‘प्रेस की आजादी पर भयानक….’ सरकारी खामियों को उजागर करने पर फंसे पत्रकार को ओडिशा हाईकोर्ट ने दी बड़ी राहत

कोरोना महामारी के दौरान राज्य सरकार की तरफ से बरती जा रही खामियों को उजागर करने पर पत्रकार के खिलाफ दर्ज मुकदमे में पीड़ित को बड़ी राहत दी है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की तरफ से दर्ज किए गए मुकदमे को रद्द करते हुए पत्रकार के खिलाफ जारी कानूनी कार्रवाई को भी बंद करने का निर्देश दिया है.
ओडिशा की सरकार ने पत्रकार के खिलाफ बेहद गंभीर धाराओं के तहत साल 2020 में मुकदमा दर्ज किया था. लंबे समय तक कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद उन्हें अब इस मामले में ओडिशा हाईकोर्ट ने राहत दे दी है.
अगर इस तरह से मुकदमे दर्ज किए जाते रहे तो प्रेस की आजादी पर इसका भयानक प्रभाव पड़ेगा.:हाई कोर्ट
नई दिल्ली
ओडिशा हाईकोर्ट ने कोरोना महामारी के दौरान राज्य सरकार की तरफ से बरती जा रही खामियों को उजागर करने पर पत्रकार के खिलाफ दर्ज मुकदमे में पीड़ित को बड़ी राहत दी है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की तरफ से दर्ज किए गए मुकदमे को रद्द करते हुए पत्रकार के खिलाफ जारी कानूनी कार्रवाई को भी बंद करने का निर्देश दिया है. हाई कोर्ट ने कहा कि अगर इस तरह से मुकदमे दर्ज किए जाते रहे तो प्रेस की आजादी पर इसका भयानक प्रभाव पड़ेगा. पीड़ित पत्रकार ओडिशा टेलीविजन नेटवर्क (OTV) के इनपुट एडिटर हैं.
जस्टिस डॉक्टर एस मुरलीधर की सिंगल बेंच ने कहा, ‘OTV के इनपुट एडिटर के खिलाफ अगर कानूनी कार्रवाई को जारी रखा जाता है तो इससे प्रेस की आजादी पर भयानक प्रभाव पड़ सकते हैं.’ बता दें कि 6 अगस्त 2020 को ओटीवी पर दो लोगों की बातचीत का ऑडियो चलाया गया था, जिसमें से एक ने दावा किया था कि वो कोरोना पॉजीटिव पाए जाने के बाद सरकार की देखरेख में क्वारंटीन सेंटर में इलाज कराने के बाद लौटा है. दोनों में से एक शख्स ने कोरोना महामारी की गंभीरता को हल्के में लेने की बात कही थी. उसने कहा था कि इस बीमारी का इलाज बिना किसी दवाई के ही हो सकता है.
ओडिशा सरकार का क्या था तर्क
यह बातचीत ओटीवी के यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी शेयर की गई थी. ओडिशा सरकार का मानना था कि इस तरह की खबर प्रकाशित करने से लोगों में इस गंभीर बीमारी के प्रति भ्रम की स्थिति पैदा होती है. इससे लोगों में कोरोना प्रोटोकॉल को ना मानने का बढ़ावा मिलता है. साथ ही उन्हें मेडिकल ट्रीटमेंट नहीं लेने के प्रति बढ़ावा दिया जा रहा है. लिहाजा पत्रकार पर आईपीसी की धारा-269, 270, 120बी और 505(1) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया. इसके साथ ही डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005 के तहत भी एक्शन लिया गया.
ये था असली मामला
ओडिशा सरकार की तरफ से यह भी कहा गया कि ओटीवी केंद्र सरकार द्वारा कोरोना महामारी के लिए दिए गए फंड का गलत इस्तेमाल करने की झूठी खबरें भी राज्य में फैला रहा था. ओटीवी की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि सरकार अपने रोजाना के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए भुवनेशवर नगर निगम में कोरोना मरीजों के फर्जी केस बना रही है.