भ्रष्टाचार के आरोपी को भी अदालत में आने का अधिकार, कानून अपना काम करेगा:सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, भ्रष्टाचार के आरोपियों को भी अदालत में आने का अधिकार है। इस टिप्पणी के साथ शीर्ष अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक का कार्यकाल बढ़ाने के खिलाफ याचिकाओं पर केंद्र की दलील को खारिज कर दिया। केंद्र ने कहा था कि इन याचिकाओं पर विचार नहीं किया जा सकता क्योंकि इन्हें मनी लॉन्ड्रिंग जांच का सामना कर रही राजनीतिक संस्थाओं ने दाखिल किया है।
जस्टिस बीआर गवई की पीठ के समक्ष याचिकाकर्ताओं में से एक के वकील गोपाल शंकरनारायणन ने कहा, केंद्र ने आपत्ति जताई है कि ये याचिकाएं उन राजनीतिक दलों ने दाखिल की हैं जो प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के ‘पीड़ित’ हैं। इस पर मेहता ने स्पष्ट किया कि उन्होंने कभी ‘पीड़ित’ शब्द का इस्तेमाल नहीं किया। वास्तव में ये पार्टी के लोग हैं जो मामलों में आरोपी हैं।
इस पर पीठ ने शंकरनारायणन से सॉलिसिटर जनरल के आरोप के अनुसार बयान से ‘पीड़ित’ शब्द को वापस लेने को कहा। शंकरनारायण ने तर्क दिया कि बार बार विस्तार से संस्था की स्वतंत्रता को खतरा है। यह पिंंजरे का तोता बन गया है। इस पर पीठ ने शंकरनारायण को उनकी दलीलें कानूनी दायरे तक सीमित रखने की हिदायत दी। इस मामले में अगली सुनवाई 20 अप्रैल को होगी।