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मोदीजी ने चुनाव प्रचार करते हुए फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ का प्रचार भी कर दिया !

आतंकवाद की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म द केरला स्टोरी अपने प्रदर्शन के शुरुआती दिनों में ही जबरदस्त कमाई कर रही है

 

आतंकवाद की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म द केरला स्टोरी अपने प्रदर्शन के शुरुआती दिनों में ही जबरदस्त कमाई कर रही है। फिल्म का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन रोजाना करोड़ों में हो रहा है। इस फिल्म से जुड़े सभी लोगों के लिए मुनाफा है, लेकिन देश को इस फिल्म से और इस फिल्म के जरिए जो माहौल बनाने की कोशिश की गई है, उससे घाटा हो रहा है। फिल्म में 3 लड़कियों की कहानी दिखाई गई है, जिन्हें बहला-फुसलाकर उनका धर्म परिवर्तन किया जाता है और फिर आतंकी संगठन आईएसआईएस में उन्हें भर्ती किया जाता है।

दुनिया में इस तरह की घटनाएं बहुत होती हैं। आतंकी संगठनों में शामिल करने के लिए लोगों का ब्रेन वॉश किया ही जाता है, क्योंकि कोई भी सामान्य समझ रखने वाला इंसान धर्म के नाम पर दूसरे की जान लेने या आतंक फैलाने के लिए तैयार नहीं होगा। उसे धर्मांध बनाकर ही आतंकवाद के कुत्सित इरादे सफल हो सकते हैं। धर्म परिवर्तन और आतंकवाद के इसी संबंध को दिखाकर, उसे केरल की पृष्ठभूमि से जोड़कर फिल्म बना दी गई और नाम रख दिया द केरला स्टोरी। नाम से एकबारगी धारणा यह बनती है कि यह पूरे केरल की कहानी है। इस फिल्म को बनाने के पीछे असली मकसद क्या है, क्या इससे आतंकवाद के खिलाफ कोई संदेश देना है या फिर हिंदू-मुस्लिम के बीच संदेह का वातावरण कायम करना है या ये बताना है कि केरल में हिंदू लड़कियां सुरक्षित नहीं हैं, ये स्पष्ट नहीं है। लेकिन इतना तय है कि देश के चुनावी माहौल में राजनैतिक मकसद पूरा करने के लिए यह फिल्म बढ़िया जरिया बन गई है।

फिल्म को हिट होना ही था, तो क्योंकि भाजपा के स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चुनाव प्रचार करते हुए फिल्म का प्रचार भी कर दिया। उन्होंने कर्नाटक की एक रैली में इस फिल्म के बारे में कहा कि फिल्म आतंकी साजिश पर आधारित है और आतंकवाद के बदसूरत सच को दिखाती है। कांग्रेस आतंकवाद पर बनी फिल्म का विरोध कर रही है और आतंकवाद के साथ खड़ी है।

कांग्रेस वोट बैंक के लिए आतंकवाद का बचाव कर रही है। प्रधानमंत्री ने यह फिल्म शायद नहीं देखी होगी, क्योंकि देखी होती तो अब तक उसकी खबर भी आ जाती। वैसे भी चुनाव प्रचार की व्यस्तता में उन्हें फिल्म देखने का अवकाश नहीं मिला होगा। तो यह माना जा सकता है कि शायद फिल्म के ट्रेलर को देखकर उन्हें इस की कहानी के बारे में पता चला होगा।

लेकिन ट्रेलर में जो कुछ दिखाया गया है, वह भी काल्पनिक है। फिल्म के टीजर में दावा किया गया था कि केरल की 32,000 से अधिक महिलाओं को आईएसआईएस में भर्ती किया गया था। इस आंकड़े पर सवाल उठे, आरोप लगे कि केरल को इस्लामी आतंकवाद के रूप में चित्रित करने की साजिश है, अदालत में फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी की गई, तो अब निर्माताओं ने हाईकोर्ट में कहा है कि वे इस भ्रामक दावे को सोशल मीडिया से हटा देंगे। जब आंकड़ों को लेकर संदेह था तो उसे टीजर में इस तरह क्यों दिखाया गया, मानो वही कड़वी सच्चाई है। और क्यों देश के प्रधानमंत्री चुनाव जैसे गंभीर अवसर पर एक ऐसी फिल्म का जिक्र कर रहे हैं, जिसमें सच और झूठ का घालमेल है।

