महाराष्ट्र

कौवे के श्राप से गाय नहीं मरती, बारामती में भाजपा की अमेठी जैसी प्लानिंग पर बरसी एनसीपी

चंद्रशेखर बावनकुले के बारामती के दौरे ने महाराष्ट्र का सियासी पारा और चढ़ा दिया है। वहीं एनसीपी भी हमलावर हो गई है और अजीत पवार ने तंज कसते हुए कहा है कि कभी कौवे के श्राप से गाय नहीं मरती।

पुणे
महाराष्ट्र भाजपा के मुखिया चंद्रशेखर बावनकुले ने शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले के लोकसभा क्षेत्र बारामती का दौरा किया है। उसके बाद से ही इस पर राजनीति तेज हो गई है और इसे शरद पवार फैमिली को घेरने की भाजपा की कोशिशों के तौर पर देखा जा रहा है। पहले ही भाजपा ने जिन 16 सीटों की फोकस बढ़ाने के लिए लिस्ट तैयार की है, उसमें बारामती को शामिल किया था। ऐसे में अब बावनकुले के दौरे ने सियासी पारा और चढ़ा दिया है। वहीं एनसीपी भी हमलावर हो गई है और अजीत पवार ने तंज कसते हुए कहा है कि कभी कौवे के श्राप से गाय नहीं मरती।

मीडिया से बात करते हुए शुक्रवार को अजीत पवार ने कहा, ‘क्या आप एक मराठी कहावत जानते हैं, कौवे के अभिशाप से कभी गाय नहीं मरती।’ उन्होंने कहा कि यह सच है कि भाजपा के नए अध्यक्ष बारामती आते हैं तो काफी चर्चा होती है। इसकी वजह यह है कि वे यहां आए तो उसकी खबर बनी। कहीं और गए होते तो ऐसा नहीं होता। अजीत पवार ने कहा कि नए अध्यक्ष को शायद कुछ नया चाहिए। इसलिए वह बारामती आकर चर्चा पाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन उन्हें कुछ अलग करना चाहिए। दरअसल इस बात के भी कयास लग रहे हैं कि 2024 के आम चुनाव में बावनकुले यहां से उतर सकते हैं।

इस पर भी जवाब देते हुए अजीत पवार ने कहा कि अगर आप संगठन में काम कर रहे थे और पार्टी के करीब थे। फिर आपको 2019 में उम्मीदवार के रूप में क्यों खारिज कर दिया गया। आपकी पत्नी को भी मौका क्यों नहीं मिला। यह तो आपकी पार्टी के ही भीतर का मामला है। पवार ने कहा कि कोई भी बारामती आए, यहां सभी का स्वागत है, बारामती में काम बोलता है। उन्होंने कहा कि हमसे ज्यादा काम करने वालों को बारामती लाओ, बारामती की जनता उसे जरूर मानेगी। गौरतलब है कि गुरुवार को भी अजीत पवार ने तंज कसते हुए कहा था कि मेरे और मेरी बहन (सुप्रिया सुले) के लिए चुनाव क्षेत्र क्या होगा क्योंकि अब तो हम वहां हारने जा रहे हैं। मैं भाजपा से पूछना चाहता हूं कि क्या हमारे चुनाव लड़ने के लिए भी कोई क्षेत्र बचेगा।

 

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