सरकार में बदलाव के बाद सामाजिक नीति में बदलाव लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा : मुंबई HC

HC: सरकार में बदलाव के बाद सामाजिक नीति में बदलाव लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा, मनमाना नहीं कहा जा सकता
मुंबई
याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि जब भी सरकार में बदलाव होता है तो अपने समर्थकों को प्रशासन में जगह देने के लिए बदलाव किए जाते हैं। उनका कहना था कि यह न्याय सिद्धांतों के खिलाफ है। इस पर पीठ ने कहा कि बदलाव लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा है।
बंबई उच्च न्यायालय ने कहा है कि सरकार में बदलाव के बाद सामाजिक नीति में बदलाव, नीतियों और कार्यक्रमों को लागू करना लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा है। इसे मनमाना या दुर्भावनापूर्ण नहीं कहा जा सकता है।
यह है मामला
दरअसल, याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि जब भी सरकार में बदलाव होता है तो अपने समर्थकों को प्रशासन में जगह देने के लिए बदलाव किए जाते हैं। उनका कहना था कि यह न्याय सिद्धांतों के खिलाफ है। याचिका के अनुसार, जून 2022 में शिंदे और नए प्रशासन के सत्ता में आने के बाद सरकार ने आदिवासी उप योजना परियोजनाओं में 29 परियोजना स्तरीय (योजना समीक्षा) समितियों में नियुक्त 197 अध्यक्षों और गैर-सरकारी सदस्यों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया था।
याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री और देवेंद्र फडणवीस के उपमुख्यमंत्री बनने के बाद उनकी नियुक्ति रद्द कर दी गई थी। याचिकाकर्ताओं ने शिकायत की थी कि नियुक्तियों को रद्द करने का ऐसा अचानक निर्णय सुनवाई का अवसर दिए बिना या कोई कारण बताए बिना लिया गया था। इसलिए, यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन था।