श्री मोदी ने इस फिल्म के आधार पर आतंकवाद जैसे गंभीर मसले पर कांग्रेस की सोच को लेकर सवाल खड़े किए। प्रधानमंत्री से पूछा जाना चाहिए कि क्या आतंकवाद को लेकर कोई भी लड़ाई इतनी हल्की हो सकती है कि उसकी दिशा कोई फिल्म तय करे। केरल में आतंकवाद के लिए धर्मांतरण की समस्या अगर है तो इसका खुलासा राष्ट्रीय जांच एजेंसी और खुफिया एजेंसियों से होना चाहिए या कोई फिल्म इस बारे में जानकारी देगी और सरकार उस मुताबिक काम करेगी।

कांग्रेस ने फिल्म में आतंकवाद और धर्मांतरण के मुद्दे के ट्रीटमेंट का विरोध किया है, क्योंकि इससे केरल की छवि खराब हो रही है। लेकिन मोदीजी ने फिल्म के विरोध को आतंकवाद के साथ खड़े होने के बराबर कर दिया। ऐसा नहीं है कि पहली बार आतंकवाद की पृष्ठभूमि पर कोई फिल्म बनी हो। द्रोहकाल, माचिस, मिशन कश्मीर ऐसी न जाने कितनी फिल्में आतंकवाद की पृष्ठभूमि पर बनी हैं। लेकिन द केरला स्टोरी के जरिए कोई और ही नैरेटिव सेट करने की कोशिश दिखाई दी। ऐसी ही कोशिश कश्मीर फाइल्स में भी दिखी। उस फिल्म का भी खूब प्रचार भाजपा ने किया। कई राज्यों में फिल्म टैक्स फ्री की गई। भाजपा के बड़े नेताओं ने पूरे प्रचार के साथ इस फिल्म को देखा। जब गोवा फिल्म फेस्टिवल में इफ्फी के जूरी सदस्य नदाव लापिड ने इसे भ्रामक प्रचार करार दिया, तो उस पर खूब बवाल भी मचा। तब जूरी के एक अन्य सदस्य सुदीप्तो सेन ने लापिड के बयान से किनारा कर लिया था। अब उन्हीं सुदीप्तो सेन ने द केरला स्टोरी को निर्देशित किया है।

कश्मीर फाइल्स से लेकर केरला स्टोरी तक यही माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है कि भारत में हिंदू असुरक्षित हैं, वे आतंकवाद का शिकार हैं, जो इस्लाम से संबंधित है। संदेह का यही वातावरण चुनावों के वक्त भी बनाया जाता है, ताकि धर्म की रक्षा के नाम पर लोग भाजपा को वोट दे। केरल में भाजपा लाख कोशिश के बावजूद सरकार नहीं बना पाई है। बल्कि ई.श्रीधरन जैसे सम्मानित व्यक्ति को भी भाजपा की राजनीति के कारण केरल की जनता ने नकार दिया। इस छोटे से प्रगतिशील राज्य ने शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन आदि में नयी ऊंचाइयां छुई हैं। यहां वामदलों के अलावा कांग्रेस का जनाधार है। राहुल गांधी को केरल के वायनाड से ही लोकसभा में जीत मिली थी। हिंदू, मुस्लिम, ईसाई सभी यहां अमन चैन से रहते हैं। लेकिन अब उसे एक बेबुनियाद डर दिखाकर खत्म किया जा रहा है।

केरला स्टोरी जिन्हें देखना है, वो देखें, लेकिन इतना ध्यान रखें कि ढाई घंटे के तमाशे में पूरी कमान खेल दिखाने वाले के हाथ में रहती है। वह जिस तरह चाहे, चीजों को प्रस्तुत करता है। इसलिए उसे पूरा सच नहीं मानना चाहिए और याद रखना चाहिए कि आधा सच सबसे खतरनाक होता है।

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