उत्तरप्रदेश

यूपी गृह विभाग का एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर तैयार:अब सड़क पर शव रखकर प्रदर्शन करना दंडीय अपराध माना जायेगा

यूपी में शव रखकर प्रदर्शन करना अब ‘अपराध’, हाथरस कांड के बाद HC के निर्देश पर योगी सरकार ने बनाए सख्त नियम…

अगर परिजन किसी के शव को लेने से इनकार करते हैं और शव के खराब होने की स्थिति उत्पन्न होती है, तो परिजनों को समझाने का प्रयास किया जाएगा।

नई दिल्ली

शव को सड़क पर रखकर कोई प्रदर्शन नहीं कर सकता

उत्तर प्रदेश में अब कोई व्यक्ति सड़क पर शव रखकर प्रदर्शन नहीं कर पाएगा। दरअसलयूपी के गृह विभाग ने एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर तैयार किया है, जिसके तहत अब सड़क पर शव रखकर प्रदर्शन करना दंडीय अपराध माना गया है। गृह विभाग ने इसकी कॉपी तैयार कर ली है और जल्द ही इसे पेश किया जाएगा। हाथरस कांड के बाद पीड़ित परिवार ने प्रदर्शन किया था, जिसके बाद हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की थी। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद यूपी सरकार ने इस नियम को तैयार किया है।

उत्तर प्रदेश के गृह विभाग की ओर से तैयार की गई एसओपी के अनुसार जैसे ही शव को परिजनों को सौंपा जाएगा, उसके बाद उनसे लिखित रूप से सहमति ली जाएगी कि वे शव को पोस्टमार्टम हाउस से सीधे घर ले जाएंगे। अगर रास्ते में कोई भीड़ इकट्ठा हुई या रास्ता जाम किया गया, तो ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

इसके साथ ही इस एसओपी में यह भी दिशानिर्देश है कि अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को शव सौंपा जाएगा। लेकिन अगर परिजन शव लेने से इनकार करते हैं या किन्हीं अन्य कारणों से शव के खराब होने की स्थिति उत्पन्न होती है,तो परिजनों को समझाने का प्रयास किया जाएगा। अगर परिजन नहीं मानते हैं तो 5 प्रतिष्ठित व्यक्तियों का एक समूह बनाया जाएगा और उसमें मृतक के समुदाय के एक व्यक्ति को भी शामिल किया जाएगा और उसके बाद पंचनामा तैयार कर दिया जाएगा।

इसके साथ ही अगर रात को किसी का अंतिम संस्कार किया जाता है, तो उसके लिए सबसे पहले प्रशासन से अनुमति लेनी होगी। इस दौरान अंतिम संस्कार की वीडियोग्राफी की जाएगी और इस वीडियोग्राफी को एक साल तक सुरक्षित रखा जाएगा। इन सब दिशा निर्देशों का पालन करने के बाद ही अंतिम संस्कार किया जाएगा।

दरअसल हाथरस कांड के बाद हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि गरिमा पूर्ण जीवन का अधिकार व्यक्ति की मृत्यु के बाद भी बना रहता है। बता दें कि ऐसे कई मामले सामने आते हैं जिसमें परिजन अगर जांच या पुलिस की कार्यवाही से संतुष्ट नहीं होते हैं तो शव का अंतिम संस्कार काफी देरी से करते हैं या फिर शव को सड़क पर रखकर प्रदर्शन करते हैं। इन्हीं घटनाओं को देखते हुए सरकार ने ऐसा फैसला लिया है।

 

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