दिल्ली

कांग्रेस ने खादी को बोला ‘अलविदा’, लेकिन शराब से बढ़ी ‘नजदीकी’, नाराज पार्टी नेता ने आलाकमान को लिखा खत

कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि संशोधित संविधान में नशीले पदार्थों पर प्रतिबंध का विशेष रूप से उल्लेख किया गया है. उन्होंने कहा, ‘जहां तक ​​खादी बुनने की बात है तो यह कांग्रेस के किसी भी सदस्य की प्रमुख पहचान बनी रहेगी, लेकिन हमने भी समय को ध्यान में रखते हुए यह बदलाव किया है.’

नई दिल्ली.

कांग्रेस के संविधान में बदलाव से केरल के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष वीएम सुधीरन नाराज हो गए हैं और उन्होंने इसका विरोध करते हुए पार्टी के राष्ट्रीय प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे, पार्टी नेता राहुल गांधी और महासचिव केसी वेणुगोपाल को पत्र लिखा है. दरअसल, शराब से दूर रहने और हमेशा खादी पहनने की जरूरत को कांग्रेस के संविधान से हटा दिया गया है और यही बात केरल के नेता सुधीरन को अच्छी नहीं लगी.

यह एक ऐसा बदलाव है जो समय के साथ तालमेल बिठाने के लिए प्रेरित किया गया हो सकता है, लेकिन फिलहाल पार्टी के कुछ नेता इससे सहमत दिखाई नहीं दे रहे. हिन्दुस्तान टाइम्स में प्रकाशित खबर के मुताबिक हाल ही में रायपुर में संपन्न कांग्रेस के 85वें राष्ट्रीय अधिवेशन में यह फैसला लिया गया था.

परिवर्तित संविधान कहता है कि पार्टी केवल उन सदस्यों को शामिल करेगी जो ‘साइकोट्रोपिक पदार्थों, प्रतिबंधित दवाओं और नशीले पदार्थों के उपयोग से दूर रहेंगे’. पार्टी संविधान के पिछले संस्करण में, अनुच्छेद 5 में कहा गया था, ‘वह प्रमाणित खादी का एक आदतन बुनकर है और मादक पेय और नशीली दवाओं से दूर रहता है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘यह गंभीरता से ध्यान दिया जाना चाहिए कि यह संशोधन ऐसे समय में अपनाया गया है जब शराब और मादक द्रव्यों का सेवन देश में एक प्रमुख स्वास्थ्य और सामाजिक समस्या के रूप में उभरा है…; रायपुर अधिवेशन के निर्णय के निश्चित रूप से दूरगामी नतीजे होंगे और इससे देश में शराब के प्रचार और बिक्री को प्रोत्साहन मिलेगा.’

कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि संशोधित संविधान में नशीले पदार्थों पर प्रतिबंध का विशेष रूप से उल्लेख किया गया है. उन्होंने कहा, ‘जहां तक ​​खादी बुनने की बात है तो यह कांग्रेस के किसी भी सदस्य की प्रमुख पहचान बनी रहेगी, लेकिन हमने भी समय को ध्यान में रखते हुए यह बदलाव किया है.’

संशोधित संविधान कहता है कि पार्टी में शामिल होने के इच्छुक लोगों को ‘श्रमदान (स्वैच्छिक सार्वजनिक सेवा), रक्तदान शिविरों सहित समाज के लिए सार्वजनिक संपत्ति के निर्माण के कार्यों और परियोजनाओं में भाग लेना चाहिए, विशेष रूप से वंचित और गरीब वर्गों के लिए’ और खुद का व्यवहार भी ‘सामाजिक न्याय, समानता और सद्भाव के कारणों की सेवा करने के लिए’ होना चाहिए.

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