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पुलिस विभाग के ‘राजा’ ने किया लाखों-करोड़ों का ‘खेल’, कभी कॉलेज में गोल्ड मेडलिस्ट थे जनाब!

कई बार बड़े से बड़े पद पर पहुंचने वाले अधिकारी भी ऐसा कारनामा कर देते हैं, जिसकी हर तरफ चर्चा होने लगती है. ऐसा ही कुछ किया बिहार कैडर के एक आईपीएस अधिकारी ने एसएसपी (SSP) से डीजीपी (DGP) तक का सफर करने वाले ये अधिकारी पढ़ने में भी अव्‍वल रहे, लिहाजा कॉलेज के जमाने में वह गोल्‍ड मेडलिस्‍ट के तौर पर पहचाने जाते थे, लेकिन अब कहानी कुछ और हो गई…

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अगर आपसे पूछा जाए कि किसी भी राज्‍य में पुलिस विभाग का मुखिया यानि राजा कौन होता है, तो आपका जवाब होगा डीजीपी (Director General of Police). जिसे हिन्‍दी में पुलिस महानिदेशक (DGP) कहा जाता है. किसी राज्‍य में पुलिस विभाग का सबसे बड़ा अफसर डीजीपी ही होता है, लेकिन अगर इस ओहदे पर बैठा अधिकारी ही बड़ा खेल कर दे तो क्‍या कहेंगे. कुछ ऐसा ही हुआ है बिहार में कभी बिहार के पुलिस महानिदेशक यानि डीजीपी रहे एसके सिंघल ने भी पुलिस भर्ती परीक्षा को लेकर ऐसा खेल किया है जिसके बाद वह शिंकंजे में आ गए हैं आइए जानते हैं कि एसके सिंघल किस बैच के आईपीएस हैं और पुलिस सेवा में आने से पहले उन्‍होंने कहां से पढाई लिखाई की

तो आपको बता दें कि एसके सिंघल का पूरा नाम है संजीव कुमार सिंघल. सिंघल साहब की कहानी शुरू होती है पंजाब से. एसके सिंघल पंजाब के जालंधर छावनी के रहने वाले हैं. उनके पिता सत्‍यप्रकाश सिंघल टीचर थे. उनकी शुरूआती पढ़ाई लिखाई जालंधर से ही हुई. उन्‍होंने ग्रेजुएशन भी जालंधर के डीएवी कॉलेज से किया सिंघल साहब पढ़ाई में भी तेज तर्रार थे. आलम यह रहा कि मैथ्‍स ऑनर्स से उन्‍होंने ग्रेजुएशन किया, तो उन्‍हें गोल्‍ड मेडल भी मिला. यही नहीं जब उन्‍होंने मैथ्‍स में ही चंडीगढ़ की पंजाब यूनिवर्सिटी से पोस्‍ट ग्रेजुएशन किया. यहां भी उन्‍होंने गोल्‍ड मेडल पाया. इसके बाद उन्‍होंने पंजाब में ही खालसा वीमेंस कॉलेज में पढ़ाना शुरू कर दिया.

सिंघल कब बने आईपीएस
एसके सिंघल ने इसके बाद सिविल सर्विसेज का रूख किया. सिंघल ने यहां भी झंडा बुलंद किया. वर्ष 1987 में वह यूपीएससी में सेलेक्‍ट हो गए, लेकिन उन्‍हें आईएफएस (IFS) सेवा के लिए चुना गया. उन्‍होंने अगले साल फिर से यूपीएससी (UPSC) दी और आखिरकार वर्ष 1988 में वह आईपीएस (IPS) अफसर बन गए. सिंघल को बिहार कैडर का आईपीएस बनाया गया. तब से वह बिहार पुलिस के अधिकारी होकर रह गए. उन्‍होंने पब्लिक पॉलिसी एंड मैनेजमेंट सब्जेक्ट से उन्होंने एमबीए भी किया है. उन्‍होंने मगध यूनिवर्सिटी से मैनेजमेंट में डॉक्‍टरेट भी किया है.

कहां-कहां रही है पोस्‍टिंग
बिहार पुलिस में आने के बाद एसके सिंघल दानापुर के एसएसपी रहे. उसके बाद नालंदा, सीवान, कैमूर, रोहतास और भोजपुर आदि जिलों में भी एसपी के पद पर रहे. वर्ष 2005 में उनका प्रमोशन डीआईजी के रूप में हो गया है और डीआईजी प्रशासन बन गए. वह केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्‍ति पर रहे. साल 2020 में जब बिहार के तत्कालीन डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) लिया, उसम समय नीतीश सरकार ने एसके सिंघल को डीजीपी का अतिरिक्त प्रभार दे दिया. बाद में उन्हें पूरी तरह से डीजीपी (DGP) बना दिया गया. डीजीपी बनने से पहले वह पुलिस विभाग में होमगार्ड के निदेशक के पद पर थे. वह गृह रक्षा वाहिनी एवं अग्निशमन सेवाएं के महानिदेशक के पद पर भी रहे. डीजीपी के पद से वह 19 दिसंबर 2022 को रिटायर हो गए. जिसके बाद उन्‍हें तीन साल के लिए 14 जनवरी 2023 को बिहार के सेंट्रल सेलेक्‍शन काउंसिल (CSBC)का चेयरमैन बनाया गया, लेकिन बिहार सिपाही भर्ती परीक्षा पेपर लीक के कारण उन्‍हें दिसंबर 2023 में हटा दिया गया.

 

अब लगा कमीशन का आरोप
बिहार में एक आर्थिक अपराध इकाई, जिसे ई.ओ.यु. (EOU)भी कहा जाता है. वह सिपाही भर्ती परीक्षा पेपर लीक मामले की जांच कर रही है. ईओयू ने अब इस मामले में राज्‍य के पूर्व डीजीपी व सीएसबीसी के चेयरमैन रहे एसके सिंघल को दोषी माना है. ईओयू ने काफी समय से पेपर लीक मामले की जांच कर रही थी, जिसके बाद सिंघल को दोषी पाया है. अब उनके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की है. ईओयू की ओर से सिपाही भर्ती पेपर लीक मामले में जो चार्जशीट दाखिल की गई है, उसमें स्‍पष्‍ट रूप से कहा गया है कि बिहार के पूर्व डीजीपी और सेंट्रल सेलेक्‍शन काउंसिल (CSBC)(सिपाही भर्ती) के तत्कालीन चेयरमैन एसके सिंघल ने पेपर लीक कराने को लेकर कमीशन के रूप में मोटी रकम ली. आरोप है कि एसके सिंघल ने पेपर छापने वाले प्रिटिंग प्रेस मालिक से कमीशन लिया. जांच में यह बात भी सामाने आई है कि एसके सिंघल ने वेरिफिकेशन किए बिना ही पेपर छपाई का ठेका दिया था. इसके लिए लाखों करोड़ों का खेल किया गया.

 

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