दल ने चंपई सोरेन को सर्वसम्मति से अपना नेता चुन लिया। इस गिरफ्तारी को उसी नज़रिये से देखा जा रहा है जिसके अंतर्गत दिल्ली सरकार के तीन वरिष्ठ मंत्रियों व एक सांसद को महीनों से जेल में डालकर रखा गया है तथा वहां के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सिर पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत देश के कई विपक्षी नेता ईडी के रडार पर हैं। मुख्यमंत्री पद पर रहते गिरफ्तार होने वाले वे पहले नेता हैं। उनके पिता शिबू सोरेन को भी 20 साल पहले गिरफ्तार किया गया था। हालांकि उन्होंने खुद कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया था।
देश में जिस प्रकार से भाजपा सरकार विरोधी दलों के नेताओं के खिलाफ अपनी तीनों जांच एजेंसियों द्वारा- आयकर व सीबीआई की अंधाधुंध छापेमारी करवा रही है तथा उन्हें जेलों में डलवाया जा रहा है, वह गम्भीर खतरों का संकेत है। इन एजेंसियों का इस्तेमाल भाजपा विरोधी सरकारों को गिराने के लिये करती है। अब साफ है कि हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इसी छापेमारी से घबराकर इंडिया गठबन्धन का साथ छोड़ गये और उन्होंने भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए में रहने में ही अपनी भलाई समझी। अपनी ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ में बिहार पहुंचे राहुल गांधी ने अपने भाषण में कहा कि ‘थोड़ा सा दबाव पड़ते ही नीतीश कुमार टूट गये।’
जो हो, इस गिरफ्तारी के खिलाफ जब यह कहकर रांची हाईकोर्ट ने सुनवाई नहीं की कि ‘मामला तत्काल सुने जाने लायक नहीं है’, वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी आदि सुप्रीम कोर्ट गये हैं। इस पर शीर्ष अदालत शुक्रवार को सुनवाई करेगी। इसके साथ ही एक बार फिर से भाजपा का अलोकतांत्रिक चेहरा सामने आया है। उसने पुन: साबित कर दिया है कि वह सत्ता पाने हेतु किसी भी हद तक जा सकती है। हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी ऐसे वक्त पर हुई है जब केवल एक दिन पहले चंडीगढ़ के मेयर का निर्वाचन भाजपा ने विपक्षी वोटों को हथियाकर जीत लिया। केन्द्र सरकार द्वारा उस ईवीएम के जरिये ही मतदान कराने की बात पर अड़े रहना भी यही दर्शाता है कि भाजपा येन केन प्रकारेण हर चुनाव को जीतने पर आमादा है। यह गिरफ्तारी उसी कुचक्र की एक कड़ी है।
हेमंत सोरेन की गिरफ्तार का असली मकसद वहां की सरकार को गिराना है। वहां जेएमएम के लगभग 47 विधायक हैं और भाजपा के पास करीब 33 हैं। अब भाजपा वहां सत्ता पक्ष के विधायकों को तोड़कर सरकार बनाने पर आमादा है। झारखंड जिस बिहार को विभाजित कर बनाया गया, वहां केवल तीन दिन पहले जनता दल यूनाइटेड के सुप्रीमो व मुख्यमंत्री नीतीश ने राष्ट्रीय जनता दल से अलग होकर 6 घंटों के भीतर एनडीए के साथ नयी सरकार बना ली। झारखंड का आलम यह है कि चंपई सोरेन ने अपने साथ खड़े सभी 47 विधायकों की सूची राज्यपाल को सौंपी है। इसके बावजूद राज्यपाल ने बिहार के अपने समकक्ष राजेन्द्र अरलेकर जैसी तत्परता नहीं दिखाई। चंपई सोरेन को गुरुवार शाम 5.30 बजे मिलने का वक्त दिया गया है, लेकिन केवल 5 लोगों के साथ। उनके जल्दी शपथ लेने के आसार नहीं दिखते।
हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी और राजभवन की अलसाई मुद्रा से राज्य में कुख्यात ऑपरेशन लोटस की गुंजाइशें बन रही हैं। भाजपा ने वहां राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग शुरू कर दी है तो वहीं जेएमएम के विधायकों को डरा-धमकाकर या खरीद-फरोख्त के माध्यम से पाला बदलवाने की साजिशों से बचने के लिये उन्हें आंध्रप्रदेश ले जाने की खबरें हैं। देखना होगा कि राधाकृष्णन केन्द्र सरकार के जरिये भाजपा नेतृत्व के आदेशों का किस प्रकार पालन करते हैं। वर्तमान स्थितियों को देखते हुए माना जा रहा है कि वहां इस कार्रवाई के माध्यम से एक और निर्वाचित राज्य सरकार को अस्थिर करने के निन्दनीय प्रयास हो रहे हैं।
छत्तीसगढ़ एवं ओडिशा की तरह ही झारखंड भी खनिज संसाधनों से सम्पन्न प्रदेश है जिस पर केन्द्र पोषित कारोबारियों की नज़रें बताई जाती हैं। नवम्बर, 2023 में सम्पन्न विधानसभा चुनाव में अप्रत्याशित नतीजों के अंतर्गत छग में कांग्रेस सरकार जाती रही और वहां अब भाजपा काबिज है। हेमंत आदिवासी समुदाय से आते हैं और उनकी पार्टी जनजातीय समुदायों के हितों के साथ खड़ी है।
जंगलों की बेरहम कटाई एवं खनिज पदार्थों के अंधाधुंध दोहन के खिलाफ खड़ी सोरेन सरकार को हटाए बिना भाजपा समर्थित कारोबारियों को यहां काम करना मुश्किल है। कहा जाता है कि हेमंत सोरेन इसलिये भाजपा की आंखों में चुभते हैं क्योंकि वे राज्य के आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों, शोषितों, वंचितों आदि के हितों को लेकर किसी तरह का समझौता करते नज़र नहीं आ रहे हैं।
देखना यह होगा कि उनकी गिरफ्तारी का हासिल भाजपा को क्या होता है। फिलहाल तो आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव सहित कई विपक्षी नेताओं ने सोरेन के साथ एकजुटता दिखलाई है और पूरा इंडिया महागठबन्धन उनके साथ है। जो हो, अभिषेक मनु सिंघवी के शब्दों में कहें तो ‘भाजपा का यह खेल घिनौना है।’