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ओडिशा भीषण ट्रेन दुर्घटना:कई परिवार दर-दर भटकने को मजबूर, गेस्ट हाउस में रहना पड़ रहा; अब तक नहीं मिले अपनों के शव

, भुवनेश्वर

ओडिशा के बालासोर जिले में 2 जून यानी शुक्रवार को एक भीषण ट्रेन हादसा हुआ था। इस हादसे में करीब 300 लोगों की मौत हुई थी। अपने लोगों के शव को पाने के लिए कई परिवार दर-दर भटकने को मजबूर हैं।

ओडिशा में दो जून को हुए भीषण ट्रेन दुर्घटना में जान गंवाने वालों के परिजनों का दुख खत्म लेने का नाम नहीं ले रहा। हादसे के करीब चार सप्ताह बाद भी लोग अपने परिवार के सदस्यों के पार्थिव शरीर का इंतजार कर रहे हैं। शव को पाने के लिए कई परिवार दर-दर भटकने को मजबूर है। तो कईयों ने अस्पताल के पास ही डेरा डाल दिया है।

गौरतलब है, ओडिशा के बालासोर जिले में 2 जून यानी शुक्रवार को एक भीषण ट्रेन हादसा हुआ था। बहनागा रेलवे स्टेशन के पास तीन ट्रेनों की आपस में टक्कर हो गई थी। इस हादसे में करीब 300 लोगों की मौत हुई थी।

सुनसान इलाकों में रहने को मजबूर लोग

बेगुसराय की बसंती देवी: बिहार के बेगुसराय जिले के बारी-बलिया गांव की बसंती देवी अपने पति के पार्थिव शरीर को पाने के लिए पिछले 10 दिनों से एम्स के पास एक सुनसान इलाके में स्थित एक गेस्ट हाउस में रह रही हैं। उन्होंने रोते हुए बताया कि वह अपने पति योगेन्द्र पासवान के लिए आई यहां आई हैं। पासवान एक ठेका मजदूर थे। घर लौटते समय दुर्घटना में उनकी मौत हो गई थी।

उन्होंने कहा कि कोई भी अधिकारी साफ-साफ कुछ नहीं बता रहा है। कभी कोई पांच दिन लगने की बात करता है तो किसी अधिकारी का कहना है कि इसमें और भी समय लग सकता है।

बसंती देवी ने आगे बताया कि उनके पांच बच्चे हैं। वह तीन बच्चों को गांव में ही छोड़कर आई हैं। जबकि दो बेटे साथ आए हैं। उन्होंने कहा कि उनके परिवार में इकलौते कमाने वाले इंसान उनके पति थे। रोते हुए उन्होंने कहा कि कैसे जिंदा रहेंगे नहीं पता।

पूर्णिया के नारायण ऋषिदेव: ये कहानी किसी एक इंसान की नहीं है, बल्कि कई लोग ऐसे ही अपने लोगों के शरीर के लिए भटक रहे हैं। पूर्णिया के नारायण ऋषिदेव भी उन्हीं परिवार के सदस्यों में शामिल हैं, जो अपने प्रियजन के पार्थिव शरीर का पाने की कोशिश कर रहे हैं।

उनका कहना है कि चार जून से वह अपने पोते सूरज कुमार के शव का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हाल ही में सूरज की मैट्रिक की पढ़ाई पूरी हुई थी। वह नौकरी की तलाश में कोरोमंडल एक्सप्रेस से चेन्नई जा रहा था। तभी ये हादसा हो गया। ऋषिदेव ने कहा कि अधिकारियों ने पहले ही डीएनए नमूना ले लिया है, लेकिन अभी तक रिपोर्ट नहीं आई है।

बंगाल के शिवकांत रॉय: वहीं, पश्चिम बंगाल के कूच बिहार जिले के शिवकांत रॉय ने कहा कि उनके बेटे विपुल की जून के अंत में शादी होनी थी, इसलिए वह तिरुपति से घर लौट रहा था। उन्होंने कहा कि जब वह उसे ढूंढने गए तो किसी ने नहीं बताया कि शव बालासोर में नहीं, केआईएमएस अस्पताल में रखा गया था। रॉय ने कहा कि जानकारी न होने की वजह से बेटे को बालासोर अस्पताल में खोजता रहा। बाद में बताया गया कि किम्स अस्पताल ने शव को बिहार के किसी व्यक्ति को सौंप दिया, जो अपने साथ ले गया और अंतिम संस्कार कर दिया।

बिहार की राजकली देवी: इसी तरह, बिहार के मिजफ्फरपुर की राजकली देवी अपने पति के शव का इंतजार कर रही हैं जो चेन्नई जा रहे थे।

गेस्ट हाउस में 35 लोग डाले हैं डेरा
बता दें, डीएनए रिपोर्ट आने में देरी के कारण 35 लोग गेस्ट हाउस में डेरा डाले हुए हैं, जबकि 15 अन्य लोग घर के लिए रवाना हो गए हैं। रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि वे दावेदारों से अपने डीएनए नमूने उपलब्ध कराने की अपील कर रहे हैं। अधिकारी का कहना है कि एम्स और राज्य सरकार के बीच वह सिर्फ एक कड़ी हैं। इस बीच, भुवनेश्वर एम्स में तीन कंटेनरों में संरक्षित 81 शवों की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है। अब तक कुल 84 परिवारों ने डीएनए सैंपल दिए हैं।

 

 

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