माता-पिता से मांगे 3 साल, बहन के ससुराल में रहकर बना क्रिकेटर, रेप के आरोप में गया जेल, अब बना नंबर-1

क्रिकेट में रोजाना कोई ना कोई रिकॉर्ड बनते ही हैं. लेकिन कोई ऐसा खिलाड़ी वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दे, जिसके बारे में कम लोग ही जानते हों, तो हर ओर उसकी चर्चा हाेने लगती है. ऐसे ही एक 22 साल के लेग स्पिनर ने अपने प्रदर्शन से पूरी दुनिया को रोमांचित कर दिया है. हालांकि उसका निजी जीवन काफी विवादास्पद रहा है.
नई दिल्ली.
नेपाल के लेग स्पिनर संदीप लमिछाने ने वनडे क्रिकेट में नया इतिहास रच दिया है. 22 साल का यह गेंदबाज सिर्फ 42 मैच में 100 विकेट के आंकड़े तक पहुंच गया. यह वर्ल्ड रिकॉर्ड है. ओमान के खिलाफ एक मुकाबले में लमिछाने ने 45 रन देकर 3 विकेट लिए और बड़ा रिकॉर्ड अपने नाम किया. इससे पहले वनडे में सबसे तेज 100 विकेट लेने का रिकॉर्ड अफगानिस्तान के लेग स्पिनर राशिद खान के नाम था. उन्होंने 44 मैच में ऐसा किया था. संदीप लमिछाने का प्रदर्शन इसलिए भी खास है, क्योंकि पिछले दिनों उन पर रेप के आरोप लगे थे और इस कारण उन्हें महीनों तक जेल में रहना पड़ा. जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने अपना बेहतरीन खेल जारी रखा.
संदीप लमिछाने के माता-पिता नहीं चाहते थे कि उनका बेटा क्रिकेटर बने. लेकिन बेटे ने उनसे 3 साल मांगे, ताकि खेल के अपने जौहर को दिखा सके. हालांकि एकेडमी में क्रिकेट गुर सीखने के लिए उन्हें घर छोड़ना पड़ा और वे अपनी बहन के ससुराल पहुंच गए. लमिछाने ने पिछले दिनों क्रिकइंफो से बातचीत में बताया था कि मुझे शुरुआती दिनों में एकेडमी में कोच के साथ ज्यादा समय नहीं मिलता था, क्योंकि शाम 4 से 7 बजे तक के बीच बहुत लड़के होते थे. इसलिए मैं नेट्स में अधिक समय पाने के लिए दोपहर 12 बजे जाता था. मैं दूसरों से अलग दिखना चाहता था. मुझे अपने लक्ष्य के बारे में पता था. मैंने हर दिन 6-7 घंटे नेट पर बिताता था.
भाग्य से मिला वर्ल्ड कप खेलने का मौका
नेपाल 2016 में अंडर-19 वर्ल्ड कप के लिए खिलाड़ियों की तलाश कर रहा था. इसी दौरान कोच पबुदु दासनायके लमिछाने की एकेडमी पहुंच गए और यहीं से खिलाड़ी का भाग्य खुल गया. संदीप लमिछाने ने बताया कि यह मेरे लिए अविश्वसनीय था, क्योंकि एक समय वो था जब मुझे मौका नहीं मिल रहा था और अचानक मैं अंडर-19 वर्ल्ड कप के संभावितों में शामिल हो गया. मुझे पता था कि मुझे अभी लंबा रास्ता तय करना है, लेकिन सीनियर टीम के लिए खेलने की असली चुनौती वहीं से शुरू हुई.