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जातिगत राजनीति के चौसर पर लालू की पहली चाल- जिसकी जितनी संख्या, उसकी उतनी हिस्सेदारी

बिहार में जातिगत सर्वे के आंकड़े को लेकर पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि ये आंकड़े वंचितों, उपेक्षितों और गरीबों के समुचित विकास और तरक्की के लिए समग्र योजना बनाने एवं हाशिए के समूहों को आबादी के अनुपात में प्रतिनिधित्व देने में देश के लिए नजीर पेश करेंगे.

  • बिहार में जातिगत सर्वे को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने बड़ा बयान दिया है

  • पटना.
  •  बिहार में जातिगत सर्वे के आंकड़े जारी हो गए हैं. बिहार के मुख्य सचिव ने 2 अक्टूबर को बिहार जाति आधारित गणना 2022 की पुस्तिका का विमोचन किया. इस पुस्तक के माध्यम से राज्य की जातिगत गणना के आंकड़े सार्वजनिक कर दिए गए हैं. बिहार में राजपूत की आबादी 3.45%, यादव 14%, भूमिहार 2.86%, ब्राह्मण 3.65% और नौनिया 1.9 फीसदी हैं. इस पर पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव का बयान सामने आया है. लालू ने कहा, आज गांधी जयंती पर इस ऐतिहासिक क्षण के हम सब साक्षी बने हैं. बीजेपी की अनेकों साजिशों, कानूनी अड़चनों और तमाम षड्यंत्र के बावजूद आज बिहार सरकार ने जाति आधारित सर्वे को रिलीज किया.
  • पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव ने कहा कि ये आंकड़े वंचितों, उपेक्षितों और गरीबों के समुचित विकास और तरक्की के लिए समग्र योजना बनाने एवं हाशिए के समूहों को आबादी के अनुपात में प्रतिनिधित्व देने में देश के लिए नजीर पेश करेंगे. सरकार को अब सुनिश्चित करना चाहिए कि जिसकी जितनी संख्या, उसकी उतनी हिस्सेदारी हो. हमारा शुरू से मानना रहा है कि राज्य के संसाधनों पर न्यायसंगत अधिकार सभी वर्गों का हो. केंद्र में 2024 में जब हमारी सरकार बनेगी तब पूरे देश में जातिगत जनगणना करवाएंगे और दलित, मुस्लिम, पिछड़ा और अति पिछड़ा विरोधी भाजपा को सत्ता से बेदखल करेंगे. दूसरी ओर, डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने भी इस पर बयान दिया है. तेजस्वी यादव ने कहा कि यह ऐतिहासिक क्षण दशकों के संघर्ष का प्रतिफल है. अब सरकार की नीतियां और नीयत दोनों ही जाति आधारित सर्वे के इन आंकड़ों का सम्मान करेंगे.

    सीएम नीतीश कुमार ने किया ये ट्वीट
    बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने ट्वीट किया, ‘आज गांधी जयंती के शुभ अवसर पर बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना के आंकड़े प्रकाशित कर दिए गए हैं. जाति आधारित गणना के कार्य में लगी हुई पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाई. जाति आधारित गणना के लिए सर्वसम्मति से विधानमंडल में प्रस्ताव पारित किया गया था. बिहार विधानसभा के सभी 9 दलों की सहमति से निर्णय लिया गया था कि राज्य सरकार अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना कराएगी एवं दिनांक 02-06-2022 को मंत्रिपरिषद से इसकी स्वीकृति दी गई थी. इसके आधार पर राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना कराई है. जाति आधारित गणना से न सिर्फ जातियों के बारे में पता चला है बल्कि सभी की आर्थिक स्थिति की जानकारी भी मिली है. इसी के आधार पर सभी वर्गों के विकास एवं उत्थान के लिए अग्रेतर कार्रवाई की जाएगी. बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना को लेकर शीघ्र ही बिहार विधानसभा के उन्हीं 9 दलों की बैठक बुलाई जाएगी तथा जाति आधारित गणना के परिणामों से उन्हें अवगत कराया जाएगा.

    ये हैं जातिगत सर्वे के आंकड़े
    जातिगत सर्वे के आंकड़ों के अनुसार बिहार में पिछड़ा वर्ग के 27.13 प्रतिशत, अति पिछड़ा वर्ग 36.01 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा 15.52 प्रतिशत के लोग हैं. वहीं बिहार की कुल आबादी 13,07,25,310 है, जिसमें पिछड़ा वर्ग 3,54,63,936, अत्यंत पिछड़ा वर्ग 4,70,80,514, अनुसूचित जाति 2,56,89,820, अनुसूचित जनजाति  21,99,361, अनारक्षित 2,02,91,679 हैं. बिहार सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार बिहार में 82% हिन्दू, 17. 7% मुसलमान, .05% ईसाई, .08% बौद्ध धर्म, .0016% कोई धर्म नहीं है.

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