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‘जनादेश ने संविधान के मूल ढांचे को बदलने से रोका’ : चिदंबरम

आपातकाल को लेकर सरकार बनाम विपक्ष: ‘जनादेश ने संविधान के मूल ढांचे को बदलने से रोका’, चिदंबरम का PM पर पलटवार

साल 1975 में लगे आपातकाल को लेकर भाजपा कांग्रेस पर निशाना साध रही है। सोमवार को प्रधानमंत्री ने आपातकाल पर बयान दिया था, वहीं मंगलवार को भी उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधा। इस पर कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने उन पर पलटवार किया है।

कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आपातकाल पर की गई टिप्पणी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि देश की जनता ने 18वीं लोकसभा के लिए मतदान ऐसे किया है कि कोई दिव्य शासक संविधान को मूल ढांचे को बदल नहीं सकता।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कांग्रेस पर वार किया। उन्होंने कहा आपातकाल लगाने वालों को संविधान के प्रति प्रेम जताने का कोई अधिकार नहीं है। 1975 के आपातकाल की 49वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री ने कहा कि उस समय के काले दिन याद दिलाते हैं कि किस तरह कांग्रेस ने बुनियादी स्वतंत्रताओं का हनन किया और संविधान को रौंदा।

इस पर जवाबी हमला करते हुए पी चिदंबरम ने एक्स पर पोस्ट किया। जिसमें उन्होंने पीएम मोदी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भाजपा के महत्वाकांक्षाओं को देश के लोगों ने भांप लिया था। इसलिए इस बार के चुनाव में उनको जनता ने करारा जवाब दिया। देश की जनता एक ओर आपातकाल नहीं चाहती थी, इसलिए उसने इस बार मतदान किया।

उन्होंने लिखा कि देश के लोगों ने 18वीं लोकसभा के लिए इस तरह से मतदान किया है कि कोई भी “दिव्य शासक” संविधान के मूल ढांचे को नहीं बदल सकता। उन्होंने कहा कि लोगों ने भाजपा की महत्वाकांक्षाओं को कम करने के लिए मतदान किया है। उन्होंने लिखा, “माननीय प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘आपातकाल हमें संविधान की रक्षा करने की याद दिलाता है’। “बिल्कुल सही, मैं यह भी जोड़ सकता हूं कि संविधान ने लोगों को एक और आपातकाल को रोकने के लिए याद दिलाया। इसलिए उन्होंने भाजपा की महत्वाकांक्षाओं को कम करने के लिए मतदान किया। उन्होंने कहा कि लोगों ने 18वीं लोकसभा के लिए इस तरह से मतदान किया कि कोई भी मानव या दिव्य शासक संविधान के मूल ढांचे को नहीं बदल सकता। भारत एक उदार, लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष राज्यों का संघ बना रहेगा।”

पीएम मोदी ने कही थी यह बात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि आपातकाल लगाने वालों को संविधान के प्रति प्रेम जताने का कोई अधिकार नहीं है। 1975 के आपातकाल की 49वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री ने कहा कि उस समय के काले दिन याद दिलाते हैं कि किस तरह कांग्रेस ने बुनियादी स्वतंत्रताओं का हनन किया और संविधान को रौंदा। विपक्षी दल पर निशाना साधते हुए उन्होंने ‘एक्स’ पर कहा, “ये वही लोग हैं जिन्होंने अनगिनत मौकों पर अनुच्छेद 356 लगाया। प्रेस की स्वतंत्रता को खत्म करने के लिए विधेयक पारित किया। संघवाद को नष्ट किया और संविधान के हर पहलू का उल्लंघन किया।” उन्होंने कहा, “जिस मानसिकता के कारण आपातकाल लगाया गया, वह उसी पार्टी में बहुत अधिक जीवित है। वे अपने दिखावे के माध्यम से संविधान के प्रति अपने तिरस्कार को छिपाते हैं। लेकिन भारत के लोगों ने उनकी हरकतों को समझ लिया है और इसीलिए उन्होंने उन्हें बार-बार खारिज किया है।” 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, जो कांग्रेस की दिग्गज नेता थीं, ने देश में आपातकाल लागू कर दिया, नागरिक स्वतंत्रता को निलंबित कर दिया, विपक्षी नेताओं और असंतुष्टों को जेल में डाल दिया तथा प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी।

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