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जजों को प्रतिदिन आंका जाता है, उनके फैसलों से संवैधानिक मूल्यों का पालन दिखना चाहिए:सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली

मद्रास हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में एलसी विक्टोरिया गौरी की नियुक्ति के खिलाफ दायर दो याचिकाओं पर विचार नहीं करने के विस्तृत कारण देते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि  जस्टिस गौरी को एक अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया है और शपथ लेने पर व्यक्ति संविधान और कानूनों के अनुरूप काम करने का वचन देता है। पढ़ें सुप्रीम कोर्ट की प्रमुख खबरें…

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि जनता, वादी और वकील एक जज का हर रोज मूल्यांकन करते हैं, क्योंकि अदालतें खुला मंच हैं। वह सिफारिश को रद्द नहीं कर सकता है या अपने कॉलेजियम को शक्ति का इस्तेमाल करते हुए जजों की नियुक्ति वाले उसके फैसले की न्यायिक समीक्षा करने के लिए नहीं कह सकता। मद्रास हाईकोर्ट के जज के रूप में एलसी विक्टोरिया गौरी की नियुक्ति के खिलाफ दायर दो याचिकाओं पर विचार से इनकार के कारण स्पष्ट करते हुए शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी की।

जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने शुक्रवार को कहा, उनको (जस्टिस गौरी) को एक अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया है और शपथ लेने पर व्यक्ति संविधान और कानूनों के अनुरूप काम करने का वचन देता है। सभी धार्मिक, भाषाई, क्षेत्रीय विविधताओं के बीच सद्भाव, भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना प्रत्येक नागरिक और एक न्यायाधीश का मौलिक कर्तव्य है।

पीठ ने कहा, पुष्टि के समय न केवल आचरण और दिए गए निर्णयों पर विचार किया जाता है बल्कि एक जज को वकीलों, वादियों और जनता द्वारा प्रतिदिन आंका जाता है, क्योंकि अदालतें खुली हैं। पीठ ने कहा, ऐसे मामले भी सामने आए हैं जहां पदोन्नति के लिए अनुशंसित लोगों ने विरोध जताया है। न्यायाधीश के आचरण और फैसलों में स्वतंत्रता, लोकतांत्रिक और सांविधानिक मूल्यों का पालन दिखना चाहिए।

न्यायिक समीक्षा परामर्श की ‘सामग्री’ पर आधारित नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने नौ जजों की पीठ के दो फैसलों समेत पिछले कई फैसलों का जिक्र करते हुए कहा, यह माना जाता है कि न्यायिक समीक्षा तब होती है जब पात्रता की कमी या ‘प्रभावी परामर्श की कमी’ हो। न्यायिक समीक्षा परामर्श की ‘सामग्री’ पर आधारित नहीं होती है। हमारा स्पष्ट मत है कि यह अदालत, न्यायिक समीक्षा की शक्ति का प्रयोग करते हुए सिफारिश को रद्द करने के लिए उत्प्रेषण की रिट जारी नहीं कर सकती है, या सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए परमादेश जारी नहीं कर सकती है।

महाराष्ट्र के मेडिकल काॅलेज पर 2.5 करोड़ का जुर्माना
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को रोक के आदेश के बावजूद एमबीबीएस में 100 छात्रों को प्रवेश देने पर महाराष्ट्र के एक मेडिकल कॉलेज पर 2.5 करोड़ का जुर्माना लगाया है। शीर्ष अदालत ने अन्नासाहेब चूड़ामन पाटिल मेमोरियल मेडिकल कॉलेज को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में चार सप्ताह के भीतर जुर्माने की राशि जमा करने का निर्देश दिया गया है। इस पैसे का उपयोग एम्स निदेशक के विवेकानुसार गरीब मरीजों के इलाज के लिए किया जाएगा।

श्रीबांकेबिहारीजी मंदिर मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट का आग्रह
वृंदावन के ठाकुर श्रीबांकेबिहारीजी मंदिर प्रबंध समिति चुनाव मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय से जल्द सुनवाई का आग्रह किया है। मंदिर के सेवायत गोस्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर जल्द सुनवाई के निर्देश जारी करने की मांग की है। ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के सेवायत देवेंद्रनाथ गोस्वामी व अन्य की अपील पर सर्वोच्च न्यायालय ने हाईकोर्ट से मामले को प्राथमिकता के आधार पर सुनने का आग्रह किया। चुनाव संबंधी याचिका छह साल से भी ज्यादा समय से इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित है।

