दिल्ली

“जनहित याचिका पर आदेश क्यों?” : बिलकिस बानो केस के दोषियों की रिहाई के खिलाफ याचिका पर SC

सुनवाई के दौरान बिलकिस की वकील शोभा गुप्ता ने कहा कि दोषियों की रिहाई पर गुजरात सरकार का निर्णय गलत है. इस मामले मे महाराष्ट्र राज्य की बात नहीं सुनी गई. इसमें केंद्र को पार्टी भी नहीं बनाया गया है.

नई दिल्‍ली : 

बिलकिस बानो के उम्र कैद पाए दोषियों की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई. यह सुनवाई बिलकिस बानो की याचिका पर हुई. बिलकिस मामले में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के पहले के आदेश पर सवाल उठाए. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि जनहित याचिका पर पिछला आदेश कैसे पारित किया गया, जबकि यह बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील होनी चाहिए थी. इस मामले में वो केवल कानूनी तर्कों और योग्यताओं के आधार पर चलेगा. हम सार्वजनिक आक्रोश पर विचार नहीं करेंगे.

सुनवाई के दौरान बिलकिस की वकील शोभा गुप्ता ने कहा कि दोषियों की रिहाई पर गुजरात सरकार का निर्णय गलत है. इस मामले मे महाराष्ट्र राज्य की बात नहीं सुनी गई. इसमें केंद्र को पार्टी भी नहीं बनाया गया है. इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट का आदेश केवल दोषी राधेश्याम के आवेदन के संबंध में था जबकि गुजरात सरकार ने सभी 11 दोषियों को सजा में छूट दे दी.

बिलकिस की ओर से कहा गया कि मैं ही पीड़ित थी, लेकिन इसके नाते भी मुझे इनकी रिहाई होने तक फैसले के बारे में पता ही नहीं चलने दिया गया. बिलकिस की ओर से कहा गया कि यह जल्दबाजी में लिया गया फैसला है. सुप्रीम कोर्ट ने भी उस दौरान हमारे तर्क पर विचार नहीं किया. गुजरात सरकार ने केवल इस बात पर आपत्ति जताई कि रिहाई का निर्णय कौन सी सरकार करेगी? इस मामले में अन्य दोषियों के लिए समयपूर्व रिहाई के आदेश राधेश्याम के मामले में पारित आदेश के आधार पर ही तैयार किए गए, जबकि ADGP की ओर से भी आपत्ति जताई गई थी. यहां तक कि ट्रायल जज ने भी इनकार किया था.

दरअसल, दोषी राधेश्याम भगवानदास द्वारा दायर रिट याचिका में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि सजा में छूट पर निर्णय लेने का अधिकार गुजरात के पास होगा और साथ ही 1992 के नियमों के तहत छूट मिलेगी.

इस मामले में बुधवार को भी सुनवाई जारी रहेगी.

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