‘SC जो चाहे करेगा, जमींदारी है क्या…?’ यह बोले थे कलकत्ता HC के जज, CJI को बात पता चली तो फिर सुनाया यह फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के भतीजे अभिषेक बनर्जी (Abhishek Banerjee) के खिलाफ CBI और ED से जांच कराने के आदेश थे. लेकिन सुनवाई के समय वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट को लेकर कलकत्ता HC के जज के एक बयान के बारे में CJI को बताया.
वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने CJI को बताया कि कलकत्ता HC के जज यह कहते सुने गए थे कि SC के जज जो चाहे वह करते हैं, कोई जमींदारी है क्या.
नई दिल्ली.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के भतीजे अभिषेक बनर्जी (Abhishek Banerjee) के खिलाफ CBI और ED जांच कराने के कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने रोक लगा दी है. मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह 24 अप्रैल को इस मामले की सुनवाई करेगी तब तक हाईकोर्ट के आदेश पर रोक जारी रहेगी. लेकिन इस सुनवाई के दौरान कील अभिषेक मनु सिंघवी ने CJI को कलकत्ता HC के बयान के बारे में भी बताया
अभिषेक बनर्जी की पैरवी वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने की. इस दौरान उन्होंने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ को दलील देते हुए कहा कि कलकत्ता हाईकोर्ट के जिस जज अभिजीत गंगोपाध्याय ने अभिषेक बनर्जी के खिलाफ सीबीआई और ईडी को जांच का आदेश दिया है वह टीवी चैनल पर बातचीत के दौरान कहते दिखे थे कि वह ममता बनर्जी के भतीजे को किस कदर नापसंद करते हैं. जाहिर है कि वह इस सोच के साथ निष्पक्ष फैसला नहीं दे सकते.
सिंघवी ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दाखिल अर्जी में जज अभिजीत गंगोपाध्याय की एक और बात को सुप्रीम कोर्ट के सामने रखा. उनका कहना था कि गंगोपाध्याय ने ओपन कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट की तौहीन की थी. वह यह कहते सुने गए थे कि सुप्रीम कोर्ट के जज जो चाहे वह करते हैं. कोई जमींदारी है क्या. सिंघवी का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट देश की सबसे बड़ी अदालत है. जो फैसला यहां से दिया जाता है वह सभी के लिए मानना अनिवार्य है. लेकिन गंगोपाध्याय सुप्रीम कोर्ट पर भी उंगली उठाने से बाज नहीं आते. उसके बाद सीजेआई की बेंच ने गंगोपाध्याय के फैसले पर स्टे लगा दिया.
दरअसल कलकत्ता हाईकोर्ट ने स्कूल फॉर जॉब्स स्कैम में अभिषेक बनर्जी के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों को जांच करने का आदेश दिया था. अभिषेक ने उनके फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देकर कहा कि मामले के आरोपियों से जबरन बयान देकर उनके खिलाफ जांच का आदेश दिया गया है. गौरतलब है कि सरकारी स्कूलों के टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ की नियुक्तियों में धांधली को लेकर 13 अप्रैल को हाईकोर्ट ने जांच का आदेश दिया था. कलकत्ता हाईकोर्ट के जज जस्टिस गंगोपाध्याय ने अभिषेक बनर्जी की उस स्पीच को आधार मानकर एजेंसियों को जांच करने का आदेश दिया था जिसमें 29 मार्च को एक पब्लिक मीटिंग में कहा था कि हिरासत में रखे गए लोगों से जबरन उनके खिलाफ बयान दिलवाया जा रहा है. मामले के दूसरे आरोपी कुंतल घोष ने भी अभिषेक बनर्जी की लाइन पर जाकर कहा था कि उन पर दबाव है कि वो अभिषेक बनर्जी का नाम स्कैम में लें.