दिल्ली

पहले कहते थे अच्छे दिन आएंगे और अब अमृत काल…, कपिल सिब्बल बोले- जो सवाल पूछता है उसके पीछे पड़ जाती है ED

हकीकत ये है कि देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा गरीब बन चुका है। आज 350 मिलियन लोग ऐसे हैं जो गरीब हैं। 2018 में इनकी तादाद 180 मिलियन थी। भारत की आबादी 130 करोड़ से ज्यादा है। लेकिन 80 फीसदी लोग ऐसे हैं जो पांच हजार रुपये माहवार से कम कमाते हैं।

नई दिल्ली

कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे कपिल सिब्बल अब राजनीतिक मंच इंसाफ के जरिये अपनी आवाज को बुलंद करने की कोशिश में हैं। इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक इंटरव्यू में वो बोले कि आज देश में एक अलग तरह का माहौल है। जो सवाल पूछता है उसके पीछे केंद्रीय एजेंसियां पड़ जाती हैं।

कपिल सिब्बल का कहना है कि सरकार पहले अच्छे दिन आएंगे का नारा देती थी। लेकिन अब उसकी कोई बात नहीं करता। अब सरकार अमृत काल आएगा का नारा दे रही है। बाद में इसे भी भूल जाएगी। हकीकत ये है कि देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा गरीब बन चुका है। आज 350 मिलियन लोग ऐसे हैं जो गरीब हैं। 2018 में इनकी तादाद 180 मिलियन थी। भारत की आबादी 130 करोड़ से ज्यादा है। लेकिन 80 फीसदी लोग ऐसे हैं जो पांच हजार रुपये माहवार से कम कमाते हैं। न तो जॉब्स हैं और न ही शिक्षा का ढांचा ऐसा है दो रोजगार परक अवसर मुहैया करा सके। महंगाई चरम पर है। लोगों की कमर टूटती जा रही है और नरेंद्र मोदी सरकार लोगों को नारों के जरिये बहलाने की कोशिश में है।

ईडी की 95 फीसदी जांच विपक्षियों के खिलाफ

दिग्गज वकील का कहना है कि जो कोई भी सरकार से सवाल पूछने की हिम्मत करता है उसके पीछे केंद्रीय एजेंसियां पड़ जाती हैं। विपक्ष के नेताओं, पत्रकारों, कलाकारों और छात्रों को एजेंसियां निशाना बना रही हैं। आप देखेंगे तो पता चलेगा कि ईडी की 95 फीसदी जांच विपक्ष के नेताओं के खिलाफ है। सरकार कहती है कि ये लोग गलत कर रहे थे तभी एजेंसियां उन्हें निशाना बना रही हैं। लेकिन तस्वीर का दूसरा पहलू ये है कि सरकार हर उस आवाज को दबाने की मुहिम चला रही है जो उनके खिलाफ उठती है।

सिब्बल का सवाल था कि क्या बीजेपी के एक भी नेता के खिलाफ ईडी ने जांच शुरू की। कोई भी केंद्रीय एजेंसी सत्ता से जुड़े लोगों के पास गई। क्या बीजेपी से जुड़े सारे लोग बर्फ की तरह से साफ हैं। बजरंग दल हो या फिर बीजेपी से जुड़ा कोई भी दल। उसके नेता कुछ भी बोलें, कितना भी खराब बोलें, एजेंसियां कान बंद करके बैठी रहती हैं। टारगेट केवल विपक्ष की सरकारें हैं। विपक्ष के नेताओं की आवाज बंद करने की कोशिश हो रही है।

11 मार्च को तय करेंगे इंसाफ का एजेंडा

पूर्व केंद्रीय मंत्री का कहना है कि वो इंसाफ के जरिये विपक्षी नेताओं को एकजुट करने की कोशिश करेंगे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पहले भी कोशिशें हुईं जो विपक्षी नेताओं को एक करने के लिए थीं। लेकिन उस समय एजेंडा नहीं था। वो जंतर मंतर पर 11 मार्च को पहले अपना एजेंडा तय करेंगे और फिर विपक्ष के समान विचारधारा वाले दलों को एक करने की कोशिश। उनका कहना है कि बीजेपी सरकार से पीड़ित कोई एक नेता नहीं है। आप हो या फिर लालू परिवार या केसीआर। लंबी फेहरिस्त है जो बीजेपी की सरकारों से पीड़ित है।

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