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‘कपड़ा तेरे बाप का, तेल तेरे बाप का’ आदिपुरुष में हनुमान जी के विवादित डॉयलाग पर मनोज मुंतशिर ने क्या दी सफाई

‘कपड़ा तेरे बाप का, आग तेरे बाप की, तेल तेरे बाप का, जलेगी भी तेरे बाप की…’, ‘तेरी बुआ का बगीचा है क्या जो हवा खाने आ गया…’, ‘जो हमारी बहनों को हाथ लगाएंगे, उनकी लंका लगा देंगे…’, जैसे कई डॉयलाग्स पर लोग जमकर बवाल कर रहे हैं. बवाल बड़ा तो फिल्म के लेखक हैं मनोज मुंतशिर ने सफाई दी. उन्होंने अपनी सफाई में क्या बात कही आपको बताते हैं…

नई दिल्ली

देश की सबसे महंगी फिल्मों में से एक आदिपुरुष को लेकर लगातार चर्चाओं का बाजार गर्म है. फिल्म के सीन्स से लेकर इसके डायलॉग्स की बात हर तरफ हो रही है. सबसे ज्यादा चर्चाएं फिल्म के ‘छपरी’ डायलॉग्स को लेकर हो रही है. सोशल मीडिया पर कई यूजर फिल्म के डायलॉग्स की खुलकर आलोचना कर रहे हैं. यूजर्स का कहना है कि मॉडर्न रामायण दिखाने के चक्कर में फैक्ट्स के साथ भी मेकर्स ने काफी छेड़छाड़ की है और फिल्म छपरी डायलॉग्स से भरी है. फिल्म के लेखक हैं मनोज मुंतशिर ने इन डॉयलाग्स पर अब सफाई दी है.

‘कपड़ा तेरे बाप का, आग तेरे बाप की, तेल तेरे बाप का, जलेगी भी तेरे बाप की…’, ‘तेरी बुआ का बगीचा है क्या जो हवा खाने आ गया…’, ‘जो हमारी बहनों को हाथ लगाएंगे, उनकी लंका लगा देंगे…’, जैसे कई डॉयलाग्स पर लोग जमकर बवाल कर रहे हैं. बवाल बड़ा तो फिल्म के लेखक हैं मनोज मुंतशिर ने सफाई दी. उन्होंने अपनी सफाई में क्या बात कही आपको बताते हैं…

जानबूझकर लिखे गए डायलॉग्स
मनोज मुंतशिर ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में अपनी सफाई पेश की और इस सफाई में उन्होंने कहा कि जिन डायलॉग्स को लेकर हल्ला हो रहा है, उन्हें जानबूझकर ऐसा रखा गया है, जिससे आजकल के लोग उससे जुड़ सकें.

सिर्फ हनुमान जी के डायलॉग्स पर ही बात क्यों?
उन्होंने कहा कि हनुमान जी के कंट्रोवर्शियल डायलॉग्स पर बात करते हुए कहा, सिर्फ हनुमान जी की बात क्यों हो रही है? मुझे लगता है अगर बात होनी चाहिए तो हमें भगवान श्रीराम के जो संवाद है. उनके बारे में भी बात करनी चाहिए. हमें मां सीता के संवाद पर भी बात करनी चाहिए, जहां वो चैलेंज करती हैं रावण की अशोक वाटिका में बैठकर कि ‘रावण तेरी लंका में अभी इतना सोना नहीं है कि जानकी का प्रेम खरीद सके’. इसके बारे में बात क्यों नहीं हो रही है.

 कुछ अलग होना जरुरी है
मनोज मुंतशिर ने कहा कि बजरंग बली के डायलॉग्स एक प्रोसेस से गुजरे हैं. हमने इन्हें बहुत सिंपल रखा है. मनोज मुंतशिर ने कहा, एक फिल्म में कई कैरेक्टर्स हैं तो हर कोई एक भाषा में नहीं बात कर सकता है ऐसे में कुछ अलग होना जरुरी है.

‘इस देश के बड़े-बड़े संत, बड़े-बड़े कथावाचक ऐसे ही बोलते हैं’
मनोज मुंतशिर ने आगे कहा, हम रामायण को कैसे जानते हैं. हमारे यहां कथा वाचन की भी परंपरा है, रामायण एक ऐसा ग्रंथ है, जिसे हम बचपन से सुनते आ रहे हैं. अखंड पाठ होता है, कथा वाचक होते हैं. उन्होंने अपनी बात को आगे रखते हुए कहा, ‘मैं एक छोटे से गांव से आया हूं हमारे यहां दादियां-नानियां जब कथा सुनाती थीं तो इसी भाषा में सुनाती थीं. ये जो डायलॉग (कपड़ा तेरे बाप का…) जिसका जिक्र किया, इस देश के बड़े-बड़े संत, इस देश के बड़े-बड़े कथावाचक ऐसे ही बोलते हैं जैसे मैंने लिखा है, मैं पहला नहीं हूं, जिसने इस तरह के डायलॉग लिखे हैं, यह पहले से ही हैं’. मनोज ने यह भी स्पष्ट किया कि रामायण में जितने भी किरदार है उनकी भाषा एक जैसी नहीं हो सकती ऐसे में उन्होंने इसी विविधता को दर्शाने के लिए हनुमान जी को कुछ अलग तरीके के डायलॉग दिए हैं.

लोग बोले- माफी मांगों मनोज
आपको बता दें कि फिल्म में हनुमान जी के डायलॉग्स को सुनने के बाद बुद्धिजीवी कह रहे हैं कि इन डायलॉग्स को और बेहतर तरीके से लिखा जाना चाहिए था और इनमें ठहराव होना चाहिए था. हालांकि फिल्म मेकर्स की इसके विषय में अलग ही सोच है हनुमान जी का एक डायलॉग काफी वायरल हो रहा हैं. इन डायलॉग्स को लेकर मनोज काफी ट्रोल हो रहे हैं और लोग उन्हें माफी मांगने को कह रहे हैं.

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