धर्म

कब है शनि जयंती? जान लें ज्येष्ठ अमावस्या की ​तिथि और पूजा मुहूर्त, वट सावित्री व्रत भी साथ

न्याय के देवता शनि देव का जन्म ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को हुआ था. इस वजह से हर साल ज्येष्ठ अमावस्या को शनि जयंती मनाई जाती है. ज्येष्ठ अमावस्या को शनि अमावस्या भी कहते हैं. ज्येष्ठ अमावस्या को वट सावित्री व्रत भी रखा जाता है. जानें कब है शनि जयंती और पूजा मुहूर्त?

न्याय के देवता शनि देव का जन्म ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को हुआ था. इस वजह से हर साल ज्येष्ठ अमावस्या को शनि जयंती मनाई जाती है. शनि जयंती उत्तर भारत में ज्येष्ठ अमावस्या को और दक्षिण भारत में वैशाख अमावस्या को मनाई जाती है. इस दिन कर्मफलदाता शनि देव की विधि विधान से पूजा होती है. ज्येष्ठ अमावस्या को शनि अमावस्या भी कहते हैं. ज्येष्ठ अमावस्या को वट सावित्री व्रत भी रखा जाता है. इस दिन महिलाएं व्रत रखकर सावित्री और वट वृक्ष की पूजा करती हैं. उनको इससे अखंड सौभाग्य और पति को लंबी आयु प्राप्त होती है.

शनि जयंती 2023 तिथि मुहूर्त
तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव बताते हैं कि पंचांग के अनुसार, इस साल ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 18 मई को रात 09 बजकर 42 मिनट पर शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन अगले दिन 19 मई को रात 09 बजकर 22 मिनट पर होगा. उदयातिथि की मान्यता के अनुसार, ज्येष्ठ अमावस्या को शनि जंयती 19 मई शुक्रवार को मनाई जाएगी. इस साल वट सावित्री व्रत भी 19 मई को रखा जाएगा.

शोभन योग में है शनि जयंती
19 मई को शनि जयंती को शोभन योग बन रहा है. उस दिन शोभन योग सुबह से प्रारंभ हो रहा है और शाम 06 बजकर 17 मिनट तक रहेगा. शुभ कार्यों के लिए शोभन योग अच्छा माना जाता है. शाम 06:17 बजे के बाद से अतिगंड योग प्रारंभ होगा. शनि जयंती के दिन का शुभ मुहूर्त यानि अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 10 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 04 मिनट तक है.

शनि जयंती पर रुद्राभिषेक का संयोग
शनि जयंती के दिन रुद्राभिषेक का सुंदर संयोग बना है. इस दिन शिववास गौरी के साथ प्रात:काल से लेकर रात 09 बजकर 22 मिनट तक है. जो लोग शनि जयंती पर भगवान शिव की कृपा पाना चाहते हैं, वे रुद्राभिषेक करा सकते हैं.

शनि जयंती का महत्व
1. शनि जयंती को शनि देव की पूजा करने से शनि दोष, साढ़ेसाती ओर ढैय्या के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है.

2. शनि जयंती पर शनि देव का जन्मदिन मनाया जाता है. वे भगवान सूर्य और माता छाया के पुत्र हैं. उनकी बहन का नाम भद्रा है. यमराज और यमुना भी उनके भाई-बहन हैं. वे माता संज्ञा के पुत्र और पुत्री हैं.

3. भगवान शिव शनि देव के आराध्य हैं. शिव कृपा मिलने के कारण ही शनि देव को न्याय का देवता कहते हैं. शिव आशीर्वाद के कारण ही वे सभी के साथ न्याय करते हैं.

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