उत्तरप्रदेश

CAA प्रोटेस्टः सुप्रीम कोर्ट के आदेश को धता, योगी सरकार ने फिर से जारी किए रिकवरी नोटिस, जानिए CJI ने क्या दी थी हिदायत

लखनऊः लखनऊ जोन के क्लेम ट्रिब्यूनल की प्रेजीडेंट प्रेम कला सिंह ने आरोपियों से पूछा कि वो बताएं कि उनकी संपत्ति क्यों न जब्त की जाए।

लखनऊ

सीएए विरोधी आंदोलनों को लेकर योगी सरकार की तरफ से जारी किए गए नोटिसों पर फिर से माहौल सरगर्म होता दिख रहा है। सीजेआई की नाराजगी के बाद हालांकि यूपी सरकार ने सारे रिकवरी नोटिस वापस ले लिए थे। लेकिन फिर से नोटिस जारी किए जाने लगे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक कुछ आरोपियों क्लेम ट्रिब्यूनल के सामने पेश होने का नोटिस मिला है।

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक लखनऊ जोन के क्लेम ट्रिब्यूनल की प्रेजीडेंट प्रेम कला सिंह ने आरोपियों से पूछा कि वो बताएं कि उनकी संपत्ति क्यों न जब्त की जाए। खास बात है कि सुप्रीम कोर्ट ने इन नोटिसों को लेकर तीखे तेवर दिखाए थे। उसके बाद भी सरकार अपने कदम पीछे नहीं खींच रही है।

कुछ अरसा पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने सीएए आंदोलन में शामिल रहे लोगों को वसूली के नोटिस भेजे जाने पर उत्तर प्रदेश सरकार को आड़े हाथ लिया था। अदालत ने कहा था कि ये हमारे फैसले के खिलाफ है। इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती। सीजेआई एनवी रमन्ना के साथ बेंच में शामिल जस्टिस सूर्यकांत ने तो यहां तक कहा था कि अगर सरकार नहीं मानी तो अंजाम भुगतने को तैयार रहे। हम आपको बताएंगे कि कैसे अदालत के फैसलों का पालन किया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी एक याचिका पर सुनवाईन के दौरान की थी। अदालत परवेज आरिफ टीटू की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें उत्तर प्रदेश में सीएए आंदोलन के दौरान सार्वजनिक संपत्तियों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए भेजे गए नोटिसों को रद्द करने का अनुरोध किया गया था। टीटू के मुताबिक योगी सरकार ने रिकवरी के नोटिस मनमाने तरीके से भेजे। मरे हुए शख्स को भी नोटिस भेजा गया है।

यूपी सरकार ने इस मामले में दिसंबर 2019 में 130 लोगों को नोटिस भेजे थे। उसके बाद के दौर में सरकार 274 नोटिस जारी कर चुकी है। इनमें लोगों से लाखों की रिकवरी करने की बात कही गई है। हालांकि, बाद में 38 मामलों को बंद कर दिया गया। जबकि 236 में रिकवरी की बात शामिल थी। सुप्रीम कोर्ट के तेवर देख सरकार ने सारे नोटिस वापस ले लिए थे।

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