अखिल भारतीय परीक्षा कराने के लिए बार काउंसिल के पास पर्याप्त शक्ति
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बार काउंसिल को अखिल भारतीय बार परीक्षा कराने की पर्याप्त शक्तियां हैं। जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने शुक्रवार को एआईबीई की वैधता को बरकरार रखा, जिसके मुताबिक वकालत शुरू करने से पहले विधि स्नातकों को परीक्षा देना अनिवार्य है। पीठ ने अखिल भारतीय बार परीक्षा की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया। अदालत ने कहा कि अधिवक्ता कानून 1961 के तहत यह फैसला बार काउंसिल पर छोड़ देना चाहिए कि किस स्तर पर एआईबीई परीक्षा करवाई जाए। पांच जजों की संविधान पीठ का यह आदेश उस याचिका पर आया है़, जिसमें एआईबीई से संबंधित कई मुद्दों का परीक्षण किया गया था।

क्या पता, किसी दिन वह एक बेहतरीन डॉक्टर बन जाए
सुप्रीम कोर्ट ने भाषा और बोलने की समस्या की वजह से एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश से इनकार किए जाने के मामले में पीड़िता के बचाव में कहा कि कौन जानता है, किसी दिन वह एक बेहतरीन डॉक्टर बन जाए। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ को उसकी जांच करने को कहा। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने निर्देश दिया कि पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ के निदेशक की ओर से मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाए, पीड़िता की जांच करने के लिए भाषा और वाक बाधा के विशेषज्ञ शामिल हों।

पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि मेडिकल बोर्ड एक महीने में उसकी जांच के बाद अदालत में रिपोर्ट दाखिल करे। पीड़िता हरियाणा की है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की ओर से पेश अधिवक्ता गौरव शर्मा ने सुझाव दिया कि यह एमबीबीएस पाठ्यक्रम में लड़कियों की शिक्षा के रास्ते में नहीं आ रहा है, लेकिन यह उचित होगा कि एक मेडिकल बोर्ड की ओर से उसकी जांच की जाए, ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या वह पाठ्यक्रम का सामना कर पाएगी। उन्होंने कहा कि इस शैक्षणिक वर्ष के लिए प्रवेश पहले ही हो चुका है,लेकिन वह अगले शैक्षणिक वर्ष के लिए प्रवेश ले सकती हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने ‘कांतारा’ की स्क्रीनिंग पर केरल हाईकोर्ट की शर्त पर लगाई रोक
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कन्नड़ सुपरहिट फिल्म कांतारा के निर्माता और निर्देशक को कॉपीराइट उल्लंघन मामले में अंतिम आदेश तक वराहरूपम गाने के साथ फिल्म प्रदर्शित नहीं करने का निर्देश देने वाली केरल हाईकोर्ट की शर्त पर रोक लगा दी। इसके साथ ही चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने केरल सरकार को नोटिस जारी किया और दो सप्ताह में जवाब मांगा। पीठ ने हाईकोर्ट की शर्तों में से एक को संशोधित किया और निर्देश दिया कि निर्माता विजय किरगंदूर और निर्देशक ऋषभ शेट्टी को गिरफ्तार किए जाने पर तुरंत जमानत पर रिहा किया जाए। शीर्ष अदालत ने किरगंदूर और शेट्टी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार की दलीलों पर गौर किया, जिसमें हाईकोर्ट के आदेश में कुछ शर्तों को चुनौती दी गई थी और एक अंतरिम आदेश पारित किया। 8 फरवरी को, हाईकोर्ट ने गाने में साहित्यिक चोरी का आरोप लगाते हुए कोझिकोड पुलिस स्टेशन में दर्ज मामले में निर्देशक और निर्माता को अग्रिम जमानत दी थी।

सुप्रीम कोर्ट में दो और जजों की नियुक्ति को मंजूरी
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस अरविंद कुमार की नियुक्ति को मंजूरी दे दी है। इनकी नियुक्ति के साथ ही सुप्रीम कोर्ट में 34 जजों की स्वीकृत क्षमता पूरी हो जाएगी। दोनों जज सोमवार को शपथ लेंगे। कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने शुक्रवार को इनकी नियुक्ति पर राष्ट्रपति की मंजूरी की जानकारी दी। जस्टिस बिंदल पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट से हैं और संयुक्त अखिल भारतीय वरिष्ठता सूची में दूसरे नंबर पर थे। उन्हें 11 अक्तूबर, 2021 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। वहीं, मूल रूप से कर्नाटक हाईकोर्ट से ताल्लुक रखने वाले जस्टिस कुमार को 13 अक्तूबर 2021 को गुजरात हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था।

 

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