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मणिपुर सरकार ने एडिटर्स गिल्ड के सदस्यों के खिलाफ दर्ज की FIR, सीएम बोले- वह हिंसा भड़का रहे हैं

मणिपुर राज्य सरकार ने एडिटर्स गिल्ड के सदस्यों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है, जो राज्य में हिंसा भड़काने की कोशिश कर रहे हैं।

इंफाल

मणिपुर सरकार ने एडिटर्स गिल्ड के सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। मीडिया से बात करते हुए सीएम एन बीरेन सिंह ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि एडिटर्स गिल्ड के सदस्य राज्य में हिंसा भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। बता दें कि बीते दिनों एडिटर्स गिल्ड ने मणिपुर की सरकार पर पक्षपातपूर्ण कार्रवाई करने का आरोप लगाया था।

सीएम बोले- जमीनी हकीकत देखें
मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि ‘मैंने एडिटर्स गिल्ड के सदस्यों को चेतावनी भी दी है कि अगर वह कुछ करना चाहते हैं तो पहले हिंसाग्रस्त जगहों का दौरा करें और जमीनी हकीकत देखें। सभी समुदायों के प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात करें और उसके बाद कोई रिपोर्ट बनाएं। सिर्फ कुछ वर्ग के लोगों से मिलकर किसी परिणाम पर पहुंचना निंदनीय है। राज्य सरकार ने एडिटर्स गिल्ड के सदस्यों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है, जो राज्य में हिंसा भड़काने की कोशिश कर रहे हैं।’

पीसीआई ने एडिटर्स गिल्ड प्रमुख और सदस्यों के खिलाफ FIR वापस लेने की मांग की
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने सोमवार को एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की तथ्यान्वेषी समिति के तीन सदस्यों और उसके प्रमुख के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की निंदा की है। पीसीआई ने कहा कि यह राज्य में शांति बहाल करने के लिए कदम उठाने के बजाय संदेशवाहक को गोली मारने का मामला है। हम मांग करते हैं कि एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) की अध्यक्ष सीमा मुस्तफा और तीन सदस्यों के खिलाफ एफआईआर तुरंत वापस ली जाए।

क्या है विवाद
बता दें कि हाल ही में एडिटर्स गिल्ड ने दावा किया था कि मणिपुर की जातीय हिंसा पर एक पक्षीय मीडिया रिपोर्टिंग हुई है। साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री पर पक्षपात करने का भी आरोप लगाया। एडिटर्स गिल्ड के जिन सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, उनमें एडिटर्स गिल्ड की अध्यक्ष सीमा मुस्तफा और तीन सदस्य सीमा गुहा, भारत भूषण और संजय कपूर का नाम शामिल है। सीमा गुहा, भारत भूषण और संजय कपूर ने बीते हफ्ते मणिपुर का दौरा कर यहां हुई मीडिया रिपोर्टिंग का अध्ययन किया था।

एडिटर्स गिल्ड के सदस्यों की रिपोर्ट को मणिपुर सरकार ने फर्जी और स्पॉन्सर बताया है। एफआईआर में बताया गया है कि रिपोर्ट में गलत तथ्य बताए गए हैं। जुलाई में भी मणिपुर सरकार ने तीन महिलाओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। इन महिलाओं की फैक्ट फाइंडिंग टीम ने भी राज्य में जारी हिंसा को सरकार द्वारा स्पॉन्सर बताया था।

 

 

 

 

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