धर्म

क्‍या शिव और शंकर एक हैं, कौन थे महादेव के पहले शिष्‍य, कैसे हुई देवाधि देव की उत्‍पत्ति

भगवान शिव को शंकर, महादेव, महेश, नीलकंठ और रुद्र समेत कई नामों से पहचाना जाता है. कई बार ये सवाल पूछा जाता है कि क्‍या शिव और शंकर एक ही हैं? वहीं, भगवान शिव की उत्‍पत्ति भी बड़ा रहस्‍य है. हम आपको मन में आए ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब दे रहे हैं.

भगवान शिव को सनातन संस्‍कृति देवों के देव महादेव कहा जाता है. इसके अलावा हिंदू धर्म को मानने वाले उन्‍हें भगवान शंकर भी कहते हैं. उनके महेश, रुद्र, गंगाधर, भोलेनाथ, गिरीश जैसे कई नाम हैं. तंत्र साधना करने वाले भगवान शंकर को भैरव भी कहते हैं. भगवान शंकर को सौम्‍य और रौद्र दोनों रूपों में पूजा जाता है. भगवान शिव को त्रिदेवों में संहार का देवता माना जाता है. वैसे तो भगवान शिव को हमेशा कल्‍याणकारी माना जाता है, लेकिन वे लय और प्रलय दोनों को अपने अधीन रखते हैं.

भगवान शिव सुर और असुर दोनों को समान दृष्टि से देखते हैं. इसलिए कथा-कहानयिों में कई राक्षसों के उनकी कठिन तपस्‍या करने की जानकारियां मिलती हैं. भगवान शिव के कई अनन्‍य भक्‍तों में एक लंकाधिपति रावण भी हुए. कई राक्षसों ने उन्‍हें अपने तप से प्रसन्‍न कर मनचाहा वरदान पाया. सवाल ये उठता है कि भगवान शिव के भक्‍तों की कई कहानियां सुनी-सुनाई जाती हैं, लेकिन उनके पहले शिष्‍य की जानकारी बहुत कम उपलब्‍ध होती है. जानते हैं कि भगवान शंकर के पहले भक्‍त कौन थे?

भगवान शिव के पहले शिष्‍य कौन थे
भगवान शिव के पहले शिष्‍यों की जानकारी पुराणों में मिलती है. पुराणों के मुताबिक, भगवान शिव के सबसे पहले शिष्यों में सप्तऋषियों की गिनती होती है. मान्यता है कि सप्तऋषियों ने भगवान शिव के ज्ञान का प्रचार धरती पर किया था. इसी की वजह से विभिन्‍न धर्म और संस्कृतियों की उत्पत्ति हुई. ये भी माना जाता है कि भगवान शिव ने ही गुरु शिष्य परंपरा की शुरआत की थी. शिव के सबसे पहले शिष्यों में बृहस्पति, विशालाक्ष, शुक्र, महेंद्र, प्राचेतस मनु, सहस्राक्ष और भारद्वाज शामिल थे.

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भगवान शंकर किसका ध्‍यान करते हैं. देवों के देव महादेव के आराध्‍य कौन हैं.
क्‍या एक हैं भगवान शिव और शंकर
ज्‍यादातर सनातन परंपरा के अनुयायी शिव और शंकर को एक ही मानते हैं. हालांकि, शिव पुराण में जिक्र किया गया है कि सबसे पहले एक प्रकाश पुंज की उत्‍पत्ति हुई. इस प्रकाश पुंज से ब्रह्मा और विष्‍णु की उत्‍पत्ति हुई. जब ब्रह्माजी ने पूछा कि आप कौन हैं तो पुंज से आवाज आई कि मैं शिव हूं. इस पर ब्रह्मा जी ने प्रकाश पुंज से साकार रूप लेने को कहा. फिर उस प्रकाश पुंज से शंकर की उत्‍पत्ति हुई. इस आधार पर कहा जा सकता है कि शिव और शंकर एक ही शक्ति के अंश हैा, लेकिन दोनों अलग हैं. दोनों फर्क इतना है कि शिव प्रकाश पुंज स्‍वरूप हैं और अब हम उनकी शिवलिंग के रूप में पूजी करते हैं, जबकि शंकर सशरीर देव स्‍वरूप हैं.
किसका ध्‍यान करते हैं भगवान शंकर
कुछ पुराणों में भगवान शंकर को शिव इसलिए कहते हैं, क्योंकि वे निराकार शिव के समान है. निराकार शिव को ही शिवलिंग के रूप में पूजा जाता है. ज्‍यादातर जगहों पर भगवान शंकर को योगी के रूप में दिखाया जाता है. कई जगह देखा जाता है कि भगवान शंकर खुद आंखें बंद किए ध्‍यान मुद्रा में बैठे हैं. कभी सोचा है कि आखिर देवाधिदेव महादेव किसका ध्‍यान कर रहे हैं. तो इसको लेकर अलग-अलग कथाएं हैं. रामचरित मानस में भगवान शिव और श्रीराम को एकदूसरे का उपासक बताया गया है. शिवपुराण में खुद भगवान शिव माता पार्वती को बताते हैं कि वह श्रीराम का ध्‍यान करते हैं. वहीं, कुछ पुराणों में बताया जाता है कि भगवान शंकर शिव का ध्‍यान करते रहते हैं. कुछ जगहों पर भगवान शंकर को शिवलिंग का ध्यान करते हुए भी चित्रित किया गया है. इससे भी साफ होता है कि शिव और शंकर दो अलग सत्ताएं हैं.

भगवान शिव की उत्पत्ति कैसे हुई
मान्‍यता है कि भगवान शिव स्वयंभू हैं यानी खुद ही प्रकट हुए हैं, लेकिन पुराणों में उनकी उत्पत्ति का विवरण मिलता है. विष्णु पुराण के अनुसार, जहां भगवान विष्णु ब्रह्माजी की नाभि से उत्पन्‍न हुए थे. वहीं, भगवान शिव विष्णु जी के माथे के तेज से उत्पन्‍न हुए. विष्णु पुराण के मुताबिक, माथे के तेज से उत्पन्‍न होने के कारण ही शिव-शंभू हमेशा योगमुद्रा में रहते हैं. वहीं, भगवान शिव से एक और मान्यता जुड़ी है कि नंदी और महाकाल भगवान शंकर के द्वारपाल हैं और रुद्रदेवता शंकर की पंचायत के सदस्य हैं.

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माता पार्वती के अलावा भगवान शिव ने आदिशक्ति के तीन और स्‍वरूपों से भी विवाह किया था.

शिवजी की कितनी पत्नियां हुईं
ज्‍यादातर जगहों पर भगवान शिव की दो पत्नियों का ही उल्‍लेख मिलता है. इनमें पहली देवी सती और दूसरी माता पार्वती. वहीं, अगर हिंदू पौराणिक कथाओं की मानें तो महादेव ने एक दो नहीं बल्कि चार विवाह किए थे. उनके सभी विवाह आदिशक्ति से ही हुए थे. भगवान शिव का पहला विवाह माता सती के साथ हुआ. वह प्रजापति दक्ष की बेटी थीं. माता सती के पिता ने जब भगवान शिव का अपमान किया तो उन्होंने यज्ञकुंड में खुद को भस्‍म कर अपने प्राणों की आहुति दे दी. इसके बाद उन्‍होंने हिमालय की बेटी पार्वती के रूप में जन्‍म लिया. माता पार्वती के रूप में आदिशक्ति ने भगवान शिव से दूसरा विवाह किया. धर्मग्रंथों में भगवान शिव की तीसरी पत्नी देवी उमा को बताया जाता है. वहीं, उनकी चौथी पत्नी मां महाकाली को बताया गया है.

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